लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। एक से 19 साल की आयु के बच्चों को कृमि मुक्त करने के उद्देश्य से 10 अगस्त को राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस का आयोजन किया जायेगा। जिसके तहत पेट से कीड़े निकालने की दवा एल्बेन्डाजोल खिलाई जाएगी। यह जानकारी अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. बीएन यादव ने शुक्रवार को मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता में दी।
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने कहा कि एक से 19 साल की आयु के 21.51 लाख बच्चों को एल्बेन्डाजोल खिलाने का लक्ष्य है। उन्होंने बताया कि शरीर में यदि कृमि हैं तो वह भोजन के पौष्टिक तत्वों को खा लेते हैं। ऐसे में भोजन शरीर को नहीं लगता है और एनीमिया व कुपोषण की समस्या हो जाती है। जिसके कारण बच्चों के शारीरिक एवं मानसिक विकास में रूकावट आती है। यह कृमि शरीर में नंगे पैर घूमने से और फल सब्जियां वगैरह आदि धोकर न खाने से शरीर में पहुँचते हैं। इसके अलावा खुले में जो खाद्य पदार्थ बिकते हैं जैसे पिज्जा, चाऊमिन, बर्गर आदि के सेवन से भी यह कृमि शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। इसलिए हर वर्ग के सभी बच्चों को एल्बेन्डाजोल खानी है।
राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डा. विनय मिश्रा ने बताया कि सभी सरकारी, सरकारी सहायता प्राप्त और निजी विद्यालयों के बच्चों को शिक्षकों के माध्यम से और स्कूल न जाने वाले बच्चों को आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के माध्यम से एल्बेन्डाजोल खिलाई जाएगी। एक से दो साल की आयु के बच्चों को एल्बेंडाजोल की आधी गोली और दो से तीन साल की आयु के बच्चों को एक गोली चूरा बना कर खिलाई जायेगी। तीन से 19 साल की आयु के बच्चों को एक गोली खिलाई जायेगी। गोली दांत से चबाकर ही खिलाना सुनिश्चित कराना है। गोली स्वास्थ्य कार्यकर्ता अपने सामने ही खिलाएं, बाद में खाने के लिए न दें।
शत प्रतिशत दवा का सेवन कराने के लिए ईंट भट्टों, घुमंतू परिवार के बच्चों को भी स्वास्थ्य कार्यकर्ता दवा खिलाएंगे।
निजी स्कूलों के प्रधानाचार्यों से पहले ही बैठक कर ली गयी है और उनकी मांग के अनुसार उन्हें दवा विद्यालय में ही दवा मुहैया करा दी गयी है। इसके साथ ही उन्हें फ़ोन नम्बर दिए गया हैं कि कोई समस्या होने पर .उस पर सम्पर्क करें।
अभियान के दिन सभी जिला स्तरीय स्वास्थ्य अधिकारी विद्यालयों सहित उन स्थानों के सुपरविजन के लिए जायेंगे जहाँ एल्बेन्डाजोल खिलाई जा रही है। दवा खाने के बाद किन्हीं बच्चों में दवा सेवन के उल्टी, जी मिचलाना चक्कर आना पेट में दर्द आदि लक्षण देखने को मिलते हैं। इससे घबराने की जरूरत नहीं है। इसका मतलब होता कि पेट में कीड़ों की संख्या अधिक है और उन्हीं के मरने से यह लक्षण दिखाई दिए। ऐसा होने पर बच्चे को लिटा दें। थोड़ी देर में यह प्रभाव खत्म हो जायेंगे। ऐसे लक्षणों के प्रबन्धन के लिए राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की टीम ब्लाक और जिले पर तैनात रहेंगी।।एल्बेन्डाजोल पूरी तरह सुरक्षित है और इसके सेवन के कोई साइड इफेक्ट नहीं हैं।
इस मौके पर जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी योगेश रघुवंशी, जिला समुदाय प्रक्रिया प्रबन्धक विष्णु प्रताप, सहयोगी संस्था सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च के प्रतिनिधि मौजूद रहे।