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तनाएरा ने खादी कलेक्शन के साथ मनाया हैण्डलूम दिवस का जश्न

हाथ से बनी खादी की ये साड़ियां प्रकृति एवं रेट्रो-इम्प्रेशन से प्रेरित हैं



लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। परम्परा और आधुनिक स्टाइल का तालमेल बनाते हुए टाटा की प्रोडक्ट तनाएरा ने नेशनल हैण्डलूम दिवस के उपलक्ष्य में अपने खादी कलेक्शन को गर्व के साथ प्रस्तुत किया। भारत के प्राचीन अतीत से प्रेरित खादी सदियों और पीढ़ियों के दौरान लगातार विकसित हुई है। प्राचीन सिंधु सभ्यता से लेकर जहां इसे कुशल हाथों से बुना जाता था, खादी ने लम्बा इतिहास देखा है। आज़ादी की लड़ाई के दौरान यह आत्मनिर्भरता और प्रत्यास्थता का प्रतीक बन गई। इस कलेक्शन को आइकोनिक फैब्रिक खादी से बनाया गया है, जिसे सांस्कृतिक धरोहर और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है। खादी आधुनिक फैशन को अपने आप में शामिल करते हुए आज परम्परा और आधुनिकता का संयोजन बन गई है।  


इनोवेशन को बनाए रखते हुए तनाएरा ने अपने खादी कलेक्शन में ‘इम्प्रेशन प्रिंटिंग’ तकनीक को शामिल किया है, जो प्रकृति की कलाकारी और आधुनिक सौंदर्य का आकर्षक संयोजन है। प्रकृति एवं रेट्रो-इम्प्रेशन से प्रेरित इस कलेक्शन को पत्तियों के प्रिंट, ब्लॉक प्रिंट, हैण्ड पेंट और बुनाई से सजाया गया है। इस कलेक्शन की हर साड़ी एक कैनवास की तरह है, जहां प्रकृति का सौंदर्य, टेक्सटाईल की धरोहर और आकर्षक रंगों के संयोजन के रूप में दिखाई देता है। इस कलेक्शन में भागलपुर से लाई गई टसर सिल्क से बने शानदार डिज़ाइन भी शामिल हैं, साथ ही पश्चिम बंगाल के प्रिंटेड चित्रों से सजे दो खास डिज़ाइन भी इस कलेक्शन में पेश किए गए हैं।


कलेक्शन के बारे में बात करते हुए तनाएरा के सीईओ अम्बुज नारायण ने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि खादी सिर्फ एक फैब्रिक नहीं बल्कि हमारे देश की भावना का प्रतीक भी है। सभी सभ्यताओं में खादी का विशेष महत्व रहा है, जो सांस्कृतिक धरोहर के समृद्ध ताने-बाने को दर्शाती है। इस सदाबहार फैब्रिक को आधुनिक डिज़ाइन से सजाकर तनाएरा अपने उपभोक्ताओं को परम्पराओं के साथ जोड़े रखने के लिए प्रयासरत है। यह कलेक्शन उन कारीगरों को सम्मान देता है, जो हमारी सांस्कृतिक धरोहर को बनाए रखते हुए खादी के आकर्षण और उनके शिल्प कौशल का जश्न मनाते हैं।’’


इतिहास से जुड़ी खादी की मुलायम और ब्रीदेबल बनावट, इसे हर सीज़न के लिए परफेक्ट बनाती है। इसका प्राकृतिक फाइबर शरीर के तापमान को सामान्य बनाए रखता है, यह आपको गर्मियों में ठंडा और सर्दियों में गर्म रखता है। आरामदायक होने के साथ-साथ यह देखने में भी भव्य लगती है तथा कैजुअल एवं फॉर्मल हर तरह के मौकों पर पहनी जा सकती है। हाथ से बुना खादी का हर पीस कलाकार के समर्पण और स्नेह को दर्शाता है। तनाएरा सभी सीमाओं को पार कर इस समृद्ध परम्परा को सम्मान देते हुए इसे आकर्षक बनाने और आज की महिलाओं को खादी की ओर आकर्षित करने के लिए प्रयासरत है।


जिस तरह खादी के धागों ने हमारे देश की आज़ादी को बुना, उसी तरह 40 अनूठे डिज़ाइनों के साथ तनाएरा भारत की हैण्डलूम धरोहर की विविधता को लेकर आई है। रु 7999 की शुरूआती कीमत पर उपलब्ध तनाएरा का खादी कलेक्शन चुनिंदा स्टोर्स एवं ऑनलाईन Taneira.com से खरीदा जा सकता है। इसका हर पीस परम्परा एवं आधुनिक भव्यता के खूबसूरत संयोजन के साथ प्रेरित करने का वादा करता है।