विश्व स्तनपान सप्ताह (01-07 अगस्त) पर विशेष
- जन्म के पहले घंटे में जरूर पिलाएं माँ का पहला पीला गाढ़ा दूध
- माँ के दूध से बच्चों को मिलती है बीमारियों से लड़ने की ताकत
लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। माँ का पहला पीला गाढ़ा दूध बच्चे के लिए अमृत समान होता है। इसलिए नवजात को जन्म के पहले घंटे में स्तनपान जरूर कराएँ। यह बच्चे को संक्रामक बीमारियों से सुरक्षित बनाने के साथ ही शारीरिक व मानसिक रूप से स्वस्थ बनाता है। निमोनिया, डायरिया व अन्य संक्रामक बीमारियों की जद में आने से बचाने में कारगर है। रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सक्षम माँ के पहले पीले गाढ़े दूध (कोलस्ट्रम) को इसीलिए बच्चे का पहला टीका कहा गया है।
स्तनपान शिशु का मौलिक अधिकार भी है। इसलिए स्तनपान के फायदे के बारे में जानना हर महिला के लिए जरूरी है। इसके प्रति जागरूकता के लिए ही हर साल अगस्त के पहले हफ्ते को विश्व स्तनपान सप्ताह (01-07 अगस्त) के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष विश्व स्तनपान सप्ताह की थीम- “अंतर को कम करना, सभी के लिए स्तनपान सहायता” (क्लोजिंग द गैप : ब्रेस्टफीडिंग सपोर्ट फॉर ऑल) तय की गयी है।
पापुलेशन सर्विसेज इंटरनेशनल इंडिया के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर व ब्रेस्टफीडिंग प्रमोशन नेटवर्क ऑफ़ इंडिया (बीपीएनआई) के आजीवन सदस्य मुकेश कुमार शर्मा का कहना है कि शिशु को छह माह तक केवल स्तनपान कराना चाहिए। इस दौरान बाहर की कोई भी चीज नहीं देनी चाहिए, यहाँ तक कि पानी भी नहीं। छह माह तक माँ के दूध के अलावा कुछ भी देने से शिशु के संक्रमित होने की पूरी संभावना रहती है। अमृत समान माँ के अनमोल दूध में सभी पौष्टिक तत्वों के साथ पानी की मात्रा भरपूर होती है। इसके अलावा बीमारी की स्थिति में भी माँ बच्चे को पूरी सावधानी के साथ स्तनपान जरूर कराएं क्योंकि यह बच्चे को बीमारी से सुरक्षित बनाता है।
श्री शर्मा का कहना है कि केवल स्तनपान कर रहा शिशु 24 घंटे में छह से आठ बार पेशाब कर रहा है तो समझना चाहिए कि उसे भरपूर खुराक मिल रही है। स्तनपान के बाद बच्चा कम से कम दो घंटे की नींद ले रहा है और बच्चे का वजन हर माह 500 ग्राम बढ़ रहा है तो चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। क्योंकि यह प्रमाण है कि शिशु को भरपूर मात्रा में माँ का दूध मिल रहा है। कृत्रिम आहार या बोतल के दूध में पोषक तत्वों की मात्रा न के बराबर होती है। इसलिए यह बच्चे के पाचन तंत्र को प्रभावित करता है। इससे कुपोषण की जद में आने के साथ ही संक्रमण का जोखिम भी बना रहता है। बौद्धिक विकास को भी यह प्रभावित कर सकता है।
छह माह तक केवल स्तनपान कराने से 11 फीसदी दस्त रोग और 15 प्रतिशत निमोनिया के मामले को कम किया जा सकता है। नेशनल फेमिली हेल्थ सर्वे-5 (2020-21) के अनुसार उत्तर प्रदेश में जन्म के एक घंटे के भीतर स्तनपान कराने की दर 23.9 प्रतिशत है। इसी तरह छह माह तक बच्चे को केवल स्तनपान कराने की दर एनएफएचएस-5 के सर्वे में 59.7 फीसद रही जबकि एनएफएचएस-4 के सर्वे में यह 41.6 फीसद थी।