जर्मन एग्री बिजनेस एलायंस और यूपीडास्प के बीच समझौता ज्ञापन पर किए गए हस्ताक्षर

उत्तर प्रदेश में कृषि उत्पादकता बढ़ाने के लिए एग्री बिजनेस कानक्लेव का हुआ आयोजन

लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। उत्तर प्रदेश में कृषि उत्पादकता, उत्पादन तथा किसानों की आय को बढ़ाने के उद्देश्य से आज लखनऊ में उत्तर प्रदेश-जर्मनी एग्री बिजनेस कानक्लेव का आयोजन किया गया। इस सम्मेलन में जर्मन एग्रीबिजनेस एलायंस जीएए और यूपीडास्प उत्तर प्रदेश सरकार के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।
कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि प्रधानमंत्री डिजिटल कृषि पर जोर दे रहे हैं। योगी सरकार किसानों के हितों की रक्षा के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। डिजिटल कृषि को बढ़ाने के लिए योगी कैबिनेट द्वारा एग्रीटेक नीति-2024 लाने की सहमति प्रदान की गई है।

उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में खाद्यान्न का उत्पादन लगातार बढ़ रहा है। प्रदेश दुग्ध उत्पादन और गन्ना की खेती में सर्वाेच्च स्थान रखती है। उत्तर प्रदेश कृषि निर्यात में तीसरे स्थान पर है। 120 मंडियों को ई-मंडी से जोड़ा गया है। कृषि में डिजिटल को बढ़ावा देते हुए कृषि का डिजिटल सर्वे किया जा रहा है। इसके साथ ही सब्सिडी की धनराशि सीधे किसानों के बैंक खातों में भेजी जा रही है। इसके अतिरिक्त आर्टीफिशियल इंटेलीजेन्स का उपयोग करके प्रदेश की कृषि को नए आयाम पर ले जाने का कार्य किया जा रहा है। प्रदेश में कृषि उत्पादन की क्षमता को बढ़ाकर और गुणवत्ता युक्त फसलों को विदेशी व्यापार उपलब्ध कराया जा रहा है।

उन्होंने जर्मनी के साथ हुए एमओयू पर बधाई दी और कहा कि ये एमओयू प्रदेश के किसानों को उनकी उपज को एक विदेशी व्यापार मिलेगा।


श्रम एवं सेवायोजन मंत्री अनिल राजभर ने कहाकि प्रधानमंत्री के संकल्प आत्मनिर्भर भारत, विकसित भारत और भारत को तीसरी अर्थव्यवस्था बनाने में किसान और किसानी महत्वपूर्ण योगदान है। योगी सरकार प्रदेश के किसानों की आमदनी बढ़ाने पर जोर दे रही है। उन्होंने कहा कि किसानों को विभिन्न कार्यशालाओं का आयोजन कर प्रदेश की योजनाओं से अवगत कराया जाए और उन्हें प्राकृतिक खेती के बारे मे जागरुक किया जाय।
उद्यान राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दिनेश प्रताप सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के प्रयास से प्रदेश के किसानों की आय को बढ़ाने का कार्य किया जा रहा है। किसानों की उपज को विदेशी बाजार उपलब्ध कराए जा रहे हैं। किसानों की उपज देश विदेश तक पहुँचाने के लिए मार्ग व्यय पर 20 लाख रुपये तक की छूट दी जा रही है। उन्होंने कहाकि जिस तरह प्रदेश के आम विदेशों के लिए खास और उनकी जुबान पर है। इसी तरह अन्य फसलों के विदेशों के पहुंचने से प्रदेश के किसानों की फसलों को जानेंगे और अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में उनकी डिमांड भी बढ़ेगी।
कृषि राज्यमंत्री बलदेव सिंह औलख ने कहाकि योगी सरकार किसानों को खेती करने के अनेक योजनाओं के माध्यम से सब्सिडी प्रदान कर रही हैं। किसानों को उन्नत बीज प्रदान कर उच्च गुणवत्ता वाली फसलों के उत्पादन पर फोकस किया जा रहा है।
प्रदेश के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने इस कार्यक्रम की रूपरेखा तथा भावी रणनीति के विषय में सभी प्रतिभागियों को अवगत कराया। उन्होंने इस साझेदारी को प्रदेश के किसानों तथा कृषि क्षेत्र के लिए संभावनाओं के नये अवसर के रूप में बताया। उन्होंने कहा कि जर्मनी की तकनीक तथा निवेश उप्र की उत्पादकता तथा क्षमता आपस में मिलकर गुणवत्तापूर्ण कृषि उत्पादों से अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में भरपूर आपूर्ति करेंगे। उन्होंने सभी प्रतिभागियों को शुभकामनाएं दीं।
अपर मुख्य सचिव कृषि तथा प्रभारी कृषि उत्पादन आयुक्त डॉ. देवेश चतुर्वेदी ने कहा कि प्रदेश सरकार किसानो के हितों के लिए अनेक निर्णय लिए गए हैं। जिसके तहत किसानों की उपज को देश और विदेश मे भेजने कार्य किया जा रहा है। प्रदेश के किसानों के खेतों का डिजिटल सर्वे कराया जा रहा है, इस सर्वे से किसानों को मौसम आधारित फ़सलों को उगाने की जानकारी दी जा रही है।
इस एग्री बिजनेस कानक्लेव में गोलमेज चर्चा का आयोजन हुआ, जिसमें उत्तर प्रदेश में कृषि विकास के लिए स्थायी समाधान और सरकारी पहल पर विस्तृत चर्चा की गई। इस चर्चा में विश्व बैंक के श्री विनायक घटाटे, डब्लूआरजी-2030 के अजीत राधाकृष्णन, यूपीडास्प की राज्यश्री सिंह, सीआईएचएस के निदेशक टी. दामोदरन और प्रॉम्प्ट उपकरण के महर्षि ठाकर ने विभिन्न विषयों पर प्रस्तुतियां दीं। इसके अलावा, जर्मनी की कंपनियों के प्रतिनिधियों जैसे बायर क्रॉपसाइंस लिमिटेड के डॉ. राजवीर राठी, ईकोसेर्ट इंडिया के अनिल जाधव, क्लास एग्रीकल्चरल मशीनरी के संदीप चौधरी, पेसी इंस्ट्रूमेंट्स के पुनीत सिंह, शक्तिमान-ग्रीम रूट क्रॉप सॉल्यूशंस के हिमांशु सिंह, और बीएएसएफ इंडिया लिमिटेड के युवराज चोपड़ा ने भी अपने विचार साझा किए।
जीआईजेड इंडिया के कार्यक्रम निदेशक गेराल्ड गुसकोव्स्की और प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन एवं कृषि-इकोलॉजी के निदेशक डॉ. राजीव अहल ने भारत-जर्मनी कृषि और कृषि पारिस्थितिकी से संबंधित पोर्टफोलियो पर प्रकाश डाला। भारत सरकार के कृषि और किसान कल्याण विभाग के अपर सचिव फैज अहमद किदवई तथा जर्मनी के राजदूत फिलिप एकरमैन ने संबोधन दिया।
सत्र के मुख्य विषयों में स्मार्ट कृषि और डिजिटल खेती, यंत्रीकरण, टिकाऊ कीट और रोग प्रबंधन, कुशल पोषक तत्व प्रबंधन, स्मार्ट सिंचाई, फसल कटाई के बाद प्रबंधन, पशुपालन, प्रमाणन, और निर्यात मानकों के लिए किसानों का प्रशिक्षण शामिल थे।