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दिल्ली में थल सेना के उप- सेनाध्यक्ष का पदभार संभालेंगे लेफ्टिनेंट जनरल एनएस राजा सुब्रमणि

लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। लेफ्टिनेंट जनरल एनएस राजा सुब्रमणि, परम विशिष्ट सेवा मेडल, अति विशिष्ट सेवा मेडल, सेना मेडल, विशिष्ट सेवा मेडल, मध्य कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ, 30 जून को मध्य कमान की कमान छोड़ नई दिल्ली में थल सेना के उप-सेनाध्यक्ष (वीसीओएएस) के रूप में पदभार संभालेंगे।

अपनी कमान छोड़ते हुए, लेफ्टिनेंट जनरल एनएस राजा सुब्रमणि ने मध्य कमान युद्ध स्मारक स्मृतिका में वीरों को श्रद्धांजलि दी और गार्ड ऑफ ऑनर की समीक्षा की।

एक दूरदर्शी सैन्य पेशेवर और उत्कृष्ट सैन्य लीडर लेफ्टिनेंट जनरल एनएस राजा सुब्रमणि के कार्यकाल को मध्य कमान में परिचालन क्षमता निर्माण और प्रौद्योगिकी समावेशन पर एक नए प्रोत्साहन के साथ चिह्नित किया गया।

राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, खड़कवासला और भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून के पूर्व छात्र, लेफ्टिनेंट जनरल एनएस राजा सुब्रमणि को 1985 में गढ़वाल राइफल्स में नियुक्त किया गया था। वह ज्वाइंट सर्विसेज कमांड स्टाफ कॉलेज, ब्रैक्नेल (यूनाइटेड किंगडम) और राष्ट्रीय रक्षा महाविद्यालय, दिल्ली के पूर्व छात्र रहे हैं। उनके पास किंग्स कॉलेज, लंदन से मास्टर ऑफ आर्ट्स की डिग्री और मद्रास विश्वविद्यालय से रक्षा अध्ययन में एम.फिल है।

37 वर्षों से अधिक के अपने शानदार करियर में, उन्होंने कॉन्फ्लिक्ट और टेरेन प्रोफाइल के विभिन्न क्षेत्रों में काम किया है और कई प्रतिष्ठित कमांड, स्टाफ और इंस्ट्रक्शनल नियुक्तियां हासिल की हैं। पश्चिमी और उत्तरी सीमाओं पर कमांड और स्टाफ नियुक्तियों में व्यापक अनुभव होने के कारण, जनरल ऑफिसर के पास दोनों सीमाओं पर परिचालन गतिशीलता का गहन ज्ञान और गहरी समझ है।

लेफ्टिनेंट जनरल एनएस राजा सुब्रमणि ने 01 मार्च 2023 को मध्य कमान की कमान संभाली थी। आर्मी कमांडर के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने अपने पूर्ववर्तियों के अच्छे काम को आगे बढ़ाया और मध्य कमान को एक एकजुट युद्ध लड़ने वाली टीम में बदलने के लिए नए सिरे से प्रोत्साहन दिया। समन्वित संयुक्त बल संचालन और कई क्षेत्रों में आत्मनिर्भर क्षमता वृद्धि के माध्यम से संघर्षों को रोकने और निर्णायक रूप से जीतने में सक्षम रहे । कमांड थिएटर में बुनियादी ढांचे के विकास में तेजी से प्रगति हुई, जिसका उद्देश्य समग्र परिचालन प्रभावशीलता और तत्परता को बढ़ाना था।