लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। सीएसआईआर-केन्द्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान, लखनऊ देश के किसानों के लिए औषधीय, सगंध पौधों की खेती, प्राथमिक प्रसंस्करण व विपणन विषय पर प्रशिक्षण कार्यक्रम समय-समय पर आयोजित करता रहता है। इसी कड़ी में गुरुवार को मणिपुर की विस्थापित महिलाओं हेतु सगंधीय तेल के उत्पादन एवं मूल्य संवर्धन विषय पर प्रशिक्षण कार्यक्रम का आगाज हुआ। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम मे मणिपुर के विभिन्न जिलों की 30 महिलाएं भाग ले रहीं हैं। यह दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम मणिपुर सरकार, सांगनेरिया फ़ाउंडेशन, अल्ट्रा इंटरनेशनल तथा हिन्दू कॉलेज, दिल्ली के संयुक्त प्रयासों से कराया जा रहा है।
कार्यक्रम में डॉ. प्रबोध कुमार त्रिवेदी (निदेशक, सीएसआईआर-सीमैप) ने सीएसआईआर-सीमैप द्वारा पूर्वोत्तर राज्यों मे किए गए कार्यों का विवरण दिया। उन्होने बताया कि मणिपुर के उखरूल एवं काकचिंग जिलों में एरोमा मिशन द्वारा किया गया कार्य जैसे 20 एकड़ मे नीबूघास की खेती तथा दो आसवन इकाइयों की स्थापना 2022 मे किया गया था। जिससे वहाँ के काफी कृषकों को लाभ पहुँच रहा है। कार्यक्रम में मणिपुर के तीस आदिवासी (कुकी, मैतेई तथा नागा) महिलाओं ने सीएसआईआर-सीमैप के साथ उद्यमिता विकास हेतु प्रयास करने का निर्णय लिया। वहाँ पर उपलब्ध जड़ी-बूटियों का औद्योगिक उपयोग कर स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन की बात कही।
डॉ. आलोक कालरा ने बताया कि मणिपुर की स्थानीय समस्याएँ इस प्रशिक्षण से दूर की जा सकती हैं। डॉ. संजय कुमार ने बताया कि सीएसआईआर-सीमैप पूरे देश में एरोमा मिशन का कार्य कर रहा है, जिससे लगभग 36000 हे. क्षेत्रफल में सगंधीय फसलों की खेती हो रही है। डॉ. रमेश कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि मणिपुर मे जिरेनियम, गुलाब, पिपरमिंट एवं नीबूघास तथा सालविया की खेती हेतु काफी उपयुक्त है।
इसी क्रम में सीएसआईआर-सीमैप, लखनऊ के वैज्ञानिकों के प्रयासों द्वारा किसानों के लिये औषधीय एवं सगंध पौधों की उन्नत प्रजातियाँ विकसित की गयी हैं, जिनसे किसानों को अधिक पैदावार व लाभ मिलेगा। इन क्लस्टर के किसानों द्वारा सगंधीय फसलों की खेती से वृहत रूप से जोड़ा गया है। जिसके फलस्वरूप आज भारत नीबूघास व पामारोजा के तेल के उत्पादन में आत्मनिर्भर बन निर्यात करने की ओर अग्रसर है।
डॉ. संजय कुमार (वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक एवं परियोजना अन्वेषक) ने संस्थान की गतिविधियों तथा प्रदत्त सेवाओं के बारें में प्रतिभागियों को जानकारी दी।
आज के तकनीकी सत्र में डॉ. आलोक कालरा द्वारा औषधीय एवं सुगंधित पौधों के सतत कच्चे माल का उत्पादन विषय पर व्याख्यान दिया। डॉ. राम स्वरूप वर्मा द्वारा सुगंधित फसलों के प्रोसेसिंग के बारे मे विस्तार से बताया। डॉ. आरके श्रीवास्तव (कार्यक्रम समन्वयक) ने सीएसआईआर-सीमैप द्वारा पूर्वोत्तर राज्यों में की जा रही गतिविधियों के बारें मे प्रतिभागियों को विस्तार से बताया।
आज के प्रशिक्षण कार्यक्रम में मनोज कुमार (तकनीकी अधिकारी) ने प्रतिभागियों को प्रक्षेत्र का भ्रमण कराया व पौधों की पहचान कराई। इस अवसर पर सीएसआईआर-सीमैप के वैज्ञानिक डॉ. राम सुरेश शर्मा, डीपी मिंडाला, प्रियंका सिंह एवं रजनी गौतम, तकनीकी अधिकारी व शोधार्थी इत्यादि उपस्थित रहे। कार्यक्रम में भाग लेने वाले सभी प्रतिभागी स्नातक हैं।