लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। कबीर की वाणी गीत और नृत्य के माध्यम से मुखरित हुई। रविवार को लोक संस्कृति शोध संस्थान द्वारा सीतापुर रोड स्थित प्रियदर्शिनी कालोनी में आयोजित लोक चौपाल का शुभारम्भ भारतीय वन सेवा के अधिकारी मनोज शुक्ल एवं एन. रवीन्द्र ने सन्त कबीर के चित्र पर पुष्पार्पण के साथ किया। इस अवसर पर संस्थान द्वारा प्रकाशित स्मारिका लोकाभिरामम् का औपचारिक लोकार्पण हुआ। साथ ही वरिष्ठ गायिका एवं केजीएमयू नेत्र रोग विभाग की पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. विनीता सिंह को सावित्री देवी संगीत साधना सम्मान प्रदान किया गया।
कार्यक्रम का शुभारम्भ अर्चना गुप्ता ने भजो रे मन सत्य नाम सुखदायी से किया। साहित्यकार डा. सुरभि सिंह ने कबीर के विचारों के सकारात्मक तत्वों को ग्रहण करने और उसे अपने जीवन में उतारने पर जोर देते हुए कहा कि कबीर ने राम शब्द को व्यापक स्वरूप दिया है। संस्कृतिकर्मी सौरभ कमल ने कबीर को वैचारिक क्रांति का अग्रदूत बताते हुए कहा कि समान भाव से कबीर ने हर धर्म में फैली हुई सामाजिक विकृतियों को बड़े साहस से उजागर किया और ज्ञान पर प्रेम की विजय पताका फहराई।
चौपाल में राम नाम रस भीनी चदरिया झीनी रे झीनी गीत पर निवेदिता भट्टाचार्य के निर्देशन में गुनाश्री आर., स्नेहा प्रजापति, नेहा प्रजापति, संस्कृति व किंजल ने मनमोहक नृत्य किया। वहीं अंतरा के निर्देशन में सौम्या गोयल, भव्या गुप्ता, मिहिका गांगुली, आराध्या, आद्रिका मिश्रा, कर्णिका सिंह, अव्युक्ता, अविका, अम्या सिंह ने कौन ठगवा नगरिया लूटल हो की सामूहिक प्रस्तुति दी।
वरिष्ठ लोकगायिका नीरा मिश्रा ने निर्गुन पिया ऊँची रे अटरिया, डा. विनीता सिंह ने नींद से जाग बन्दे, अरुणा उपाध्याय ने पिया निरमोहिया, चन्द्रेश पाण्डेय ने अभी उमर मोरी, अनीता मिश्रा ने कोयलिया बोले रे सुनाया। आकाशवाणी कलाकार सन्तोष, देवाश्री पवार, ज्योति गुप्ता ने भी प्रस्तुति दी। मौके पर सर्वश्री राजनारायण वर्मा, शैलेन्द्र मौर्य, शम्भू शरण वर्मा, इंजी. सुनील बाजपेयी, डा. एसके गोपाल, भावना शुक्ला, नीलम वर्मा, कैप्टन प्रखर गुप्ता, प्रकाश सहित अन्य मौजूद रहे।