Sunday , November 24 2024

शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य के लिए अपनाएं योग

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस (21 जून) पर विशेष

“स्वयं और समाज के लिए योग” थीम पर मनाया जा रहा दिवस

लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। जीवन का असली आनन्द पूर्ण रूप से स्वस्थ रहने में ही है, चाहे वह शारीरिक स्वास्थ्य हो या मानसिक। जीवन में जल्दी से जल्दी सब कुछ हासिल कर लेने और एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ में आज लोगों के पास अपने लिए वक्त ही नहीं है। समय से सोने, खाने और शारीरिक श्रम के नियम का पालन न करने का परिणाम यह रहा कि लोगों को असमय कई तरह की बीमारियाँ घेरने लगीं। इसी को ध्यान में रखते हुए देश ही नहीं विदेश में भी आज योग को इतनी महत्ता मिल रही है और हर साल 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है। इसके माध्यम से योग को जीवन का अहम हिस्सा बनाने की अपील की जाती है और जगह-जगह योगाभ्यास भी कराया जाता है। इसके साथ ही यह सन्देश भी जन-जन तक पहुंचाया जाता है कि पूर्ण रूप से स्वस्थ, खुशहाल व प्रसन्न व्यक्ति ही अपने साथ समाज और राष्ट्र की समृद्धि में मददगार बन सकता है।

पापुलेशन सर्विसेज इंटरनेशनल के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर मुकेश कुमार शर्मा का कहना है कि योग को देश की प्राचीन परम्परा का एक अमूल्य उपहार माना जाता है, जो शरीर के साथ दिमाग की भी सेहत को दुरुस्त रखता है। हमारी बदलती लाइफस्टाइल में यह एक तरह की ऊर्जा का संचार करता है। इस अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की इस साल की थीम-“स्वयं और समाज के लिए योग” तय की गयी है। इसका मूल उद्देश्य है कि योग न केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य को बढ़ाता है बल्कि सामाजिक कल्याण में भी योगदान देता है।

योग मनुष्य को लम्बी उम्र का वरदान भी प्रदान करता है। योगासन शरीर को लचीला बनाने, पाचन तंत्र को दुरुस्त रखने के साथ ही लीवर-किडनी व शरीर के अन्य आंतरिक अंगों को स्वस्थ बनाने में बहुत ही लाभकारी है। रीढ़ की हड्डी, पेट व कमर के लिए जैसे अर्ध मत्स्येन्द्रासन को बहुत उपयोगी बताया गया है। इसी तरह से सूर्य नमस्कार और प्राणायाम को तो हर किसी के लिए उपयोगी बताया गया है जो कि कई तरह की बीमारियों से शरीर को सुरक्षित बनाते हैं। इनके दैनिक अभ्यास से शरीर निरोगी, स्वस्थ और चेहरे की चमक बढ़ जाती है। पेट की चर्बी घटती है और तनाव को दूर करता है। मासिक धर्म को नियमित करता है और हड्डियों को मजबूत बनाता है। मांशपेशियों में लचीलापन आता है और रक्त का संचार संतुलित मात्रा में होता है।

इस तरह साफ़ कहा जा सकता है कि योग मात्र शारीरिक व्यायाम ही नहीं, अपितु एक सम्पूर्ण चिकित्सा विज्ञान भी है। योग के पथ पर चलने के साथ ही यह भी जरूरी है कि जीवन में सत्य, अहिंसा, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह, सोच, संतोष, तप और स्वाध्याय को भी शामिल करें तभी सही मायने में योग का लाभ मिल सकता है।