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UPMRC ने पर्यावरण संरक्षण के लिए उठाए कई अनूठे कदम

5 जून- विश्व पर्यावरण दिवस विशेष

कार्बन फुटप्रिंट घटाने और ग्रीन कवर ग्रीन कवर बढ़ाने में निभाई प्रमुख भूमिका

प्रतिवर्ष सोलर ऊर्जा से 40 लाख यूनिट से ज्यादा बिजली का हो रहा उत्पादन

एनर्जी एक्सचेंज कार्यक्रम के तहत नेशनल ग्रिड से किफायती बिजली खरीद से डेढ़ साल में 3.5 करोड़ रुपए की बचत

लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। यूपीएमआरसी ने अपनी स्थापना के बाद से लगातार पर्यावरण संरक्षण और हरियाली को बढ़ावा देने की दिशा में कई कदम उठाए हैं। सौर ऊर्जा के दोहन के लिए व्यापक रूप से सोलर प्लांट लगा कर नवीकरणीय ऊर्जा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दर्शाया है। लखनऊ और कानपुर मेट्रो की कुल सौर क्षमता 4.412 मेगावाट है। जबकि लखनऊ में अकेले ट्रांसपोर्ट नगर मेट्रो डिपो में 2.28 मेगावाट का सौर संयंत्र है, पांच मेट्रो स्टेशनों पर सामूहिक रूप से 1 मेगावाट का सौर संयंत्र है। इसके अतिरिक्त ट्रांसपोर्ट नगर और मुंशीपुलिया में आरएसएस भवनों में से प्रत्येक में 10-10 किलोवाट संयंत्र और गोमतीनगर में प्रशासनिक भवन में 12 किलोवाट संयंत्र शामिल हैं।

1MW का सौर संयंत्र कानपुर मेट्रो डिपो में स्थापित किया गया है। अभी प्रतिवर्ष लगभग 40 लाख यूनिट बिजली सौर ऊर्जा से उत्पन्न की जी रही है जिससे निश्चित तौर पर कार्बन फुट प्रिंट कम करने में मदद मिली है।


यूपी मेट्रो ने एनर्जी एक्सचेंज कार्यक्रम के अंतर्गत वाली राज्य का पहली संगठन है, जिसने पिछले 1.5 वर्षों में 3.5 करोड़ रुपये की बिजली की बचत की है। लखनऊ मेट्रो के संचालन और रखरखाव के लिए बिजली ‘ओपन एक्सेस मॉडल’ के तहत इंडियन एनर्जी एक्सचेंज (आईईएक्स) के माध्यम से खरीदी जाती है। बिजली दरें एक्सचेंज द्वारा 15-15 मिनट के ब्लॉक में विभाजित 24 घंटों के लिए तय की जाती हैं। यूपीएमआरसी सिर्फ उन ब्लॉक में बिजली खरीदता है जिसके लिए उचित दरें मिल रही हों और बाकि शेष खंडों के लिए यूपी मेट्रो उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (यूपीपीसीएल) से मानक दरों पर बिजली खरीद आपूर्ति पूरी करता है। इस मॉडल के जरिए यूपीएमआरसी ने एक महीने में अधिकतम 45 लाख रुपये की ऊर्जा की बचत की है।

यूपीएमाआरसी ने 1.1 लाख वर्ग मीटर का विशाल ग्रीन कॉरिडोर का निर्माण किया है। इस हरित क्रांति का नेतृत्व करते हुए, लखनऊ मेट्रो 65,000 वर्ग मीटर की हरियाली कवर प्रदान कर रहा है। इसके बाद कानपुर मेट्रो 35,000 वर्ग मीटर के साथ और आगरा मेट्रो लगभग 1,200 वर्ग मीटर का योगदान देता है। पॉलिटेक्निक चौराहा, मेट्रो डिपो, मेट्रो ऑफिसर्स कॉलोनी केडी सिंह स्टेडियम और पूरे मेट्रो कॉरिडोर के बीचों-बीच जैसे प्रमुख स्थान अब इन हरे पेड़-पौधों की बदौलत बेहतर शहरी परिदृश्य का आनंद ले रहे हैं।

यूपी मेट्रो का जल संरक्षण प्रयास पर्यावरण नीति में मील का पत्थर साबित हो रहा है। हर साल, लखनऊ, कानपुर और आगरा मेट्रो सामूहिक रूप से सालाना लगभग 35 लाख लीटर वर्षा जल का संरक्षण करते हैं, जिससे स्थायी जल प्रबंधन प्रथाओं के प्रति अपनी प्रतिबद्धता मजबूत होती है। जल संरक्षण उपायों में पानी का पुन: उपयोग कर मेट्रो ट्रेन को धोना एवं बागवानी करना शामिल हैं। पानी का यह पुन: उपयोग यूपीएमआरसी के सतत संसाधन उपयोग के प्रति समर्पण को रेखांकित करता है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि पानी के हर बूंद को ज्यादा से ज्यादा काम में लाया जा सके।

इसके अतिरिक्त, लखनऊ, कानपुर और आगरा मेट्रो डिपो में जीरो डिस्चार्ज सुविधा से सुनिश्चित होता है कि पर्यावरण में प्रदूषण का एक कड़ भी ना जाए। डिपो में स्वचालित कंपोस्टिंग मशीनों को लगाया गया है जो कचरे को उर्वरक में बदल कर पर्यावरण की प्रति यूपीएमआरसी की जिम्मेदरी को दर्शाता है।

यूपी मेट्रो के प्रबंध निदेशक सुशील कुमार ने कहाकि पर्यावरण संबंधी पहल शहरी विकास के प्रति संस्थान के दूरदर्शी दृष्टिकोण को दर्शाता है। ग्रीन कॉरिडोर, जल संरक्षण प्रणालियों और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को एकीकृत कर यूपी मेट्रो न केवल शहरी जीवन की गुणवत्ता को बढ़ा रहा है बल्कि टिकाऊ प्रथाओं के लिए एक मानक भी स्थापित कर रहा है। इस पर्यावरण दिवस पर आइए यूपी मेट्रो के अनुकरणीय प्रयासों से प्रेरणा लें और अपनी पृथ्वी को हरा-भरा एवं टिकाऊ बनाने में अपना भी अहम योगदान दें।