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उम्रदराज और युवाओं में बढ़ रहे हैं डिमेंशिया के मामले, मेडिकल एक्सपर्ट्स ने जताई चिंता

युवाओं में बढते मामलों का प्रमुख कारण खराब लाइफ़ स्टाइल

  • नोएडा के फोर्टिस हॉस्पिटल ने डिमेंशिया के बढ़ते मामलों से निपटने की पहल के रूप में शुरू किया “मेमोरी क्लिनिक”

नोएडा (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। भारत एक बड़े जन स्वास्थ्य संकट का सामना कर रहा है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि 2050 तक दुनिया भर में डिमेंशिया के रोगियों की संख्या लगभग तिगुनी हो जाएगी। यह चिंताजनक प्रवृत्ति लाखों भारतीयों और उनके परिवारों के लिए भी एक गंभीर खतरा है, जिस पर तत्काल ध्यान और सक्रिय उपाय करने की आवश्यकता है। यह बीमारी तेजी से युवाओं को भी अपनी गिरफ्त में ले रही है, विशेषज्ञ इसका बड़ा कारण खराब लाइफस्टाइल को मानते हैं।

डिमेंशिया एक ऐसा रोग है जिसमें स्मरण शक्ति, सोचने की क्षमता और सामाजिक व्यवहार को प्रभावित करने वाले कई रोग शामिल हैं। अल्जाइमर रोग डिमेंशिया का सबसे आम रूप है, हालांकि इसके अन्य कारण भी मौजूद हैं। इस मामले में भारत विशेष रूप से असुरक्षित है, विशेषज्ञों का अनुमान है कि 60 वर्ष और उससे अधिक आयु के 8.8 मिलियन से अधिक भारतीय वर्तमान में किसी न किसी प्रकार के डिमेंशिया से पीड़ित हैं।

फोर्टिस हॉस्पिटल, नोएडा में न्यूरोलॉजी की डायरेक्टर डॉ. ज्योति बाला शर्मा कहती हैं, “डिमेंशिया को समझना महत्वपूर्ण है। क्योंकि उच्च रक्तचाप, मधुमेह, मोटापा और अवसाद जैसे जोखिम कारक युवा आबादी को तेजी से प्रभावित कर रहे हैं। जिसकी प्रमुख वजह युवाओं की ख़राब लाइफ स्टाइल है। जिसकी वजह से उनके ऊपर डिमेंशिया का खतरा मंडरा रहा है। हमारे यहां कई युवा भी अकसर भूलने की समस्या को लेकर आते हैं। इससे पता चलता है कि आने वाले वर्षों में हम डिमेंशिया को कम उम्र के लोगों को प्रभावित करते हुए देख सकते हैं।”

डिमेंशिया रोगियों और उनकी देखभाल करने वालों के लिए विशेष देखभाल और सहायता की महत्वपूर्ण आवश्यकता को पहचानते हुए, फोर्टिस हॉस्पिटल नोएडा ने एक मेमोरी क्लिनिक शुरू किया है। यह क्लिनिक व्यापक सेवाएं प्रदान करता है, जिसमें मेमोरी स्क्रीनिंग, निदान, संज्ञानात्मक व्यायाम और व्यक्तिगत देखभाल शामिल हैं। इस पहल का उद्देश्य रोगियों के जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाना है और साथ ही उनके परिवारों को आवश्यक सहायता प्रदान करना है।

डॉ. शर्मा बताती हैं, “डिमेंशिया का जल्दी पता लगाना और उसका इलाज करना बहुत जरूरी है। कुछ तरह के डिमेंशिया ठीक किए जा सकते हैं और बाकी में भी इलाज से मरीज और उनके परिवारों की जिंदगी बेहतर हो सकती है।

फोर्टिस हॉस्पिटल, नोएडा में न्यूरोलॉजी के डायरेक्टर डॉ. कपिल कुमार सिंघल कहते हैं, “डिमेंशिया की घटनाएं बढ़ती उम्र के साथ बढ़ती हैं। अध्ययन के अनुसार, 2050 तक, भारत में लगभग 20% आबादी 60 वर्ष से अधिक आयु की होगी। 2050 तक डिमेंशिया रोगियों की संख्या लगभग 2-3 गुना बढ़ जाएगी। हमारा लक्ष्य डिमेंशिया के बढ़ते प्रभाव के बारे में जागरूकता बढ़ाना और एक ही स्थान पर ऐसी सुविधा प्रदान करना है जहां रोगी और उनके परिवारों को आवश्यक सहायता मिल सके। मेमोरी क्लिनिक फोर्टिस हॉस्पिटल की संवेदनशील, रोगी-केंद्रित देखभाल के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।”

डॉ. सिंघल ने कहा, ‘डिमेंशिया से जुड़े जोखिम कारक जैसे शिक्षा का निम्न स्तर, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, मोटापा, शारीरिक निष्क्रियता, अवसाद, धूम्रपान और शराब का सेवन भारत में डिमेंशिया के बढ़ते मामलों के प्रमुख कारण हैं।’

फोर्टिस हॉस्पिटल नोएडा के जोनल डायरेक्टर मोहित सिंह ने इस लॉन्च के लिए अपना उत्साह व्यक्त करते हुए कहा, “हम अपने समुदाय की स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, और मेमोरी क्लिनिक का उद्घाटन डिमेंशिया जैसी जटिल चिकित्सा स्थितियों के लिए नवीन समाधान प्रदान करने के हमारे समर्पण की पुष्टि करता है।”