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आचार्य देव ने बताया अक्षय तृतीया पर पूर्ण होंगे सभी कार्य, जानें इस दिन क्या करें?

अक्षय तृतीया 2024: अक्षय शब्द का शब्दिक अर्थ है, जिसका कभी क्षय ना हो। वैशाख के महीने में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि का दिन ऐसा ही संयोग बनता है। इस तिथि को बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन बहुत से शुभ कार्य बिना किसी मुहूर्त ही किए जा सकते हैं। इस वर्ष अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya) 10 मई, 2024 को पड़ रहा है।

आपको बता दें, ग्रह गोचर होने की स्थिति में भी इस दिन शुरू की गई कोई भी कार्य मंगलमय होता है। तो आइए, VAMA के ज्योतिष आचार्य डॉ देव से जानते हैं, कि इस दिन क्या करें क्या ना करें

आकाशीय घटनाओं में सूर्य चंद्रमा के 12 अंशों की दूरी से एक दिन की गणना की जाती है। इस गणना में हमारी घड़ी के अनुसार कभी किसी तिथि की वृद्धि होती है, तो कभी कभी तिथि क्षय हो जाती है।

क्षय शब्द का अर्थ है, किसी तिथि का होकर भी दिखाई ना देना। मतलब जैसे सूर्य उदय के बाद शुरू हुई तिथि और अगले दिन के सूर्य उदय से पहले समाप्त होती है, तो उसको क्षय होना कहा जाता है। परन्तु अक्षय तृतीया के विषय में ये ख़ास बात है, इसका कभी क्षय नहीं होती।

इस दिन बन रहा है शुभ योग

10 मई को अक्षय तृतीया के दिन सूर्य और शुक्र का मेष राशि में गोचर हो रहा है, जिससे शुक्रादित्य योग बन रहा है। साथ ही इस दिन मीन राशि में मंगल और बुध की युति से धन योग, शनि के मूल त्रिकोण राशि कुंभ में होने से शश योग और मंगल के उच्च राशि मीन में होने की वजह से मालव्य राजयोग और वृषभ राशि में चंद्रमा और गुरु की युति से गजकेसरी योग बन रहा है।

ऐसे में इस दिन वृषभ, सिंह और कन्या राशि वालों के लिए धन, समृद्धि और सफलता में वृद्धि होने के योग बनेंगे।

आइए, अब जानते हैं, अक्षय तृतीया पर क्या करें?

इस दिन शुभ कार्य के रूप में विवाह आदि जैसे मांगलिक कार्य किए जाते हैं

विद्यार्थियों के अध्ययन शुरू करने के लिए, उत्तम दिन होता है। इस दिन नया व्यवसाय शुरू कर सकते हैं

इस दिन अगर किसी को रोग है, तो नए सिरे से दवाई लेने से जल्द आराम मिलता है। औषधि निर्माण के लिए आज का दिन बहुत शुभ माना जाता है। नया वाहन लेने के लिए बहुत शुभ दिन होता है। नए आभूषण लेने के लिए उत्तम दिन माना जाता है। इस दिन दिया गया दान, करोड़ों गुणा फल देता है। इस दिन किये गये पुण्य कर्म लाख गुणा बढ़ कर शुभ फल देते हैं। 

अक्षय तृतीया से जुड़ी पौराणिक कहानियां

भगवान परशुराम जी का जन्मोत्सव

मान्यता है कि आज के ही दिन भगवान परशुराम जी का जन्म हुआ था। भगवान परशुराम जी विष्णु जी के 6वें अवतार माने जाते हैं। इनका जन्म ब्राह्मण कुल में महऋषि जमदग्नी व रेणुका के पुत्र रूप में मध्यप्रदेश के इन्दौर जिला में ग्राम मानपुर के जानापाव पर्वत में हुआ। 

भगवान परशुराम ने 21 बार धरती से दुष्ट अत्याचारी क्षत्रियों का नाश किया। इन्होने क्षत्रियों को युद्ध कौशल भी सिखाए। भगवान पशुराम जी को 7 चिरन्जिवियों में गिना जाता है।

महाभारत और विष्णुपुराण के अनुसार परशुराम जी का मूल नाम राम था, किन्तु जब भगवान शिव ने उन्हें अपना परशु नामक अस्त्र प्रदान किया, तभी से उनका नाम परशुराम जी हो गया।

अक्षय तृतीया के दिन परशुराम जी के मन्त्र का जाप करना चाहिए।

ॐ ब्रह्मक्षत्राय विद्महे क्षत्रियान्ताय धीमहि तन्नो राम: प्रचोदयात्।।

ॐ जामदग्न्याय विद्महे महावीराय धीमहि तन्नो परशुराम: प्रचोदयात्।।

ॐ रां रां ॐ रां रां परशुहस्ताय नम:।।

गंगा अवतरण दिवस

अक्षय तृतीया के दिन गंगा जी धरती पर आई थी। आकाशगंगा में वास करने वाली गंगा जी का आगमन सबके लिए हित कारक सिद्ध हुआ। इस दिन गंगा जी में स्नान करने का विशेष महत्व है।  

राजा भगीरथ द्वारा की गई तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव जी फल स्वरूप अपनी जटा में देवी गंगा को बांधकर धरती पर आए। इन सब घटनाओं से ये दिन और भी पवित्र हो जाता है।

देवी अन्‍नपूर्णा का जन्‍म

देवी अन्नपूर्णा पार्वती माता का रूप है। देवी अन्नपूर्णा का जन्म अक्षय तृतीया के दिन हुआ था। समृद्धि की देवी अन्नपूर्णा जी को माना जाता है। ये देवी सभी प्राणियों का पेट भरती है। इस दिन देवी अन्नपूर्णा की पूजा की जाती है, ताकि उनके घर में अन्न के भंड़ार सदा भरे रहें। इस दिन लोग अन्न का दान भी करते हैं।

महाभारत से भी है कनेक्‍शन

महाभारत में अक्षय तृतीया के विषय में कहा गया है। महर्षि वेद व्यास ने इस दिन महाभारत लिखना शुरू किया। महाभारत से ही पता लगता है कि युधिष्ठिर को अक्षय तृतीया के दिन अक्षय पात्र वरदान रूप में मिला था।

अक्षय पात्र एक ऐसा पात्र था, कि वनवास के दौरान वरदान में मिले अक्षय पात्र में द्रौपदी तक भोजन करने के समय तक भोजन समाप्त नहीं होता था।

महाभारत से ही पता लगता है, जब द्रोपदी का चीर हरण हुआ तब श्री कृष्ण जी ने अक्षय तृतीया के दिन ही उनकी लाज बचाई थी।

सुदामा मिले थे कृष्‍ण से

ये कथा भगवान कृष्ण को अक्षय तृतीया से जोड़ती है। सुदामा भगवान कृष्ण के बाल सखा थे। सुदामा गरीब थे। अपनी गरीबी से परेशान हो कर सुदामा भगवान श्री कृष्ण के राज्य में गए।

लाज के कारण सुदामा भगवान श्री कृष्ण से कुछ भी नही कह पाए, परन्तु भगवान कृष्ण उनके मन की बात समझ चुके थे। घर पहुचने पर सुदामा ने देखा उसके घर से गरीबी जा चुकी थी। ऐसा पता लगता है, कि जिस दिन सुदामा भगवान जी से