फिल्म के प्रमोशन के लिए नवाबों के शहर पहुँची टीम
लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। भारतीय फिल्मों में क्रूर घटनाओं और सामूहिक नरसंहार जैसे विषय को लेकर फिल्म बनाने का ट्रेंड देखा जा रहा है। फिल्म मेकर्स इतिहास में घटित ऐसी घटनाओं पर साहस के साथ फिल्म बना रहे हैं जिस पर पहले खुलकर बात भी नहीं की जाती थी। फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ कश्मीर में हिंदुओं के नरसंहार के सच को उजागर किया था। वहीं अब फ़िल्म ‘रजाकार’ देश की आजादी के समय हैदराबाद में हिंदुओं के नरसंहार को दर्शा रही है।
समरवीर क्रिएशन एलएलपी के बैनर तले बनी फिल्म ‘रजाकार’ द साइलेंट जेनोसाइड ऑफ हैदराबाद भारत के स्वतंत्रता संग्राम के अतीत को रेखांकित और लौहपुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल के योगदान को समर्पित है। बुधवार को फ़िल्म के प्रमोशन के लिए नवाबों के शहर पहुंचे निर्माता गुदुर नारायण रेड्डी ने बताया कि फिल्म में स्वतंत्रता संग्राम के वक्त हैदराबाद के निजाम के आदेश पर हुए अत्याचार को दर्शाया गया है। फिल्म रजाकार को दक्षिण भारतीय भाषा के साथ हिंदी में भी बड़े पर्दे पर रिलीज किया गया है। यह फिल्म पूरे भारत मे 26 अप्रैल को रिलीज होने के बाद दर्शकों को बहुत पसंद आ रही है। उन्होंने कहाकि कांग्रेस के करीब 60 वर्षों के शासनकाल में जिस सच को देशवासियों से दबाया और छिपाया गया वह इस फ़िल्म के माध्यम से अब लोगों के सामने आई है।
फिल्म रजाकार के मुख्य अभिनेता राज अर्जुन ने बताया कि यह एक ऐसी फिल्म है, जिसे हर भारतीय को देखना चाहिए। एक ऐसा अत्याचार जो आजादी के बाद स्थानीय लोगो को भुगतना पड़ा। यह फिल्म देश के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी ‘लौहपुरुष’ सरदार वल्लभ भाई पटेल को समर्पित है। गुजरात में जन्मे सरदार पटेल देश के पहले उप प्रधानमंत्री और भारत के पहले गृहमंत्री भी थे। उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत के दौरान भी कई बड़े आंदोलन चलाए और स्वतंत्रता के बाद उन्हीं की कोशिशों से कई रियासतों को एक कर भारत में शामिल किया गया था। हैदराबाद को भारत मे विलय कराने में उनका अमूल्य योगदान था।
फिल्म अभिनेत्री अनुसूया त्रिपाठी ने बताया कि इस फिल्म में महिलाओं के साथ हुए अमानवीय व्यवहार को दर्शाया गया है। उन्होने बताया कि लखनऊ के बारें में जितना सुना था उससे कहीं ज्यादा देखने को मिला। यहां का खान-पान, चिकन के कपड़े, ऐतिहासिक धरोहरें और बातचीत करने का तरीका बहुत कुछ आकर्षित करता है।