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नैमिषारण्य के प्रारूप एवं विकास पर दो दिवसीय कार्यशाला 25 अप्रैल से

लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। धर्मार्थ कार्य विभाग, उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग और इंडिया थिंक काउंसिल के तत्वाधान में नैमिषारण्य स्थित अंतर्राष्ट्रीय वैदिक विज्ञान केंद्र के प्रारूप एवं विकास की रूपरेखा पर दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन 25-26 अप्रैल को इन्दिरा गांधी प्रतिष्ठान में किया जाएगा।

वैदिक विज्ञान केंद्र, नैमिषारण्य की स्थापना का उद्देश्य वेद और पुराणों के संरक्षित ज्ञान और बुद्धिमत्ता पर शोध और प्रसार करना है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जून, 2023 में वैदिक विज्ञान केंद्र के विकास की घोषणा की थी। इस क्षेत्र में धार्मिक पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। सरकार द्वारा ‘नैमिषारण्य धाम तीर्थ विकास परिषद’ का गठन इस पवित्र तपस्थली के विकास और सौंदर्यीकरण की दिशा में एक प्रयास है।

लखनऊ के समीप सीतापुर जिले में स्थित नैमिषारण्य एक पवित्र तीर्थ स्थल है। प्राचीन काल में करीब 88 हजार ऋषि-मुनियों की तपोस्थली और वेद-पुराणों की ‘रचना स्थली’ रही है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, ब्रह्मा जी के चक्र से जिस स्थान पर पृथ्वी में छेद हुआ और जल का एक विशाल भंडार उत्पन्न हुआ था, उसे चक्रतीर्थ के नाम से जाना जाता है। नैमिषारण्य महाभारत और पुराण में वर्णित एक पवित्र स्थान है।  

इस दो दिवसीय कार्यशाला का उद्देश्य दुनिया भर के वैदिक ज्ञान और संबद्ध विज्ञान के विद्वानों तथा विशेषज्ञों द्वारा निम्नलिखित प्रमुख विषयों के वैज्ञानिक, अनुसंधान-अध्ययन व अभ्यास के साथ पाठ्यक्रम संरचना के विकास पर मंथन करना है।

कार्यशाला का शुभारंभ 25 अप्रैल को प्रमुख सचिव, संस्कृति, पर्यटन एवं धर्मार्थ कार्य मुकेश कुमार मेश्राम के स्वागत संदेश द्वारा होगा। प्रो. रमेश चन्द्र, सदस्य नीति आयोग अपने उद्घाटन संबोधन में ‘कृषि अर्थव्यवस्था और सतत विकास’ पर अपने विचार रखेंगे। इसके बाद स्वामी चिदानन्द सरस्वती, अध्यक्ष, परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश, ‘पारिस्थितिकी, पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन एवं वैदिक समाधान’ विषय पर अपने विचार रखेंगे।