कटेहटी स्थित हनुमानगढी धाम में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा में उमड़ रही श्रद्धालुओं की भीड़
प्रतापगढ़ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। भौतिकता से दूर रहकर हरिभजन करने जो व्यक्ति स्वयं को पूरी तरह ईश्वर को समर्पित कर देता है, वही सच्चा भक्त होता है। यह बातें कटेहटी स्थित हनुमानगढी धाम में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिवस श्रीराम जानकी मंदिर बाबा घुश्मेश्वरनाथधाम के महंत उमापतिदास जी महराज ने कहीं।
मुख्य यजमान अजीत प्रताप सिंह व रागिनी सिंह के संयोजन में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा में कथा व्यास ने कहाकि श्रीमद्भागवत का मूल वैराग्य, ज्ञान और हरि से मिलने का मार्ग प्रशस्त करने का है। भागवत का मर्म समझ लेने वाले मानव का मोक्ष सम्भव हो जाता है।
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उन्होंने भगवान श्री हरि के चौबीस अवतारों का सारगर्भित वर्णन करते हुए श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने कहाकि धरा पर जब भी अधर्म बढ़ा, प्रभु ने धर्म की रक्षा और स्थापना के लिए धरती पर विभिन्न रुपों में जन्म लिया। कथा व्यास ने सुखदेव जन्म की व्याख्या कर लोगों को भावविभोर कर दिया। उन्होंने कहा कि राजा परीक्षित के कारण ही कलयुग में भागवत श्रवण करने का सुअवसर मानव जाति को प्राप्त हुआ है।
कथा व्यास ने भागवत के चार अक्षरों की व्याख्या करते हुए कहा कि सम्पूर्ण विश्व का कल्याण भागवत में निहित है। इसका तात्पर्य यह है कि भा से भक्ति, ग से ज्ञान, व से वैराग्य और त से त्याग जो हमारे जीवन में प्रदान करे, उसे हम भागवत कहते है। कथा व्यास ने द्वितीय दिवस के विविध प्रसंगों का सरस वर्णन कर श्रोताओं में आध्यात्मिकता का संचार किया। इस मौके पर केके सिंह, डा. केके मिश्र, पं. उपेंद्र मिश्र, फौजी रामकरण शुक्ल, शिवमराज पांडेय, आनंद सिंह, विवेक तिवारी सहित काफी संख्या में भक्त मौजूद रहे।