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सप्लाई किए गए माल का भुगतान समय से न मिलना गंभीर समस्या : नीरज सिंघल

लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन द्वारा बुधवार को आईआईए भवन में उत्तर प्रदेश के MSE फैसिलिटेशन काउंसिल मेंबर्स के ओरिएंटेशन हेतु सेमिनार आयोजित किया गया। सेमिनार में उत्तर प्रदेश की सभी 18 सूक्ष्म एवं लघु उद्यम फैसिलिटेशन काउंसिलो के 50 से अधिक सदस्यों ने व्यक्तिगत अथवा ऑनलाइन माध्यम से प्रतिभाग किया। जिसमें संयुक्त आयुक्त उद्योग, लीड बैंकों के सदस्य इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के सदस्य तथा लघु उद्योग भारती के सदस्य शामिल थे।

बतौर मुख्य अतिथि मौजूद मोहन प्रसाद (अपर मुख्य सचिव MSME एवं Export Promotion उत्तर प्रदेश) ने कहा कि हमारे फैसिलिटेशन काउंसिल के सदस्य जागरूक होंगे तो वह प्रदेश के सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों के लंबित भुगतानों का निपटारा जल्द और प्रभावी ढंग से करवा सकते हैं। औद्योगिक संगठनों को इस प्रकार के नॉलेज बेस्ड सेमिनार अधिक से अधिक संख्या में आयोजित करने चाहिए।

आईआईए के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीरज सिंघल ने कहाकि आईआईए द्वारा यह सेमीनार अपने मिशन Transforming MSME’S Towards Industry  4.0 और 4.8 के अंतर्गत आयोजित किया गया है। देश और प्रदेश में सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों द्वारा सप्लाई किए गए माल का भुगतान समय से न मिलने की गंभीर समस्या है। यदि इन उद्योगों को भुगतान समय से मिल जाए तो वे अपने उद्योगों का विस्तार कर पाएंगे। जिससे नए रोजगार उत्पन्न होंगे और सरकार का राजस्व भी बढ़ेगा। नीरज सिंघल ने कहाकि वर्तमान में सूक्ष्म एवं लघु उद्यम फैसिलिटेशन काउंसिल के कामकाज में कुछ खामियां हैं। आईआईए इस सेमिनार में की गई चर्चा के आधार पर इन गैप एरियाज को पाटने के लिए सरकार को शीघ्र एक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।

मुख्य वक्ता सुरेश ढोले ने सूक्ष्म एवं लघु उद्यम फैसिलिटेशन काउंसिल की प्रक्रिया से संबंधित विभिन्न कानूनी पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि MSME डेवलपमेंट एक्ट 2006 जिसके अंतर्गत फैसिलिटेशन काउंसिल बनाई गई है। सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों की सहायता के लिए बहुत सख्त अधिनियम है। अतः इस अधिनियम के सभी प्रावधानों की जानकारी फैसिलिटेशन काउंसिल के सभी सदस्यों को होना अनिवार्य है। काउंसिल (जो एक अर्ध न्यायिक निकाय है) का प्रत्येक सदस्य एक न्यायाधीश होता है जिसकी सामाजिक जिम्मेदारी होती है। अतः काउंसिल में जो भी लंबित भुगतान के मामले एवं लघु उद्यमों की ओर से आते हैं उनको सर्वप्रथम समझौता कराकर सुलझाने के प्रयास किए जाने चाहिए। यदि यह संभव न हो तो एक्ट के अनुसार कानूनी प्रक्रिया अपनानी चाहिए।

संजय कौल (पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष आईआईए) ने 1993 से लागू डिलेड पेमेंट एक्ट से लेकर आज लागू एमएसएमई डेवलपमेंट एक्ट 2006 में वर्णित कानूनी प्रावधानों का वर्णन पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से प्रस्तुत किया। उन्होंने फैसिलिटेशन काउंसिल के कार्य करने में आने वाली विभिन्न भ्रांतियों को भी स्पष्ट किया। आईआईए के पूर्व अध्यक्ष अजय गुप्ता ने अपने अनुभव व्यक्त करते हुए बताया कि उनकी काउंसिल द्वारा सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों को लगभग 163 करोड रुपए का भुगतान समझौता वार्ताओं द्वारा दिलाए गए हैं। यह काउंसिल महीने में 8  बैठके आयोजित करती है, आज तक इस काउंसिल द्वारा 300 से अधिक उद्यमों के भुगतान दिलाए गए हैं।

सहारनपुर डिविजनल की फैसिलिटेशन काउंसिल के सदस्य प्रमोद मिगलानी (पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष आईआईए) ने भी सेमिनार में अपने अनुभव साझा किये और प्रतिभागियों की जिज्ञासों का समाधान किया गया। सेमिनार का संचालन केके अग्रवाल (चेयरमैन आईआईए डिलेड कमेटी और बस्ती डिविजन में आईआईए  की ओर से फैसिलिटेशन काउंसिल के सदस्य) द्वारा किया गया। सेमिनार के प्रतिभागियों का स्वागत दिनेश गोयल (वरिष्ठ उपाध्यक्ष आईआईए) ने किया। जबकि धन्यवाद प्रस्ताव अवधेश अग्रवाल (राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष) द्वारा दिया गया।