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माँ के दूध की तरह मातृभाषा का भी कोई विकल्प नहीं होता

लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। जिस प्रकार माँ के दूध का विकल्प नहीं होता उसी प्रकार मातृभाषा का भी कोई विकल्प नहीं होता। इसीलिए भारतीय ज्ञान परम्परा में जननी और जन्मभूमि को सर्वोच्च स्थान दिया गया है। उक्त विचार रविवार को प्रो. शैलेंद्र कपूर ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय अलीगंज में आयोजित अंतर राष्ट्रीय सम्मेलन के दूसरे दिन व्यक्त किए।

भारतीय ज्ञान परम्परा पर आयोजित इस त्रिदिवसीय संगोष्ठी के दूसरे दिन रविवार को देश के मूर्धन्य विद्वानों का उद्बोधन हुआ। गोष्ठी को सम्बोधित करते हुये चिंतक विचारक एवं राव आईएएस के निदेशक अंशुमन द्विवेदी ने कहा कि जो मुक्त करती है वो विद्या है और जो बांधती है वो अविद्या है। वेद का ज्ञान ही विद्या है। संस्कृति का पतन कभी नहीं होता भले ही सभ्यता का पतन हो जाये। मकान सभ्यता है घर संस्कृति है।

गोष्ठी के मुख्य वक्ता स्कूल ऑफ एजुकेशन (इग्नू) नई दिल्ली के वरिष्ठ प्रोफेसर अरविंद झा ने कहाकि ज्ञान परम्परा टर्म की बजाये भारतीय ज्ञान तंत्र या प्रणाली होना चाहिए। उन्होंने शिक्षा के मूल भूत प्रश्नों को खोजने और उनसे जुड़ने पर बल दिया। विशिष्ट वक्ता प्रोफेसर बृजेंद्र पांडे ने अकादमिक जगत से जुड़े लोगों से अपेक्षा की कि वो राजनीति को सही दिशा दिखायें। उन्होंने भारतीय पुनर्जागरण को भारतीय इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण दौर घोषित किया।

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विवि जम्मू के क्षेत्रीय निदेशक डा. जय प्रकाश वर्मा ने अपने वक्तव्य में चार्वाक दर्शन और वेदांत दर्शन जैसे परस्पर विरोधी अवधारणाओं का उल्लेख करते हुए भारतीय ज्ञान परम्परा के लक्ष्य को आनंदोन्मुखी बताया। गोष्ठी में डा. राघवेंद्र मिश्र प्रणय प्रतिवेदक के रूप में मौजूद रहे तथा भावपूर्ण कविता पाठ किया।

इसके अलावा दो तकनीकी सत्रों में क्रमशः ज्ञान साहित्य और दर्शन के क्षेत्र में भारतीय ज्ञान परम्परा तथा भारतीय ज्ञान परम्परा में वैज्ञानिक दृष्टिकोण एवं प्रयोगधर्मिता पर भी विद्वानों ने विचार व्यक्त किये। इसमें प्रमुख रूप से गुजरात से आए डा. गंगा प्रसाद शर्मा, प्रो. ओमकार उपाध्याय, डा. अवधेश मिश्रा, डा. सत्यकेतु, डा. रोमीना सिंह, डा. जवाहर लाल, डा. आभा मिश्रा, डा. राघवेंद्र प्रताप, डा. बबिता पांडे, डा. ब्रेड विंडन, डा. सुभाष यादव डा. गगन कुमार ने अपने सारगर्भित विचार व्यक्त किये।

गोष्ठी में उपस्थित प्राचार्य प्रो. अनुराधा तिवारी ने कहा कि भारतीय ज्ञान हमारे गौरव की अभिवृद्धि करता है। भारतीय ज्ञान ने सारी दुनिया में अपना प्रभाव जमाया है। उन्होंने अतिथियों का पुष्पगुच्छ तथा अंगवस्त्र प्रदान कर सम्मान किया। गोष्ठी का सफल सारगर्भित एवं प्रभावी संचालन डा. शरद वैश्य व डॉ. श्वेता भारद्वाज ने किया।अन्य सत्रों का संचालन डॉ. मीनाक्षी, डॉ. श्रद्धा, प्रो. कंचनलता एवं राहुल पटेल ने सफलतापूर्वक किया।