मोबाइल के दौर में विलुप्त हो रहीं हैं लोक कलाएं : जयवीर सिंह
लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने 18 मंडलों के 18 ग्राम प्रधानों/प्रतिनिधियों को ढोलक, हारमोनियम, मजीरा, घुंघरू तथा झींका वाद्ययंत्रों की किट वितरित करते हुए कहाकि राज्य सरकार ग्रामीण अंचलों की लोक संगीत एवं विरासत को संवर्धित करने के लिए एक अनूठी पहल की गई है। भविष्य में प्रदेश के समस्त ग्राम सभाओं को चरणबद्ध रूप से वाद्ययंत्रों का सेट प्रदान किया जायेगा।
उन्होंने कहा कि मोबाइल के बढ़ते प्रभाव के कारण ग्रामीण संस्कृति और लोक संगीत की शैली प्रभावित हुई है। इसको जीवंत बनाये रखने के लिए राज्य सरकार ने ग्राम पंचायतां को वाद्ययंत्र उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है। संगीत नाटक अकादमी गोमतीनगर के परिसर में संस्कृति विभाग की ओर से आयोजित कार्यक्रम में लोक कलाकार वाद्ययंत्र योजना के तहत ग्राम पंचायतों को वाद्ययंत्र वितरित करने के अवसर पर 18 मण्डलों के 475 ग्राम प्रधान/उनके प्रतिनिधि मौजूद थे।
जयवीर सिंह ने ग्राम प्रधानों का आवाह्न किया कि प्रदेश के इतिहास में पहली बार इस तरह के कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रेरणा एवं कुशल मार्गदर्शन से यह कार्यक्रम संभव हो पाया है।
पर्यटन मंत्री ने कहाकि सदियों से गांवों में अपनी लोकगायन की अनूठी परम्परा चलती आई है। मोबाइल के आने से धीरे-धीरे लोककला एवं वाद्ययंत्र विलुप्ति की कगार पर पहुंच रहे हैं। इस लोक विरासत एवं समृद्ध संस्कृति को बचाने की जिम्मेदारी हम सभी की है। लोक संस्कृति की बहुत गहरी जड़े हैं। गॉव देहात की अपनी अनूठी शैली होती है। इसके माध्यम से सामाजिक एकता, भाईचारा एवं सामाजिक सद्भाव का तानाबाना बना रहता है। उन्होंने कहा कि आधुनिक दौर में मोबाइल के कारण लोग एकांतवादी होते जा रहे हैं, जो हमारे लोक जीवन एवं लोक संस्कृति के लिए अच्छा संकेत नहीं है।
जयवीर सिंह ने कहाकि लोक संगीत एवं कलाकार सामाजिक एकता को मजबूत करने का कार्य करते हैं। राज्य सरकार लोक संगीत, कला एवं वाद्ययंत्रों को जीवित रखने के लिए ग्राम पंचायतों को किट प्रदान करने की पहल की है। धीरे-धीरे सभी ग्राम पंचायतों में वाद्ययंत्र उपलब्ध करा दिये जायेंगे। इससे जहां एक ओर सामाजिक सद्भाव को बढ़ावा मिलेगा, वहीं दूसरी ओर प्राचीन विरासत को जीवंत बनाकर अगली पीढ़ी तक पहुंचाने का कार्य भी संभव होगा। उन्होंने कहा कि देश के विकास तथा राष्ट्र की मुख्यधारा में भागीदारी की शुरूआत गांव से ही होती है। गॉव में ही भारत की आत्मा बसती है।
जयवीर सिंह ने कहा कि वह स्वयं ही लम्बे समय तक ग्राम प्रधान रहे हैं। ग्राम प्रधान विकास की रीढ़ होता है। देश के प्रधानमंत्री ने भारत को ग्लोबल लीडर बनाने का संकल्प लिया है। आज भारत ब्रिटेन को पीछे छोड़कर विश्व की 5वीं अर्थव्यवस्था बन चुका है। वह दिन दूर नहीं जब भारत दुनिया की तीसरी अर्थव्यवस्था बनेगा। उन्होंने कहाकि भारत को ग्लोबल लीडर बनाने में उ0प्र0 ग्रोथ इंजन के रूप में कार्य कर रहा है। इसमें ग्राम प्रधानों को महत्वपूर्ण भूमिका होगी। उन्होंने कहा कि वर्ष 2047 तक भारत को विकसित भारत बनाना है।
जयवीर सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री की प्रेरणा एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कुशल मार्गदर्शन में उ0प्र0 पर्यटन के हब के रूप में विकसित हो रहा है। प्रदेश में 403 विधानसभा क्षेत्रों में एक पर्यटन स्थल विकसित करने का निर्णय लिया गया है। उप्र नये भारत का नया उप्र है। यह देश के लिए ग्रोथ इंजन का कार्य कर रहा है। जिसके कारण लोगों की धारणा प्रदेश के बारे में बदली है। उन्होंने ग्राम प्रधानों से आह्वान किया कि पूरी ईमानदारी एवं निष्ठा के साथ बिना भेदभाव के गॉव का विकास करें।
इस अवसर पर प्रमुख सचिव संस्कृति एवं पर्यटन मुकेश मेश्राम ने प्रदेश के लगभग प्रत्येक जनपद से पधारे 475 ग्राम प्रधानों को बधाई देते हुए कहा कि मोबाइल के दौर में लोक कलायें विलुप्त हो रहीं हैं। पहले के समय में अलग-अलग संस्कारों के अवसर पर गायन वादन होता था। ग्रामीण लोक संस्कृति को जीवंत बनाने के लिए वाद्ययंत्रों का वितरण किया जा रहा है। वित्तीय वर्ष 2024-25 में 1000 ग्राम पंचायतां के लिए वाद्ययंत्रों की व्यवस्था बजट में की गई है। आगामी वर्षों में सभी 59 हजार ग्राम पंचायतों को वाद्ययंत्र उपलब्ध कराये जायेंगे।
इस मौके पर पर्यटन मंत्री ने प्रयागराज जनपद के अजीत कुमार मौर्य, वाराणसी के मनोज कुमार, मिर्जापुर के मो. याकूब, आगरा के सुधीर, अलीगढ़ के मुकेश कुमार, गोण्डा के अखिलेश, गोरखपुर के ओमप्रकाश यादव, आजमगढ़ के ब्रजेश कुमार मौर्या, बस्ती के सुभाष चन्द्र, झांसी के हरिश्चन्द्र, लखनऊ की संगीता, कानपुर की सपना चतुर्वेदी, मुजफ्फरनगर के आशी कुमार, मुरादाबाद के मनोज कुमार, बरेली की कीर्ति सिंह, अयोध्या के राकेश कुमार यादव, मेरठ के विकास सिंह तथा चित्रकूट के प्रतिनिधि को वाद्ययंत्रों की किट प्रदान की।
इस अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों में देढ़िया लोकनृत्य, यादवृंद नाद, फूलों की होली, शिवोहम आदि मुख्य आकर्षण का केंद्र रहे। समारोह में भातखण्डे संस्कृति विश्वविद्यालय की कुलपति मांडवी सिंह, सहायक निदेशक संस्कृति रेनू रंग भारती तथा अहिरवार के अलावा विचार परिवार के सामाजिक प्रतिनिधि राम कृपाल सिंह भदौरिया सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे।