लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में स्वेज फाउंडेशन इंडिया ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर अहम कदम उठाया है। फाउंडेशन की ओर से एसिड अटैक सर्वाइवर्स को समर्पित चिकनकारी कढ़ाई ट्रेनिंग सेंटर का अनावरण किया गया। सपनों की उड़ान फाउंडेशन के सहयोग से इस सराहनीय पहल का उद्देश्य उन महिलाओं के बीच कौशल विकास और आर्थिक स्वतंत्रता बढ़ाना है, जिन्होंने बेहद नकारात्मक परिस्थितियों का सामना किया है।
महापौर सुषमा खरकवाल की मौजूदगी में आंबेडकर पार्क के पास शीरोज कैफे पर इस ट्रेनिंग सेंटर का उद्घाटन हुआ। स्वेज फाउंडेशन इंडिया और सपनों की उड़ान फाउंडेशन की ओर से 30 जरूरतमंद और हौंसलों को उड़ान देने वाली महिलाओं को चयनित करने के साथ ही उनको सहयोग दिया गया। समारोह के जरिए उनको नए जीवन की शुरुआत करने में मदद मिली। अपने ‘वन सिटी वन ऑपरेटर’ मॉडल के तहत स्वेज ने इस प्रभावशाली प्रोजेक्ट का नेतृत्व करने के लिए सपनों की उड़ान फाउंडेशन को चुना। इस दौरान महापौर सुषमा खरकवाल ने कहा कि “यह स्वेज़ फाउंडेशन इंडिया द्वारा एक बहुत अच्छी पहल है, मैं महिला एसिड अटैक सर्वाइवर्स को उनकी आजीविका कमाने में सहायता करने के लिए यह केंद्र खोलने के लिए स्वेज़ टीम को बधाई देती हूं। मैं इस पहल के लिए सपनों की उड़ान फाउंडेशन को भी बधाई देती हूं।”
परियोजना निदेशक राजेश मठपाल के लिए यह पल भावुक रहा। उन्होंने कहा कि यह केंद्र भारत और दुनियाभर में महिलाओं की अटूट भावना को दर्शाता है। इसके जरिए यह साफ मेसेज जाएगा कि विकास और वित्तीय स्वतंत्रता की दिशा में उनकी यात्रा में बाधा नहीं डाली जा सकती है। स्वेज फाउंडेशन इंडिया में हमारी प्रतिबद्धता ऐसे नेक कार्यों के प्रति एकदम अटूट है। यह हमारी शिष्टता-मर्यादा है जिसके जरिए हम गर्व से कह सकते हैं कि मैं अपने समुदाय का रक्षक हूं, मैं अपनी बहन का रक्षक हूं।
इस पहल का उद्देश्य न केवल कौशल विकास करना है, बल्कि आशाओं का ताना-बाना बुनने का प्रयास करना है। ताकि इन महिलाओं को सम्मान और ताकत के साथ समाज में अपना स्थान फिर से हासिल करने के लिए सशक्त बनाया जा सके। चिकनकारी कढ़ाई की ट्रेनिंग अपने आप में बेहद सुंदरता और सांस्कृतिक महत्व को समेटे हुए है। यह न केवल आजीविका का एक साधन देती है बल्कि इन लोगों को अपने अस्तित्व और जीती हुई बाजियों की कहानियों को सिलाई के जरिए एक कैनवास देती है।
स्वेज फाउंडेशन इंडिया की इस तरह की पहल के जरिए महिलाओं का उत्थान तो होता ही है साथ ही उनमें सामाजिक बेहतरी और प्रतिकूल परिस्थितियों में भी चट्टान की तरह खड़े होने का हौसला आ जाता है।