टेक्नोलॉजी के डिब्बे से बाहर है साहित्य का मेला : विधानसभाध्यक्ष
सम्मोहित करने वाली वाश शैली की चित्र कार्यशाला शुरू
लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। रवीन्द्रालय लान चारबाग में चल रहे लखनऊ पुस्तक मेले में गुरुवार को आम पाठकों और साहित्य कला संस्कृति का संगम दिखा। मेले में जहां विधानासभाध्यक्ष सतीश महाना ने पुस्तकों का विमोचन किया, वहीं जलरंग चित्रों की विशिष्ट वाश शैली का चार दिवसीय प्रशिक्षण भी प्रारम्भ हो गया। महिला दिवस पर शुक्रवार को विशेष कार्यक्रम होंगे और सुर सागर कार्यक्रम में सुरों की महफिल सजेगी।
मेले में आज विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने श्रीधर अग्निहोत्री की किताब भुला न देना, डा. मनीष शुक्ल के कथा संग्रह प्रोफेसर मां के लाल और रश्मि कौशल की पुस्तक महाशून्य का विमोचन किया। इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष ने कहाकि टेक्नोलॉजी के डिब्बे यानी मोबाइल से बाहर आकर ही साहित्य का मेला दिखेगा। हम टेक्नोलॉजी के गुलाम हो गये हैं। कहीं इस एक हाथ के पकड़े डब्बे के कारण हमारा दिमाग भी डब्बा न हो जाएं, क्योंकि जो हम सुनते हैं वहीं सोचते हें फिर वही करते हैं। उन्होंने मंच से न्योता दिया कि मेले में आये सभी साहित्यकार विधानसभा में आयें भ्रमण करें। उसके बदले स्वरूप को देखें जाने और कार्य प्रणाली को समझें।
लेखक डा. मनीष ने कहा कि कहानियाँ हर किसी के आसपास बिखरी हुई हैं। प्रोफेसर माँ के लाल भी जीवन में होने वाली घटनाओं से ली गई कहानियों का संग्रह है। श्रीधर अग्निहोत्री ने बताया कि उनकी किताब में सिनेमा और टीवी के उन सुपर स्टार कलाकारों का जिक्र है, जिनकी वक्त के साथ चमक फीकी पड़ गई और वो भुला दिये गए। इस अवसर पर डा. अमिता दुबे, सिद्धार्थ कलहंस, विनोद शुक्ल, अलका प्रमोद, रेखा बोरा, डा. शिल्पी शुक्ला, पंचानन मिश्र, मनोज शुक्ल मनुज, राजीव तिवारी, चंद्रभूषण सिंह, गजल गायक सरभजीत सिंह आदि की उपस्थिति में चर्चित कवियों ने काव्यपाठ किया।
मेले में महिला विषयों के संग ही महिला साहित्यकारों महाश्वेता देवी, महादेवी वर्मा, शिवानी, मैत्रेयी पुष्पा, मन्नू भण्डारी, तस्लीमा नसरीन, मालती जोशी, गीतांजलिश्री, शरद सिंह आदि की किताबों की खूब मांग है। मेले के लगभग हर स्टाल पर महिला विषयक पुस्तकें हैं।
कार्यक्रमों की शुरुआत करते हुए आज सुबह मंच पर हुये विश्वम महोत्सव में नृत्यांगन समूह द्वारा लोक नृत्य और लोक गीत प्रस्तुत किए। इसी क्रम में श्रीनिवास त्रिपाठी की पुस्तक कोरोना विषाणु और केपीएस वर्मा की पुस्तक कुछ टूटने की आवाज़ पर यूपी त्रिपाठी ने चर्चा की। डा. राही मासूम रजा एकेडमी का कार्यक्रम वसुंधरा फाउंडेशन की ओर से स्वर्गीय मनोज अग्रवाल चांदवासिया की किताब मृगनयनी का विमोचन हुआ। साथ ही गांधी दर्शन और महिला सशक्तिकरण पर राम किशोर की अध्यक्षता व ज्योति किरन रतन के संचालन में पद्मश्री डा. विद्या विंदु सिंह, आनन्द वर्धन सिंह, अखिलेश श्रीवास्तव चमन, डा. करुणा पाण्डेय और संयोजक राकेश श्रीवास्तव आदि ने विचार व्यक्त किये।
जलरंग शैली के विख्यात चित्रकार सुखबीर सिंह को समर्पित वाश शैली की विशिष्ट प्रदर्शनी के संग चित्रकला कार्यशाला आज से प्रारम्भ हो गयी। चार प्रतिभागियों ने इस दुरूह शैली की बारीकियों को कार्यशाला प्रशिक्षक डा.स्तुति सिंघल से समझा। कल कुछ और प्रतिभागी भी शामिल होंगे। कार्यशाला मेला समापन की तारीख 10 मार्च तक चलेगी। राजीव वत्सल के संयोजन में अभा साहित्य परिषद की महानगर शाखा की संगोष्ठी में डा. वीर सिंह मार्तंड, निर्भय गुप्ता, विजय त्रिपाठी, मनमोहन बाराकोटी तमाचा लखनवी, अनिल किशोर शुक्ल निडर, राम प्रकाश शुक्ल प्रकाश, ज्योति किरन रतन अलका श्रीवास्तव आदि ने राम नाम और देश प्रेम काव्य रस धारा बहायी। निःशुल्क प्रवेश वाले मेले में हर किताब पर कम से कम 10 प्रतिशत की छूट मिल रही है। यह मेला फोर्स वन बुक्स के साथ विश्वम फाउण्डेशन, ओरिजिन्स, ट्रेड मित्र और ज्वाइन हैण्ड्स फाउण्डेशन आदि के सहयोग से हो रहा है।
08 मार्च के कार्यक्रम
पूर्वाह्न 11 बजे साहित्य सरोज पत्रिका एवम गोपाल राम गहमरी संस्था द्वारा कहानी पाठ
मध्याह्न 12 बजे सुर सागर प्रतियोगिताएं
अपराह्न 2 बजे वाश शैली की चित्रकला कार्यशाला (मंच से अलग)