प्लेसमेंट की आड़ में हो रही मानव तस्करी, रोकथाम के लिए करनी होगी ये पहल

लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। डिजिटल युग में मानव तस्कर भी हाईटेक हो गए है और नई नई तकनीक अपना रहे है। ऐसे में मानव तस्करी को रोकने के लिए चलाए जा रहे अभियान में बदलाव करना होगा। मानव सेवा संस्थान सेवा गोरखपुर द्वारा बुधवार को एक होटल के सभागार में बाल अधिकारों एव मानव तस्करी की रोकथाम हेतु तंत्र को मजबूत करने के उद्देश्य से आयोजित कार्यशाला में उक्त बातें वक्ताओं ने कहीं।

राज्य स्तरीय बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष डा. देवेंद्र शर्मा की अध्यक्षता में एक दिवसीय राज्य स्तरीय बहु हितधारकों की कार्यशाला आयोजित की गई। मानव सेवा संस्थान सेवा के निदेशक राजेश मणि त्रिपाठी ने अतिथियों का पुष्प गुच्छ एवं स्मृति चिन्ह देकर स्वागत किया। उन्होंने कहा कि महिलाओं व बच्चों का अनैतिक कारोबार उनके स्वतंत्रता स्वास्थ्य, न्याय एवं प्रतिष्ठा के साथ जीने के अधिकारों का खुला उल्लंघन है। यह एक विशेष उल्लेख्य है कि सरकार ने इसके रोकथाम की दिशा में प्रदेश के सभी जनपदों में एएचटीयू की स्थापना कर दी है। अब यदि सभी के लिए एक एसओपी बन जाय तो कार्य करने में काफी सरलता हो जाएगी। 

उन्होंने कहा कि बच्चों एवं महिलाओं की तस्करी, इनका व्यापार, शोषण एवं उत्पीड़न का मामला कोई नई समस्या नहीं है। आए दिन इन समस्याओं से हम रू-ब-रू होते रहे हैं। देश में कड़े कानूनी प्रावधान के अभाव में इस घृणित कृत्य को पेशा बना चुके अपराधी पकड़े जाने के बाद भी आसानी से बच जाते थे। अब केंद्र सरकार द्वारा पारित किए गए बिल की वजह से अब इस अपराध पर प्रभावी नियंत्रण लगेगा।

मुख्य अतिथि राज्य स्तरीय बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष डॉ. देवेन्द्र शर्मा ने कहाकि बच्चो के चेहरे पर जब तक हम मुस्कान नही देख लेते तब तक हमको चैन नहीं मिलता है। पूरे प्रदेश के बच्चों के चेहरे पर हम मुस्कान देखने के उद्देश्य से कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहाकि बाल सरंक्षण के लिए सबसे बड़ी चुनौती है नशा। बच्चो को किसी भी दुकान दार द्वारा नशीला पदार्थ नही देना चाहिये, इसके लिए सभी को जागरूक होना पड़ेगा। मेडिकल या आबकारी की दुकानों पर सीसी टीवी कैमरा लगे होने चाहिए जिससे बच्चों को नशीली पदार्थ जैसे वस्तुएं न दी जा सके। इसके लिये पहल शुरू हो चुकी है। नारकोटिक्स को कम करने को लेकर 12 से 23 जनवरी तक कालेजों में अभियान चलाकर जागरूक किया गया एवं शपथ दिलाई गई। उन्होंने कहा हम 2030 तक प्रदेश को बाल विवाह मुक्त बनाने के उद्देश्य से कार्य कर रहे हैं। 18 वर्ष तक बच्चा जहां जहां है, बाल आयोग उनके सुरक्षा के लिए वहां वहां जाएगा।

महिला एवं बाल कल्याण विभाग के डिप्टी डायरेक्टर पुनीत मिश्रा ने कहा कि किसी का भी बच्चा हो, बच्चा हम सभी का है बच्चे को सुरक्षित माहौल देना हम सब की जिम्मेदारी है, हम सब को मिलकर बच्चो के सुरक्षा के लिए प्रयास करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि मानव तस्करी के आयाम काफी बढ़ गए है। इसीलिए हम सब को सोचना होगा कि क्या और बेहतर किया जाय जिससे मानव तस्करी पर लगाम लगाया जा सके। उन्होंने कहा कि प्लेसमेंट एजेंसियों के रेगुलेशन का सिस्टम बनाये जाने की आवश्यकता है।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के पूर्व संयुक्त सचिव ओपी ब्यास ने कहाकि मानव तस्करी के कारण बंगाल देश की सुरक्षा के लिए चुनौती बन गया है। वहां बांगलादेशी बस गए है और रोहिंगाओ को भी बसा रहे है। उनके आधार कार्ड भी बन गए है, जो चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि नौकरी के नाम पर प्लेसमेंट एजेंसियां मानव तस्करी को बढ़ावा दे रहीं है। जिसको रोकने की आवश्यकता है।

परिवार को एकीकृत करने की आवश्यकता है, परिवार संस्कारित होगा, बच्चे संस्कारित होंगे तो हमारा देश संस्कारित हो जाएगा, जिससे मानव तस्करी पर रोक लगाने में मदद मिलेगी। वर्तमान में हमे देखना चाहिए, वर्तमान ठीक रहेगा तो भविष्य अपने आप ठीक हो जाएगा। 

राज्य स्तरीय बाल संरक्षण आयोग की सदस्या डॉ. सुचिता चतुर्वेदी ने कहाकि ट्रैफकिंग सभी जगह है लेकिन देश की सीमाओं पर कुछ ज्यादा है। सीमाई क्षेत्रों में सबसे अधिक होम्स की आवश्यकता है। आज आधार में छेड़छाड़ कर बच्चियों की उम्र बढ़ा दी जा रही है। जबकि आधार कार्ड में छेड़छाड़ करना बड़ा क्राइम है। कौशल विकास के नाम पर आधार बदल कर छेड़ छाड़ कर दिया जाता है। उसके बाद बच्चियों को बाहर भेज दिया जाता है। उन्होंने कहा कि ईट भट्टों पर बाल श्रम के दौरान बच्चों की मौत हो रही है लेकिन क्या हम बाल श्रम को रोक पा रहे है, इस पर भी चिंता करने की जरूरत है।

विधि विशेषज्ञ प्रो. ओमकार नाथ तिवारी ने कहाकि बड़ी संख्या में लड़के और लड़कियां शोषित हो रही हैं। मां को तरसना पड़ेगा, बिना मां के सबकुछ अधूरा है। जिन परिवारों के पास बच्चा रहा है वहाँ मापदंड होना आवश्यक है। समाज को भी अपना दायित्व समझना पड़ेगा तभी बच्चे सुरक्षित होंगे। उन्होंने कहा कि बाल श्रम नहीं होना चाहिए लेकिन हमें इस बात पर भी मंथन करना होगा कि बच्चे बाल श्रम क्यों कर रहे है, उनके परिवार की आर्थिक स्थिति कैसी है। 

स्पेस 2 ग्रो के प्रोग्राम मैनेजर सम्पूर्णा भरद्वाज ने ऑनलाइन के माध्यम से होने वाली बाल तस्करी के बारे में विस्तृत जानकारी दी। लीगल एक्सपर्ट एमएच जैदी ने साइबर क्राइम से हो रहे बाल अपराधो के बारे में जानकारी दी। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक कोऑपरेशन एंड चाइल्ड डेवलपमेंट के एक्सपर्ट ट्रेनर करुणा नारंग ने जेजेबी से सम्बंधित विस्तृत जानकारी साझा किया। 

इस अवसर पर मानव सेवा संस्थान के पार्टनर डायरेक्टर मयंक त्रिपाठी, प्रोग्राम मैनेजर धर्मेंद्र सिंह, प्रोग्राम समन्वयक मोहम्मद शमून, डीसी जय प्रकाश गुप्ता, सेंटर इंचार्ज बृजलाल यादव, चंद्रशेखर सिंह, राम नरेश यादव, महेश राणा, अवधेश कुमार, वरुण कुमार, अर्जुन कुमार, गोमा वीसी, स्पेस 2 ग्रो की अशिता शर्मा सहित प्रदेश के कई जिलों से एएचटीयू, डीसीपीयू, सीडब्ल्यूसी के अध्यक्ष एवं सदस्य तथा प्रधानगण, आशा बहुएं, आंगनवाड़ी कार्यकत्रियां इत्यादि मौजूद रहे।