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स्वदेशी ज्ञान परंपरा को वर्तमान तकनीक से संबद्ध करने पर दिया जोर

लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। नेताजी सुभाष चंद्र बोस राजकीय स्नातकोत्तर महिला महाविद्यालय अलीगंज में प्राचार्य प्रोफेसर अनुराधा तिवारी के मार्गदर्शन एवं विज्ञान संकाय के प्राध्यापकों प्रोफेसर शरद कुमार वैश्य, प्रोफेसर कंचन लता, डॉक्टर ज्योति, डॉक्टर पारुल मिश्रा, डॉ. राहुल पटेल, डॉ. रोशनी सिंह, डॉ. श्रद्धा द्विवेदी के नेतृत्व में महाविद्यालय के विज्ञान संकाय, विज्ञान भारती एवं महाविद्यालय की इंस्टीट्यूशन इन्नोवेशन काउंसिल के तत्वाधान में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस समारोह 2024 का आयोजन किया गया। इस अवसर पर महाविद्यालय में आयोजित विज्ञान प्रदर्शनी में विज्ञान की छात्राओं के द्वारा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एवं मशीन लर्निंग का उपयोग करते हुए विभिन्न प्रकार के प्रोजेक्ट, मॉडल एवं चार्ट का प्रदर्शन किया गया।

प्रदर्शित किए गए मॉडल में पलक सिंह व रचना तिवारी द्वारा स्मार्ट ब्लाइंड स्टिक, स्मार्ट ऑटोमेटिक टोल गेट सिस्टम, सेल्वी कश्यप एवं गीता खांकरियाल द्वारा स्मोक डिटेकटर, स्मार्ट डोर सिस्टम, सोनार रडार सिक्योरिटी सिस्टम, लक्ष्मी यादव व नेहा राजपूत द्वारा ब्लूटूथ कंट्रोल कार एवं स्मार्ट डस्टबिन, शिवांशी सिंह द्वारा प्लांट मॉनिटरिंग सिस्टम, मानसी यादव द्वारा स्मार्ट स्टडी लैंप, शुभा कश्यप एवं प्रीति सिंह द्वारा ऑब्सटेकल अवॉइडर कार तथा स्मार्ट वॉटर डिस्पेंसर का प्रदर्शन किया गया। इसके साथ ही छात्राओं ने विज्ञान दिवस की थीम “इंडीजीनस टेक्नोलॉजी फाॅर विकसित भारत” की परिकल्पना से संबंधित विभिन्न प्रकार के चार्ट का प्रदर्शन किया। जिसमें भारत में प्राचीन काल से वर्तमान में प्रयोग की जा रही स्वदेशी तकनीकी की जानकारी दी गई।

इस अवसर पर महाविद्यालय के अटल सभागार में आयोजित कार्यक्रम में प्राचार्या ने मुख्य अतिथि रुचि शुक्ला (प्रबंध निदेशक शिपिंग अर्क) एवं मुख्य वक्ता प्रोफेसर बबीता पांडे का स्वागत करते हुए स्वदेशी ज्ञान परंपरा को वर्तमान तकनीक से संबद्ध करने पर बल दिया। कार्यक्रम संयोजक प्रोफेसर शरद कुमार वैश्य ने राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के महत्व पर प्रकाश डालते हुए नोबेल पुरस्कार विजेता, भारत रत्न प्रोफेसर सीवी रमन का जीवन परिचय एवं रमन प्रभाव के बारे में छात्राओं को बताया। मुख्य वक्ता प्रोफेसर बबीता पांडे ने भारतीय ज्ञान परंपरा एवं स्वदेशी तकनीक तथा उसका वर्तमान आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में उपयोग सहित भारतीय दर्शन में उल्लिखित बुद्धि, मानस, चित्त, अहंकार, आत्मन को वर्तमान एआई तकनीक से संबद्ध किया।

मुख्य अतिथि रुचि शुक्ला ने बताया कि वर्तमान की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक बाइनरी पद्धति पर कार्य करती है, जिसमें प्रमुख अवयव 0 तथा 1 हैं। शून्य की खोज भारतीयों द्वारा ही की गई है। उन्होंने महाभारत काल में वर्णित चक्रव्यूह की तुलना कोडिंग वी डिकोडिंग से की। कार्यक्रम का संचालन डॉ. रोशनी सिंह एवं धन्यवाद ज्ञापन प्रो. कंचन लता ने किया। कार्यक्रम में प्रोफेसर संजय बरनवाल, डॉ. शालिनी श्रीवास्तव, प्रोफेसर सारिका सरकार, डॉ. राजीव यादव, डॉ. पूनम वर्मा, डॉ. क्रांति सिंह, डॉ. श्वेता भारद्वाज, डॉ. अरविंद, डॉ. मीनाक्षी शुक्ला, डॉ. विशाल प्रताप सिंह, डॉ. प्रतिमा शर्मा, डॉ. भास्कर शर्मा, अमित राजशील, राजकुमार वर्मा सहित महाविद्यालय परिवार के सभी सदस्यों ने उपस्थित रहकर छात्राओं का उत्साहवर्धन किया।