– सेवा यात्रा में 750 से अधिक चिकित्सकों तथा चिकित्सा छात्र-छात्राओं की टोलियॉं लगाएंगी कैम्प
– 280 गॉंवों में शिविर के माध्यम से एक लाख से अधिक लाभार्थियों तक पहुँचने का लक्ष्य
– लखीमपुर खीरी, बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर और महराजगंज में लगेंगे नि:शुल्क चिकित्सा शिविर
लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। गुरु गोरखनाथ सेवा यात्रा (चतुर्थ) का शुभारम्भ शुक्रवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वर्चुअल माध्यम से किया। इसके अंतर्गत चिकित्सा क्षेत्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की अनुषांगिक शाखा नेशनल मेडिकोज ऑर्गेनाइजेशन अवध प्रान्त एवं गुरु गोरक्षनाथ सेवा न्यास की ओर से भारत-नेपाल सीमा के जिलों में थारू जनजातियों की चिकित्सा के लिए केजीएमयू से लगभग 750 डॉक्टरों की टीम रवाना की गई है। इस आयोजन में वर्चुअली अवध क्षेत्र के प्रांत प्रचारक कौशल जी, नेशनल मेडिकोज़ आर्गेनाईजेशन के राष्ट्रीय बौद्धिक प्रमुख प्रो. एमएलबी भट्ट, प्रांत संगठन मंत्री प्रो. संदीप तिवारी एवं गुरु गोरखनाथ सेवा न्यास के सचिव डॉ. भूपेन्द्र सिंह समेत विभिन्न मेडिकल एवं पैरामेडिकल के छात्र उपस्थित रहे। वहीं, तमाम चिकित्सक एवं सहयोगी संगठनों के पदाधिकारी कार्यक्रम में ऑनलाइन माध्यमो से जुड़े रहे।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, ‘मुझे जानकर अत्यंत प्रसन्नता की अनुभूति हो रही है कि प्रदेश के भारत-नेपाल सीमावर्ती थारू एवं वनटांगिया क्षेत्र में 9 से 11 फरवरी तक गुरु गोरखनाथ स्वास्थ्य सेवा यात्रा का आयोजन किया जा रहा है। सेवा यात्रा के तहत जनपद लखीमपुर खीरी, बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर और महराजगंज में नि:शुल्क चिकित्सा शिविर आयोजित किये जाएंगे।’ उन्होंने कहा कि दूरदराज के ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं को पहुंचाने के उद्देश्य से गुरु गोरखनाथ सेवा यात्रा का आयोजन एक अभिनंदनीय प्रयास है। मुझे अवगत कराया गया है कि विगत चार वर्षों से नेशनल मेडिकोज ऑर्गेनाइजेशन अवध प्रांत ईकाई और श्री गोरखनाथ सेवा न्यास तथा सहयोगी संगठनों के सम्मिलित प्रयास से गुरु गोरखनाथ सेवा यात्रा का आयोजन सफलतापूर्वक सम्पन्न हो रहा है।
सीएम ने बताया कि वर्ष 2023 में आयोजित की गई सेवा यात्रा में 52 मेडिकल कॉलेज के 650 चिकित्सकों द्वारा 280 स्वास्थ्य शिविरों के माध्यम से 85000 मरीजों का परीक्षण एवं उपचार किया गया था। वर्ष 2024 में गुरु गोरखनाथ सेवा यात्रा और भी वृहद स्तर पर आयोजित करने का प्रयास किया जा रहा है। इस सेवा यात्रा में 750 से अधिक चिकित्सकों तथा चिकित्सा छात्र-छात्राओं की टोलियों का 280 गॉंवों में शिविर के माध्यम से एक लाख से अधिक लाभार्थियों तक पहुँचने का लक्ष्य है। उन्होंने अपने उद्बोधन के अंत में कहा, ‘मुझे आशा है कि यह सेवा यात्रा बीमारियों से बचाव एवं आरोग्यता प्रदान करने में एक महत्वपूर्ण योगदान करेगी। गुरु गोरखनाथ स्वास्थ्य सेवा यात्रा की सफल हो, यह मेरी कामना है।’
इससे पूर्व कार्यक्रम की जानकारी देते हुए प्रांत संगठन मंत्री प्रो. संदीप तिवारी ने कहा कि गुरु गोरक्षनाथ सेवा यात्रा की परिकल्पना की शुरुआत वर्ष 2018 में हुई थी। एक छोटे से प्रयास से शुरू की गई इस यात्रा ने एक वृहद स्वरूप ले लिया। कोरोना काल में यह यात्रा नहीं हो पाई थी। उसके बाद पुनः: यात्रा का शुभारम्भ किया गया। इसमें भारत-नेपाल सीमा पर बसे गॉंवों में भव्य आकार में चिकित्सा सुविधा दी जाती है। तीसरी यात्रा में इसका आयाम और ज्यादा बढ़ गया। अब चतुर्थ यात्रा में और बड़ी संख्या में लोगों को चिकित्सा सहायता देने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हम जब इस सुदूर गॉंवों में पहली बार गये तो हमने देखा कि बड़ी संख्या में लोगों संसाधनों से वंचित थे। इस यात्रा ने उनकी इस कमी को पूरा किया। बहुत से लोग ऐसे थे जो खुद को भारतीय नहीं मानते थे। वे भी इससे राष्ट्रभाव के लिये प्रेरित हुये। ऐसे में यह यात्रा मात्र चिकित्सीय सेवा यात्रा नहीं है। यह राष्ट्रवाद की भावना से की जाने वाली मानवीय सेवा है। राष्ट्र की सेवा है। कैम्प लगाने के दौरान हमारे डॉक्टर्स ग्रामीणों के घर पर ही रहकर, उनके बीच रहते हुये सेवा करते हैं।
नेशनल मेडिकल ऑर्गेनाइजेशन के संरक्षक प्रोफेसर एमएलबी भट्ट ने आयोजन में शामिल होने वाले सभी चिकित्सकों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि मौनी अमावस्या के दिन हो रहे इस मंगल कार्य की आप सबको बधाई। देश को स्वस्थ राष्ट्र बनाने की ओर यह भावी कदम है। यह यात्रा सेवा भारती, सीमा जागरण मंच, वनवासी कल्याण आश्रम की मदद से इस सेवा यात्रा का आयोजन किया जाता है। नेशनल मेडिकल ऑर्गेनाइजेशन की इस पहल का लाभ सबको मिलता है। खासकर, वंचितों तक चिकित्सीय सुविधा पहुंचाने के इस पुण्य कार्य की सबको बधाई। परोक्ष और प्रत्यक्ष रूप से इस सेवा यात्रा में शामिल डॉक्टर्स को बधाई। नेशनल मेडिकोज ऑर्गेनाइजेशन (एनएमओ) 1977 में किया गया था। इसका उद्देश्य डॉक्टर्स में सेवा भावना को बढ़ावा देना था। बाजारीकरण में डूबे डॉक्टरी पेशे में राष्ट्रहित की भावना को जगाने के लिये इस सेवा यात्रा को आरम्भ किया गया था।
बता दें कि इस यात्रा में लगभग 40 मेडिकल कॉलेज एवं डेन्टल कालेज के डॉक्टर्स एवं चिकित्सा छात्र, सीमावर्ती जिलों के मुख्य चिकित्सा अधिकारी एवं जिलों के चिकित्सक भी प्रतिभाग कर रहे हैं। इस यात्रा में किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय, राम मनोहर लोहिया, आईएमएस बीएचयू एवं प्रदेश के अन्य चिकित्सा संस्थानों के लगभग 750 डॉक्टरों की टीम अगले तीन दिन में 242 थारू जनजाति गांव में चिकित्सा कैम्प आयोजित करेगी। 11 फरवरी को लखीमपुर खीरी, श्रावस्ती, बहराइच, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर एवं महाराजगंज जिलों में मेगा कैम्प एवं समापन समारोह आयोजित किया जायेगा।
चिकित्सीय परामर्श के अतिरिक्त स्वास्थ्य परीक्षण में ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, एनीमिया, दंत चिकित्सा एवं स्वास्थ्य प्रबोधन भी किया जायेगा। इसके अतिरिक्त जिन मरीजों को अग्रिम इलाज के लिए विशिष्ट चिकित्सा संस्थानों में इलाज की आवश्यकता होगी यथा केजीएमयू, आरएमएल, एसजीपीजीआई, बीएचयू, एम्स गोरखपुर, बीआरडी गोरखपुर, प्रयागराज, जीएसवीएम कानपुर, बहराइच, सिद्धार्थनगर, हरदोई, शाहजहांपुर तथा प्रदेश के अन्य मेडिकल कालेजों में निःशुल्क इलाज के लिए सन्दर्भित किया जायेगा।
इस चिकित्सा यात्रा के सफल आयोजन में स्थानीय संघ के स्वयंसेवक, एकल अभियान, सीमा जागरण मंच, विद्या भारती, सेवा भारती, आरोग्य भारती, वनवासी कल्याण आश्रम एनएमओ का सहयोग कर रहे हैं। इन जिलों के सीएमओ एवं जनप्रतिनिधियों का भी सहयोग एवं सहभागिता हो रही है। इन तीन दिनों में लगभग एक लाख से अधिक मरीजों को देखने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।