लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। आठवें पे कमीशन के गठन और पुरानी पेंशन बहाली के इंकार से गुस्साए देशभर के कर्मचारी 16 फरवरी को राष्ट्रव्यापी हड़ताल करेंगे और जिला कलेक्टर आफिस पर धरना प्रदर्शन करेंगे। इसके बावजूद भी मांगों को हल नहीं किया तो सभी राज्यों में लोकसभा चुनाव तक कर्मचारी सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे। जिसमें कर्मचारियों को सरकार की जन एवं मजदूर-कर्मचारी विरोधी नीतियों और मांगों के प्रति सरकार के घोर उपेक्षापूर्ण रवैए की जानकारी दी जाएगी। यह ऐलान गुरुवार को कृषि भवन में हुई उप्र राज्य कर्मचारी महासंघ की बैठक के बाद अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुभाष लांबा ने किया।
बैठक के बाद आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में राष्ट्रीय अध्यक्ष सुभाष लांबा ने कहाकि गत वर्ष बिजली कर्मचारियों एवं इंजीनियर की उप्र में हुई ऐतिहासिक हड़ताल के दौरान ऊर्जा मंत्री के साथ हुए समझौते के तहत उत्पीड़न एवं दमन की कार्यवाहियों को समाप्त न होने की घोर निन्दा की और शीघ्र अतिशीघ्र इसे समाप्त करने की मांग की।
उन्होंने कहा कि पिछले दस सालों में केन्द्र सरकार ने बड़े पूंजीपतियों के करीब 18 लाख करोड़ रुपए बट्टे खाते में डाल दिए हैं और कई लाख करोड़ रुपए टैक्स माफ कर दिए हैं। इतना ही नहीं कारपोरेट टैक्स को 30 से घटाकर 22 प्रतिशत कर लाखों करोड़ रुपए की राहतें दे दी गई है। पूंजीपतियों को लाखों करोड़ की राहत देने के लिए पेट्रोलियम पदार्थों, उर्वरक, रेलवे में सीनियर सिटीजन को मिलने वाली सब्सिडी को समाप्त कर दिया गया है और आम आदमी के खाने पीने की चीजों पर भी जीएसटी लगा दिया गया है। उन्होंने कहा कि दो करोड़ रोजगार हर साल देने का वादा कर सत्ता में आई केन्द्र सरकार के समय बेरोजगारी चरम सीमा पर है। गलत नीतियों के कारण महंगाई, बेरोजगारी, भूखमरी भयंकर रूप से बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि भारी आर्थिक असमानता के कारण धन का केन्द्रीयकरण हो गया है।
उन्होंने आंकड़े देते हुए कहा कि सबसे धनी एक प्रतिशत लोगों के पास देश की कुल धन दौलत का 40 प्रतिशत हिस्सा है और नीचे की 50 प्रतिशत आबादी के पास केवल तीन प्रतिशत हिस्सा है। केवल दस कारपोरेट घरानों के पास 57 प्रतिशत धन दौलत जमा हो गई है। उन्होंने कहा कि ग्लोबल हंगर इंडेक्स की ताजा रिपोर्ट के अनुसार भारत 125 देशों में 111 नंबर पर है। रिपोर्ट के अनुसार 15 से 24 साल की उम्र की 58.1 प्रतिशत महिलाओं में खून की कमी है। उन्होंने कहा कि बेशक भारत पांचवी मजबूत अर्थव्यवस्था में शामिल हो गया है, लेकिन प्रति व्यक्ति आय में भारत 197 देशों में 142 स्थान पर है। उन्होंने कहा कि आज जनता के खून पसीने और टैक्स पेयर्स के पैसों से खड़े किए गए पीएसयू को निजी हाथों में सौंपा जा रहा है और सरकारी विभागों का आकार छोटा किया जा रहा है। ट्रेड यूनियन एवं लोकतांत्रिक अधिकारों पर निरंतर हमले किए जा रहे हैं। सभी श्रम कानूनों को समाप्त कर दिया गया है। शिक्षाविदों एवं शिक्षकों के विरोध के बावजूद देश में जबरन एनईपी को लागू किया जा रहा है। जिसको लेकर कर्मचारियों व मजदूरों में भारी आक्रोश है और वह 16 फरवरी को राष्ट्रव्यापी हड़ताल कर इसका प्रकटीकरण करेंगे।
प्रेस कांफ्रेंस में अखिल भारतीय राज्य सरकारी पेंशनर्स महासंघ के उपाध्यक्ष एसपी सिंह, राज्य अध्यक्ष अमरनाथ यादव, ओपी त्रिपाठी, उप्र राज्य कर्मचारी महासंघ के राज्य अध्यक्ष कमल अग्रवाल, अ.भा.रा.स.क. महासंघ के उपाध्यक्ष कमलेश मिश्रा, सचिव पुनीत त्रिपाठी, एनईसी सदस्य अफिफ सिद्दीकी, यूपी एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट मिनिस्ट्रीयल सर्विसेज एसोसिएशन के प्रधान धर्मेंद्र प्रताप सिंह व महासचिव हेमन्त सिंह खड़का व संदीप पांडेय आदि मौजूद थे।