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कलर्स : ‘डोरी’ के प्रमोशन के लिए नवाबों के शहर पहुंची सुधा चंद्रन, कही ये बात

लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। कलर्स के हाल ही में लॉन्च हुए शो ‘डोरी’ ने पितृसत्तात्मक मानदंडों को चुनौती देने वाली गंगा प्रसाद की पालक बेटी डोरी की कहानी प्रदर्शित करके बालिका-परित्याग पर प्रकाश डाला है। वाराणसी में सेट किया गया, यह विचारोत्तेजक ड्रामा छह साल की एक दृढ़ लड़की के इर्द-गिर्द घूमता है, जो कैलाशी देवी ठाकुर की रूढ़िवादी मानसिकता के खिलाफ खड़ी होती है। कैलाशी देवी ठाकुर वाराणसी में सबसे बड़े हथकरघा साम्राज्य की मालकिन है और ठाकुर घराने पर कड़ा नियंत्रण रखती है। कैलाशी देवी ठाकुर के रूप में सुधा चंद्रन, गंगा प्रसाद के रूप में अमर उपाध्याय, और डोरी के रूप में माही भानुशाली अभिनीत, यह कहानी प्रगतिशील और रूढ़िवादी सोच के टकरावों को प्रदर्शित करने के लिए प्यार बटोर रही है।

इसकी मौजूदा कहानी में, डोरी की बायोलॉजिकल मां, मानसी को यकीन है कि उसकी परित्यक्त बेटी जीवित है। दूसरी ओर, डोरी ने अपने पालक पिता गंगा प्रसाद को बुनकर समुदाय का एक प्रतिभाशाली बुनकर बनाने और कैलाशी देवी की इच्छा के विपरीत उन्हें उनकी अनूठी साड़ी डिज़ाइन का श्रेय दिलाने का बड़ा सपना बुना है। जबकि गंगा डोरी के लिए हर सर्वश्रेष्ठ चीज चाहता है, वह चाहती है कि बुनकर के रूप में उसके पिता के कौशल को पहचान मिले। कैलाशी देवी के कुटिल इरादों के खिलाफ, क्या डोरी की दृढ़ता से उसके पिता को वह सराहना मिल पाएगी जिसके वह हकदार है? पिता और बेटी की इस मनमोहक जोड़ी को ‘डोरी’ पर देखें, जो रोज़ाना रात 9:00 बजे केवल कलर्स पर प्रसारित होता है।

शो के प्रमोशन के लिए नवाबों के शहर लखनऊ पहुंची सुधा चंद्रन ने कहा कि “मैंने लखनऊ घूमने और अपने विचारोत्तेजक ड्रामा, डोरी का प्रचार करने में बिताए गए अपने समय का भरपूर आनंद लिया, जिसे दर्शकों से जबरदस्त प्यार मिला। शो की कहानी उत्तर प्रदेश पर आधारित है और इस खूबसूरत राज्य में इसके बारे में प्रचार करके बहुत ही अच्छा लगा। यह हमारे समाज को दूषित करने वाली छोटी सोच पर प्रकाश डालते हुए, बालिका-परित्याग के मुद्दे को दर्शाता है। मुखिया कैलाशी देवी के रूप में मेरे किरदार को पसंद करने के लिए दर्शकों को धन्यवाद देती हूं, जो दुखद रूप से मानती है कि बेटियां परिवार की विरासत को आगे नहीं बढ़ा सकती हैं। मुझे उम्मीद है कि यह शो देश की कई डोरी को इस छोटी सोच को चुनौती देने के लिए प्रेरित करने का काम करेगा।”