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भ्रांतियों के चलते बच्चे को पर्याप्त स्तनपान नहीं कराती महिलाएं

विश्व स्तनपान सप्ताह (एक से सात अगस्त) पर विशेष 

गर्भधारण के समय से ही स्तनपान व उसके लाभों की जानकारी देने की जरूरत

– अभियानों और कार्यक्रमों से महिलाओं में आ रही जागरूकता

लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। राष्ट्रीय परिवार एवं स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस-4) जो कि साल  2015-16 में किया गया था, के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में शून्य से छह माह की आयु के 41.9 फीसद बच्चों ने छह माह तक केवल स्तनपान किया है। जबकि एनएफएचएस-5 जो कि साल 2019-21 में किया गया था, में यह संख्या बढ़कर लगभग 60 फीसद पहुंच गई है। यह आंकड़े बताते हैं कि समय-समय पर चलने वाले अभियान और जागरूकता कार्यक्रमों से महिलाएं स्तनपान को लेकर जागरूक हुई हैं। हालांकि अभी भी 40 फीसद बच्चे ऐसे हैं, जिन्होंने जन्म के बाद छह माह तक केवल स्तनपान नहीं किया है। स्तनपान को बढ़ावा देने के लिए हर साल एक से सात अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह का आयोजन किया जाता है।

रायबरेली सताँव क्षेत्र की आशा कार्यकर्ता उषा सिंह और लखनऊ के मलिहाबाद ब्लॉक के पुरवा गाँव की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता नविता का कहना है कि 10 में से लगभग दो धात्री महिलाएं अपने बच्चों को छह माह तक केवल स्तनपान नहीं कराती हैं। केवल स्तनपान न कराने के कारण महिलाएं बताती हैं कि उन्हें दूध नहीं हो रहा है या बच्चा भूखा रह जाता है। 

किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय की वरिष्ठ महिला रोग विशेषज्ञ डा. सुजाता देव बताती हैं कि पिछले 20 वर्ष के डाटा बेस से पता चला है कि स्तनपान न कराने का एक प्रमुख कारण यह है कि महिला मान लेती है कि उसे पर्याप्त दूध नहीं हो रहा है। ऐसे में वह अन्य चीजों से बच्चे का पेट भरने की कोशिश करती है। इसलिए जरूरी है कि मां को गर्भ धारण के समय से ही स्तनपान कराने और स्तनपान से बच्चे और मां को होने वाले लाभों के बारे में परामर्श देना चाहिए। उनका कहना है कि शोध बताते हैं कि प्रसव के बाद के शुरुआती महीनों में धात्री महिला द्वारा पर्याप्त दूध का न होना महसूस किया जाता है। इसके कई कारण पाए गए हैं। जिनमें स्तनपान देर से शुरू करना, स्तनपान कराने के तरीके की कम जानकारी, केवल स्तनपान के लाभों के बारे में सीमित जानकारी और फॉर्मूला फीड का भ्रामक प्रचार प्रमुख हैं। 

डा. सुजाता का कहना है कि जन्म के एक घंटें के अंदर शिशु को मां का पीला गाढ़ा दूध (कोलोस्ट्रम) अवश्य पिलाना चाहिए। यह दूध शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्युनिटी पॉवर) को बढ़ाकर उसे संक्रामक रोगों से बचाता है। जन्म के तुरंत बाद मां को बच्चे को सीने से चिपका कर रखना चाहिए, हर दो घंटे बाद और बच्चे के रोने पर स्तनपान कराना चाहिए। वह बताती हैं कि सामान्यतया मां को 24 घंटे में कम से कम 10 से 12 बार बच्चे को स्तनपान कराना चाहिए। इसके अलावा एक स्तन से कम से कम 10 से 15 मिनट तक दूध पिलाना चाहिए। इसके साथ ही स्तनपान कराते समय निप्पल और ऐरिओला बच्चे के मुंह में जाना चाहिए। यदि बच्चा 24 घंटे में 10 से 12 बार पेशाब करता है, अच्छी नींद लेता है और सुस्त नहीं है तो इसका मतलब है कि बच्चे का पेट भरा हुआ है। मां को पर्याप्त दूध हो इसके लिए आवश्यक है कि वह प्रोटीन युक्त आहार, हरी सब्जियां, फल, अधिक मात्रा में पानी और तरल पदार्थों का सेवन करे। इसके साथ ही हर दो घंटे पर बच्चे को छाती से लगाना चाहिए ताकि स्तनों से दूध आसानी से उतरे।