लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। अखिल भारतीय साहित्य परिषद के युवा शोध आयाम द्वारा लखनऊ विश्वविद्यालय के उमा हरीकृष्ण अवस्थी सभागार में आत्मबोध से विश्वबोध थीम के अंतर्गत भारतीय साहित्य, संस्कृति और ज्ञान-परंपरा का वैश्विक पटल पर पुनर्स्थापन विषय पर शोधार्थी संवाद-संगोष्ठी आयोजित की गई।
कार्यक्रम की अध्यक्षता साहित्य परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री डॉ. पवनपुत्र बादल ने की तथा मुख्य अतिथि के रूप में प्रांत अध्यक्ष डॉ. विजय त्रिपाठी उपस्थित रहे। मुख्य वक्ता लखनऊ विश्वविद्यालय पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के अध्यक्ष प्रो. सौरभ मालवीय ने भारतीय ज्ञान-परंपरा के विश्वकल्याणकारी दृष्टिकोण पर प्रकाश डाला। विशिष्ट वक्ता राजनीति शास्त्र विभाग के डॉ. अमित कुशवाहा ने भारतीय एवं पाश्चात्य चिंतन की मूलभूत भिन्नताओं को स्पष्ट किया।
कार्यक्रम का संचालन शोध आयाम के राष्ट्रीय प्रमुख आदर्श सिंह ने किया। राजनीति शास्त्र, इतिहास, हिंदी, समाजशास्त्र, अर्थशास्त्र तथा अंग्रेज़ी सहित विभिन्न विभागों के सौ से अधिक शोधार्थियों ने सहभागिता की। सत्र के उपरांत शोधार्थियों ने डॉ. पवनपुत्र बादल के मार्गदर्शन में टैगोर लाइब्रेरी का भ्रमण किया और भारतीय ज्ञान-परंपरा से संबंधित संदर्भ-सामग्री का अवलोकन किया।
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