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महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने में अहम भूमिका निभा रही माइक्रोफाइनेंस

लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। पुरुषों के साथ ही महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए जहां केंद्र और प्रदेश सरकार विभिन्न योजनाएं चला रही हैं। वहीं माइक्रोफाइनेंस भी महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने में अहम योगदान दे रही है। साथ ही उत्तर प्रदेश में रोजगार, महिला सशक्तिकरण एवं आत्मनिर्भरता को नई दिशा भी दे रही है।

गुरुवार को आयोजित माइक्रोफाइनेंस एसोसिएशन ऑफ उत्तर प्रदेश (उपमा) के 8वें वार्षिक अधिवेशन में इस विषय पर चर्चा भी की गई। अधिवेशन के दौरान उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने में माइक्रोफाइनेंस की भूमिका पर एक विस्तृत रिपोर्ट जारी की गई। जिसमें यह रेखांकित किया गया कि माइक्रोफाइनेंस संस्थानों ने ग्रामीण एवं शहरी दोनों क्षेत्रों में महिलाओं की आर्थिक भागीदारी, उद्यमिता को प्रोत्साहन और रोजगार सृजन में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

“माइक्रोफाइनेंस: रोजगार में सहायक” विषय पर आधारित इस अधिवेशन में देश के शीर्ष वित्तीय विशेषज्ञों ने भाग लिया। उन्होंने प्रदेश में रोजगार सृजन, उद्यमिता विकास तथा आर्थिक सशक्तिकरण को बढ़ावा देने हेतु अपने महत्वपूर्ण विचार साझा किए।

कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्व उप-गवर्नर एमके जैन तथा सिडबी के पूर्व अध्यक्ष डॉ. क्षत्रपति शिवाजी ने विशेष रूप से सत्रों को संबोधित किया। दोनों अतिथियों ने माइक्रोफाइनेंस की महत्ता, भविष्य की संभावनाओं तथा उत्तर प्रदेश की आर्थिक प्रगति में इसकी भूमिका पर गहन विचार प्रस्तुत किए। 

कार्यक्रम में प्रमुख वित्तीय संस्थानों के वरिष्ठ प्रतिनिधि उपस्थित रहे। जिसमें गणेश नारायणन (अध्यक्ष, क्रेडिट एक्सेस ग्रामीण), विवेक तिवारी (प्रमुख, सत्या माइक्रो कैपिटल एवं चेयरमैन, उपमा), अनूप सिंह (प्रमुख, सोनाटा फाइनेंस), प्रमोद कुमार पाण्डेय (कार्यपालक निदेशक, उत्कर्ष बैंक) शामिल थे।

इस अवसर पर माइक्रोफाइनेंस क्षेत्र में अमूल्य योगदान देने वाली विशिष्ट विभूतियों को सम्मानित भी किया गया। वहीं उद्घाटन सत्र में मौजूद नवनीत कुमार सहगल (IAS, चेयरमैन, प्रसार भारती), अमिताभ यश (IPS, एडीजी एसटीएफ), शैलेंद्र कुमार सिंह (महाप्रबंधक, बैंक ऑफ बड़ौदा एवं चेयरमैन, SLBC), सुजीत पांडेय (IPS, एडीजी, जोन) ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

विवेक तिवारी (चेयरमैन, उपमा) ने बताया कि अधिवेशन में ग्राहकों की अपेक्षाएँ, जिम्मेदार वित्तपोषण, RBI के दिशा-निर्देशों के अनुरूप संचालन तथा व्यवसाय वृद्धि की रणनीतियों जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर सार्थक मंथन हुआ। 

उपमा के मंत्री पारस वासनिक ने कहा, “यह हमारा आठवां वार्षिक अधिवेशन है और हमें विश्वास है कि यह माइक्रोफाइनेंस क्षेत्र के सभी हितधारकों के लिए अत्यंत ज्ञानवर्धक और प्रेरणादायक सिद्ध होगा।”

उपमा के मुख्य कार्यपालक अधिकारी सुधीर सिन्हा ने बताया कि उत्तर प्रदेश में वर्तमान माइक्रोफाइनेंस व्यवसाय लगभग ₹15,137 करोड़ है, जिसमें लगभग 53 लाख महिला ग्राहक शामिल हैं। प्रति ग्राहक औसत ऋण ₹55,045 है। माइक्रोफाइनेंस सेवाएँ आज प्रदेश के हर जिले में पहुँच चुकी हैं।