लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। लखनऊ विश्वविद्यालय प्रांगण में चल रहे गोमती पुस्तक महोत्सव के पाँचवें दिन का आगाज कलात्मकता, साहित्यिक संवाद और संस्कृति के उत्सव के साथ हुआ। बच्चों की कार्यशालाओं में मजेदार गतिविधियां हुईं, वहीं साहित्यिक संवाद सत्र विचारोत्तेजक रहे। शाम का मंच कविताओं, संगीत और नृत्य प्रस्तुतियों से गुलजार रहा।
बाल मंडप में उमड़ी भीड़
बाल मंडप में सुबह से ही नौ स्कूलों के करीब 800 बच्चों की भीड़ उमड़ी, जो पुस्तकों और रचनात्मकता की दुनिया से जुड़ने के लिए नए शिल्प सीखने को आतुर थे। दिन की शुरुआत अमृत नागपाल के साथ स्टोरीबोर्ड से हुई। इसमें बच्चों को कहानी गढ़ने और सामूहिक विचारों को चित्रों के माध्यम से प्रस्तुत करने का अनोखा तरीका सिखाया गया।

इसके बाद नामिक शेरपा ने बच्चों को जापानी कला ओरिगामी से परिचित कराया, जहाँ उन्होंने कागज़ से अलग-अलग तरह के हवाई जहाज बनाए।
राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के राष्ट्रीय बाल साहित्य केंद्र ने बच्चों को बुकमार्क बनाना सिखाया और उन्हें राष्ट्रीय ई-पुस्तकालय ऐप से परिचित कराया। जिसमें भारतीय भाषाओं और विविध विषयों की 3,000 से अधिक ई-पुस्तकें निःशुल्क उपलब्ध हैं।
लेखकगंज में सुनाई दिए मुहावरे, क्षेत्रीय पहचान और लैंगिक समानता के स्वर साहित्यिक आदान-प्रदान का केंद्र
पाँचवें दिन के साहित्यिक संवाद की पहली कड़ी थी “अनुवाद में तकनीक का दखल”। इसमें पंजाबी-हिंदी अनुवादक सुभाष नीरव, ओड़िया अनुवादक डॉ. राजेन्द्र प्रसाद मिश्र और मराठी अनुवादक समीक्षा तैलंग शामिल हुए। समन्वयक के रूप में वरिष्ठ पत्रकार और अनुवादक प्रितपाल कौर मौजूद थीं।

चर्चा में वक्ताओं ने अपनी-अपनी भाषाओं की विशिष्टताओं, मुहावरों और सौंदर्य पर प्रकाश डाला तथा अनुवाद में तकनीक की उपयोगिता के साथ ही उसके संभावित ख़तरों पर भी विचार रखे।
अगला सत्र “स्त्री अस्मिता के प्रश्न: कुछ भीतर, कुछ बाहर” शीर्षक से हुआ, जिसमें महिलाओं के मुद्दों, लैंगिक भेदभाव और अधिकारों पर विचारोत्तेजक विमर्श हुआ। इसमें डॉ. रजनी गुप्ता, डॉ. विवेक मिश्रा, कंचन सिंह चौहान और स्वाति चौधरी जैसे प्रतिष्ठित साहित्यकारों ने भाग लिया। वक्ताओं ने घरेलू कार्यों में समान भागीदारी के साथ-साथ शिक्षा और आर्थिक अवसरों में समानता पर बल दिया।

काव्य और संस्कृति का संगम
पाँचवें दिन की शाम कविताओं से चहक उठी। कवि सम्मेलन में डॉ. संजय मिश्र ‘शौक़’, डॉ. सूर्य कुमार पांडेय, राम प्रकाश ‘बेख़ुद’, मुकुल ‘महान’, डॉ. सुमन दुबे, अनुपम श्रीवास्तव ‘अनुपम’, ज्ञान प्रकाश ‘अकुर’, पंकज ‘प्रसून’, शशि ‘श्रेय’, सोमनाथ कश्यप और पवन प्रगीत जैसे विख्यात कवियों ने अपनी सशक्त कविताओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया।
इससे पहले लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्रों ने संगीत और नृत्य की शानदार प्रस्तुति दी, जिसने उत्सव के साहित्यिक वातावरण को और भी ऊर्जावान बना दिया।