लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, भारतीय भाषा मंच द्वारा प्रत्येक वर्ष हिंदी दिवस के उपलक्ष में हिंदी भाषा के प्रोत्साहन हेतु विविध प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इस वर्ष भी शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास अवध प्रांत इसे हिंदी पखवाड़े (14 से 28 सितंबर) के रूप में मना रहा है। इसी क्रम में अवध प्रांत द्वारा बुधवार को ज्ञान गुरूकुलम इंदिरा नगर में हिंदी पखवाड़ा उत्सव के उद्घाटन समारोह के अवसर पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
इसके अंतर्गत विषय विशेषज्ञों द्वारा तीन महत्वपूर्ण विषयों एक राष्ट्र एक नाम भारत, चरित्र निर्माण एवं व्यक्तित्व का समग्र विकास और हिंदी भाषा की व्यापकता, संभावनाएं एवं चुनौतियां पर चर्चा परिचर्चा की गई। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि राष्ट्रीय संगठन प्रभारी एकल अभियान माधवेन्द्र सिंह, विशिष्ट अतिथि भारतीय भाषा प्रतिष्ठापन राष्ट्रीय परिषद् के अध्यक्ष व उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक महेश चंद्र द्विवेदी और बीरबल साहनी पुराविज्ञान संस्थान के निदेशक प्रो. महेश जी. ठक्कर मौजूद रहे।

कार्यक्रम का शुभारम्भ वेद पाठियों के स्वस्तिवाचन और दीप प्रज्वलन द्वारा हुआ। स्वागत उद्बोधन अवध प्रांत के संयोजक प्रमिल द्विवेदी ने, संचालन भारतीय भाषा मंच अवध प्रांत की संयोजिका डॉ. संगीता ने और धन्यवाद् ज्ञापन प्रचार प्रसार विषय के प्रांत संयोजक दीप नारायण पांडेय ने किया।
अवध प्रांत के संयोजक प्रमिल द्विवेदी ने अपने स्वागत उद्बोधन में अतिथियों का स्वागत करते हुए अवध प्रांत द्वारा इसमें आने वाले जनपदों में हिंदी प्रोत्साहन हेतु मनाये जा रहे पखवाड़े के अंतर्गत आयोजित किये जा रहे विभिन्न कार्यक्रमों की रूपरेखा प्रस्तुत की।

“एक राष्ट्र, एक नाम: भारत” अभियान पर अपने विचार रखते हुए उन्होंने बताया कि यह नाम भारत के आधिकारिक, पारंपरिक और सांस्कृतिक नाम “भारत” के रूप में मान्यता दिलाने के लिए प्रारम्भ किया गया है। यह अभियान राष्ट्रव्यापी एकता और “भारत” नाम को वैश्विक स्तर पर स्थापित करने के उद्द्येश्य से शुरू किया गया है। देश भर में चलाये जा रहे हस्ताक्षर अभियान के तहत 10 लाख हस्ताक्षरों के साथ एक याचिका राष्ट्रपति को सौंपी जाएगी। जिसमे संविधान के अनुच्छेद -1 में संशोधन की मांग की जाएगी ताकि सरकारी संस्थाओं में केवल “भारत“ नाम का उपयोग किया जा सके। इसमें विद्यालयों, विश्वविद्यालयों, सामाजिक संगठनों, महापुरुषों, शिक्षाविदों, प्रबुद्ध व्यक्तियों और सामाजिक नेताओं की भागीदारी सुनिश्चित की जा रही है।
मुख्य अतिथि माधवेन्द्र सिंह ने हिंदी भाषा की चुनौतियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि किसी भी भाषा के प्रसार हेतु मूलभूत आवश्यकता होती है कि अपनी भाषा के प्रति स्वाभिमान रखते हुए उसका अधिकाधिक प्रयोग करें। अन्य भाषाओं तथा उन्हें बोलने वालों के प्रति अपने मन व व्यवहार में आत्मीयता रखना तथा सम्मान प्रदर्शित करना। अपनी भाषा के सदैव शुद्ध प्रयोग का निरन्तर प्रयास करना चाहिए। हिंदी भाषा के सामने कई चुनौतियाँ हैं, जो इसके विकास एवं प्रसार को प्रभावित करती हैं। जिनमे से राष्ट्रभाषा की स्वीकार्यता की कमी, अंग्रेजी का प्रभाव, गैर हिंदी भाषी क्षेत्रों में स्वीकृति, डिजिटल माध्यम में हिंदी की उपस्थिति आदि शामिल हैं।
विशिष्ट अतिथि महेश चन्द्र द्विवेदी ने कहा कि हिंदी भाषा की व्यापकता और संभावनाएं बहुत अधिक हैं। यह भारत की राजभाषा होने के साथ साथ विश्व की तीसरी सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है। वैश्विक स्तर पर भी हिंदी अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही है। 150 से अधिक विश्वविद्यालयों में पढाई जाती है। अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और यूरोप के कई हिस्सों में हिंदी के प्रति छात्रों की रूचि तेजी से बढ़ रही है। डिजिटल मीडिया में व्यापारिक संवाद में संवाद का प्रमुख माध्यम बना दिया है। हिंदी की संभावनाओं की हम बात करें तो शिक्षा और अनुसंधान में अवसर बढ़ रहे हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 प्रमुख भूमिका निभा रही है, डिजिटल सामग्री निर्माण हिंदी में और रोज़गार के नए अवसर भी सृजित हो रहे हैं। कुल मिलाकर हिंदी भविष्य में और भी महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगी।

बीरबल साहनी पुराविज्ञान संस्थान के निदेशक प्रो महेश जी. ठक्कर ने कहा कि भारत के वैज्ञानिक संस्थानों में हिंदी भाषा की दशा और दिशा में सुधार हो रहा है। लेकिन अभी बहुत कुछ करना शेष है। डिजिटल माध्यम में वैज्ञानिक और तकनीकी क्षेत्र में हिंदी का प्रयोग बढ़ रहा है। राष्ट्रीय नई शिक्षा नीति ने हिंदी के प्रोत्साहन के लिए नए दरवाजे खोल दिए हैं। वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग और भारतीय मानक ब्यूरो सहित कई संस्थान हिंदी में तकनीकी शब्दावली को मानकीकृत और समृद्ध करने का काम कर रहे हैं।
कार्यक्रम में विशेष रूप से अवध प्रांत के कार्यकर्ता गण, प्रो कीर्ति नारायण, प्रो शीला मिश्रा, केबी पन्त, एके पाण्डेय, एके श्रीवास्तव, अंकुर अग्रवाल, चैतन्य अग्रवाल, शाश्वत शुक्ल, चिंतामणि कौशिक सहित प्रदेश भर से पधारे अनेक शिक्षाविद, वैज्ञानिक, प्रोफेसर्स, डॉक्टर्स, चिन्तक, लेखक, शिक्षक, सामाजिक कार्यकर्ता,बैंकर्स सहित मनीषा जगत से अनेक गणमान्य लोग शामिल थे।