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“लफ़्ज़ों की गठरी – कुछ पन्ने भाग 2” को दर्शकों ने खूब सराहा

लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। सन्त गाडगे जी महाराज ऑडिटोरियम, संगीत नाटक अकादमी में एमरन फाउंडेशन ने एक विशेष रंगमंच संध्या “लफ़्ज़ों की गठरी – कुछ पन्ने भाग 2” का मंचन किया। जिसमें कोपल प्रोडक्शन द्वारा मंचित सशक्त कहानियों का संग्रह शामिल था। यह 90 मिनट का नाट्य-प्रदर्शन प्रसिद्ध रंगकर्मी सीमा भार्गव पहवा के निर्देशन में प्रस्तुत किया गया। जिसमें प्रतिष्ठित भारतीय लेखकों से प्रेरित तीन कालातीत नाटक प्रस्तुत किए गए। सीमा भार्गव पाहवा द्वारा निर्देशित और देश के कुछ बेहतरीन रंगमंच कलाकारों द्वारा प्रस्तुत, यह कार्यक्रम सार्थक कहानी और शानदार प्रदर्शनों का एक अविस्मरणीय मिश्रण प्रस्तुत करता है।

“बड़ी दीदी” भाई-बहनों के बीच प्रतिद्वंद्विता और बहनचारे की एक हास्यपूर्ण और हृदयस्पर्शी खोज, जिसमें दो विपरीत बहनें अपने रिश्ते में प्रेम, प्रशंसा और अनुशासन का निर्वहन करती हैं। मुंशी प्रेमचंद के नाटक बड़े भाईसाहब से रूपांतरित बड़ी दीदी में अभिनय मनुकृति पाहवा और जया विरली, निर्देशन सीमा भार्गव पाहवा ने किया। 

 “अकेली” सोमा बुआ की कहानी है। एक बुज़ुर्ग महिला जिसे उसके परिवार ने त्याग दिया है, प्रासंगिकता और जुड़ाव की तलाश में है। अकेली उम्र बढ़ने, अदृश्यता और अपनेपन की मानवीय ज़रूरत का एक मार्मिक चित्रण है। इसके लेखक मन्नू भंडारी, निर्देशक सीमा भार्गव पाहवा और अभिनय अनुभा फतेहपुरा का है।

वहीं यादें के लेखक भीष्म साहनी, अभिनय रत्ना पाठक शाह और सीमा भार्गव पाहवा, निर्देशक सीमा भार्गव पाहवा है। जिसमें दो दोस्तों की अपने जीवन के अंतिम क्षणों में फिर से मिलने, यादों और उन खामोशियों को ताज़ा करने की एक मार्मिक कहानी जो शब्दों से ज़्यादा ज़ोरदार हैं।

इस अवसर पर एमरेन फाउंडेशन की अध्यक्ष, रेणुका टंडन ने कहाकि “लफ़्ज़ों की गठरी” के माध्यम से हमारा उद्देश्य ऐसा सार्थक रंगमंच प्रस्तुत करना है, जो केवल मनोरंजन ही न दे, बल्कि आत्मचिंतन के लिए भी प्रेरित करे।

इस अवसर प्रोफेसर रीता बहुगुणा जोशी, अराधना शुक्ला एवं रेणुका टंडन, पूजा प्रसाद एवं संजय प्रसाद, मुकेश मेश्राम, अम्बरीश टंडन, आशीष गोयल, विभा सिंह, प्रो. जयंते खोत, प्रोफेसर मांडवी सिंह, डॉ. शोभित कुमार नहर, सुनीता एरन, इतिश्री मिश्रा तथा एमरेन फाउंडेशन की समर्पित कोर टीम के सदस्य वंदना अग्रवाल, विपुल गौड़, अंजु नारायण, विभा अग्रवाल, रचना टंडन, उषा विश्वकर्मा, दीपक, विकास, लक्ष्मी और संगीता बनर्जी मौजूद थे।

 यह संध्या भारतीय साहित्य, संस्कृति और कहानियों की उस अमर शक्ति का उत्सव है, जो समाज को जोड़ने का कार्य करती है।” इस आयोजन को दर्शकों ने अपार सराहना और प्रशंसा से स्वागत किया। जिससे लखनऊ में कला, संस्कृति और सामाजिक संवाद को प्रोत्साहित करने के एमरेन फाउंडेशन के मिशन में एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि जुड़ गई।