Tuesday , September 16 2025

AIGBWO ने 9 सूत्री मांगों को लेकर किया धरना प्रदर्शन, दी बड़ी चेतावनी

लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। उत्तर प्रदेश ग्रामीण बैंक वर्कर्स एवं ऑफिसर आर्गेनाईजेशन (भारतीय मजदूर संघ से संबद्ध) ने शुक्रवार को गोमती नगर स्थित आर्यावर्त बैंक के मुख्यालय परिसर में अपनी 9 सूत्री मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन किया। संगठन के अध्यक्ष संजय शाही ने बताया कि हम देश की जनता एवं संबंधित शासकीय तंत्र का ध्यान देशभर के क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी) में कार्यरत अधिकारियों एवं कर्मचारियों के साथ हो रही दीर्घकालिक अन्यायपूर्ण स्थिति की ओर आकृष्ट कराना चाहते हैं।

इन कर्मचारियों की निरंतर और न्यायोचित मांगों की अनदेखी तथा संवाद की अनुपस्थिति को देखते हुए, अखिल भारतीय ग्रामीण बैंक अधिकारी संगठन (AIGBOO) तथा अखिल भारतीय ग्रामीण बैंक वर्कर्स संगठन (AIGBWO) ने एक चरणबद्ध आंदोलन आरंभ करने का निर्णय लिया है। ताकि आरआरबी कर्मचारियों की ज्वलंत समस्याओं को उजागर किया जा सके।

आंदोलन की रूपरेखा के बारे में बताते हुए महासचिव रोहित सिंह ने कहाकि पूरे देश के सभी ग्रामीण बैंकों के प्रधान कार्यालय पर अपनी मांगो के समर्थन में एक दिवसीय धरना प्रदर्शन कर केंद्रीय वित्त मंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा गया है। यदि मांगों को पूरा नहीं किया जाता है तो 22 अगस्त को राष्ट्रव्यापी एक दिवसीय हड़ताल की जाएगी।

मुख्य मांगें

1. क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के आईपीओ प्रस्ताव को तत्काल वापस लिया जाए ताकि इन बैंकों की ग्रामीण और सार्वजनिक प्रकृति बनी रहे।

2. स्थानांतरण नीति की विसंगतियों को दूर किया जाए।

3. सेवा शर्तों में पूर्ण समानता (अवकाश नियम, स्टाफ ऋण, लीज आवास, भत्ते आदि) लागू की जाए और 12वां द्विपक्षीय एवं 9वां संयुक्त नोट बिना किसी विचलन के लागू किया जाए।

4. पर्याप्त भर्ती की जाए एवं पदोन्नति नीति को वाणिज्यिक बैंकों के अनुरूप किया जाए।

5. “राष्ट्रीय ग्रामीण बैंक” का गठन किया जाए जिसमें प्रत्येक आरआरबी का राज्य-आधारित संचालन क्षेत्र यथावत रहे।

6. दीर्घकाल से कार्यरत अस्थायी कर्मचारियों का नियमितीकरण किया जाए।

7. सभी परिलाभों का खर्च बैंक प्रबंधन द्वारा वहन किया जाए।

8.    आरआरबी ट्रेड यूनियनों को आईबीए के साथ होने वाली सभी वार्ताओं में शामिल किया जाए एवं प्रमुख पदाधिकारियों को विशेष अवकाश प्रदान किया जाए।

9. पाँच-दिवसीय बैंकिंग और पुरानी पेंशन योजना जैसी लंबित मांगों को तुरंत लागू किया जाए।

उन्होंने बताया कि आंदोलन किसी प्रकार की राजनीतिक प्रेरणा से नहीं, बल्कि न्याय, गरिमा और समानता के लिए हमारी नैतिक और व्यावसायिक बाध्यता है। हम भारत सरकार, वित्त मंत्रालय और नाबार्ड से अपील करते हैं कि वे त्वरित हस्तक्षेप कर संवाद की प्रक्रिया शुरू करें और इन मुद्दों का समाधान करें। अन्यथा, हम अपने लोकतांत्रिक अधिकारों के अंतर्गत इस आंदोलन को और अधिक तेज़ करने के लिए विवश होंगे।