लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। सीएसआईआर – केन्द्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान (सीमैप) में एरोमा मिशन के अंतर्गत चार दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ मंगलवार को किया गया। इस कार्यक्रम में देश के 15 राज्यों के 69 प्रतिभागियों ने भाग लिया। प्रशिक्षण कार्यक्रम का उदघाटन सीमैप के निदेशक डॉ. प्रबोध कुमार त्रिवेदी ने किया।
उन्होने प्रतिभागियों का स्वागत करते हुये कहा कि सीएसआईआर-सीमैप औषधीय एवं सगंध पौधों मे अनुसंधान एवं विकास कार्य लगभग 60 वर्षों से कर रहा है। जिसके निरंतर प्रयासों के फल स्वरूप औषधीय एवं सगंध पौधों मे 160 से भी ज्यादा उन्नत प्रजातियों के साथ-साथ उनकी कृषि तकनीकी का भी विकास किया गया है। इन प्रजातियों की जानकारी किसानों तक जागरूकता कार्यक्रमों, किसान मेला व प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से पहुंचाया जा रहा है।

उन्होंने बताया कि 60 के दशक में देश में मेंथा के तेल का उत्पादन लगभग शून्य था। सीमैप के द्वारा विकसित मेंथा की उन्नत प्रजातियों के कारण विश्व का 80 प्रतिशत मेंथा तेल भारत मे उत्पादित हो रहा है।
निदेशक ने कहा कि सीएसआईआर-सीमैप, लखनऊ तथा सीएसआईआर की अन्य प्रयोगशालाओं के द्वारा 25 राज्यों मे एरोमा मिशन चलाया जा रहा है। जिसके अंतर्गत सगंध पौधों की खेती करने वाले किसानों के लगभग 4000 क्लस्टर बनाए जा चुके हैं। इन क्लस्टर में 400 आसवन इकाइयों को स्थापित किया गया है, जिससे किसान अपनी फसल का आसानी से आसवन कर सकें। जिसके फलस्वरूप नीबूघास के तेल के निर्यात में देश प्रथम स्थान प्राप्त कर चुका है और हमें आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि संस्थान के अथक प्रयासों से अन्य तेलों जैसे तुलसी, पामरोजा एवं खस आदि तेलों के निर्यात मे भी देश अग्रणी बनेगा।
उन्होने प्रतिभागियों को यह भी बताया कि आप स्टार्टअप्स के अंतर्गत सीएसआईआर-सीमैप मे स्थापित इंक्यूबेसन सेंटर से संस्थान द्वारा विकसित हर्बल उत्पादों को बनवाकर एक वर्ष के लिए बाज़ार में बिक्री कर सकते हैं तथा इसके बाद तकनीकी हस्तांतरण कर सकते हैं।

डॉ. संजय कुमार (वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक व समन्वयक, प्रशिक्षण कार्यक्रम) ने प्रतिभागियों का स्वागत किया और प्रशिक्षण की रूपरेखा के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में सीमैप के वैज्ञानिक आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण औषधीय एवं सगंध पौधों की खेती पर विस्तार से चर्चा करेंगे। साथ ही प्रसंस्करण एवं भंडारण की तकनीकियों पर भी चर्चा करेंगे। जिससे किसानों के उत्पादन को राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर की गुणवत्ता को बनाए रखा जा सके और उसका अधिक तथा उचित मूल्य किसानों को मिल सकें। इन औषधीय एवं सगंध फसलों में मुख्यतः नीबूघास, पामारोजा, जिरेनियम, तुलसी इत्यादि हैं। वर्तमान में इनके तेलों की मांग विश्व बाज़ार में अधिक है।
आज के प्रशिक्षण कार्यक्रम मे डॉ. ऋषिकेश भिसे व दीपक कुमार वर्मा ने प्रतिभागियों को प्रक्षेत्र का भ्रमण कराया व पौधों की पहचान कराई। डॉ. संजय कुमार ने संस्थान की गतिविधियों एवं सेवाओं व नीबूघास के उत्पादन की उन्नत कृषि तकनीकी प्रतिभागियों से साझा की।
डॉ. राजेश वर्मा ने खस के उत्पादन की उन्नत कृषि तकनीकि प्रतिभागियों से साझा की। डॉ. राम सुरेश शर्मा ने तुलसी की वैज्ञानिक खेती के बारें में प्रतिभागियों को जानकारी दी। कार्यक्रम का संचालन डॉ. ऋषिकेश भिसे द्वारा किया गया तथा डॉ. राम सुरेश शर्मा द्वारा धन्यवाद ज्ञापन किया गया।