लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। भारत में कोका-कोला इंडिया के सबसे बड़े बॉटलर, एसएलएमजी बेवरेजेस के संस्थापक एस.एल. लधानी का बीते 2 मई को सुबह 12:34 बजे बरेली स्थित उनके घर पर निधन हो गया। वे 85 वर्ष के थे। श्री लधानी एक सफल उद्योगपति, समाजसेवी और सादा जीवन जीने वाले आध्यात्मिक व्यक्ति थे। उन्होंने अपने जीवन में मेहनत, ईमानदारी और सेवा को सबसे ऊपर रखा। उनका जीवन हम सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत रहेगा।
श्री लधानी ने एसएलएमजी बेवरेजेस की स्थापना की, जो अब अयोध्या, अमेठी, आगरा, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश में बॉटलिंग प्लांट संचालित करती है। इसके अलावा बिहार के बक्सर में एक नया प्लांट भी बन रहा है।
इस दुख की घड़ी में लधानी परिवार के लिए राजनीति, आध्यात्म, व्यापार और सार्वजनिक जीवन से जुड़ी अनेक प्रतिष्ठित हस्तियों ने विभिन्न माध्यमों से अपनी गहरी संवेदना व्यक्त की है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक, उत्तराखंड के विधायक एवं पूर्व कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक, प्रसार भारती के अध्यक्ष नवनीत सहगल, ब्रह्माकुमारीज के अतिरिक्त महासचिव बीके मृत्युंजय, मेदांता हॉस्पिटल के सीईओ डॉ. पंकज साहनी, मुख्यमंत्री के सलाहकार अवनीश अवस्थी, उत्तराखंड सरकार के वनमंत्री सुबोध उनियाल, पद्म भूषण से सम्मानित दीपा मलिक, बॉलीवुड अभिनेता सुनील शेट्टी तथा जिला बास्केटबॉल एसोसिएशन, हरिद्वार के प्रतिनिधियों सहित अनेक लोगों ने अपने शोक संदेश भेजे हैं।
लधानी परिवार इन सभी संवेदनाओं, संदेशों और प्रार्थनाओं के लिए गहरा आभार व्यक्त करता है। यह सभी संदेश इस कठिन समय में परिवार के लिए संबल और शक्ति का स्रोत बने हैं।

बरेली में 4 मई को श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई। जिसमें भाजपा के वरिष्ठ नेता शाहनवाज़ हुसैन, ओबेरॉय होटल्स के चेयरमैन अर्जुन ओबेरॉय तथा बरेली के विधायक डॉ. अरुण कुमार विशेष रूप से उपस्थित रहे। सभी गणमान्य व्यक्तियों ने एसएन लधानी को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की और लधानी परिवार के प्रति अपनी गहरी संवेदना प्रकट की।
एसएन लधानी का जन्म 7 मार्च 1940 को अविभाजित भारत के सिंध प्रांत के सक्खर जिले के गुलाम घोट गांव में हुआ था। विभाजन के समय उन्होंने अपने परिवार के साथ फैजाबाद (अब अयोध्या) में बसने के लिए पलायन किया। यह उनके जीवन की एक महत्वपूर्ण शुरुआत थी, जो आगे चलकर उनकी मेहनत, दूरदर्शिता और गहरे संस्कारों से भरी प्रेरणादायक यात्रा में बदल गई।
श्री लधानी ने अपने काम की शुरुआत 1957 में बिहार के कटिहार से की। कुछ ही समय में उन्होंने अपने भाइयों के साथ मिलकर व्यापार की राह पकड़ी। पहले उन्होंने बिहार और पश्चिम बंगाल में निर्माण कार्य किए, फिर 1980 के दशक में अयोध्या में कोल्ड स्टोरेज का कारोबार शुरू किया। उनका व्यापारिक अनुभव और मेहनत रंग लाने लगी। इसी दौरान उन्होंने पारले ग्रुप के साथ साझेदारी कर शीतल पेय उद्योग में कदम रखा। यह फैसला उनके जीवन का बड़ा मोड़ साबित हुआ। उनके शीतल पेय व्यवसाय ने पहले ही साल में 800 से 900 प्रतिशत की जबरदस्त बढ़त दर्ज की, जो उनकी दूरदर्शिता और व्यापारिक समझ का शानदार उदाहरण है।
1992 में जब कोका-कोला ने भारत में दोबारा प्रवेश किया, तो श्री लधानी की देखरेख में आगरा प्लांट से ब्रांड की पहली बोतल का उत्पादन हुआ। उनकी दूरदर्शी नेतृत्व क्षमता के चलते यह व्यवसाय आगे बढ़कर एसएलएमजी बेवरेजेज के रूप में विकसित हुआ, जो आज उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और बिहार में सात बड़े प्लांट चला रहा है। श्री लधानी के प्रयासों से न केवल 10,000 से अधिक लोगों को सीधा रोजगार मिला, बल्कि लाखों लोगों की आजीविका को भी परोक्ष रूप से सहारा मिला।
उनके व्यवसाय सिर्फ पेय पदार्थों तक ही सीमित नहीं थे, बल्कि उन्होंने होटल, शॉपिंग मॉल, पशु आहार उत्पादन और नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में भी काम किया। बरेली और हरिद्वार में उन्होंने महत्वपूर्ण संपत्तियां बनाई और ऋषिकेश में ओबेरॉय समूह के साथ मिलकर एक होटल खोला। उनकी स्थिरता के प्रति प्रतिबद्धता के चलते उन्होंने सौर और पवन ऊर्जा से करीब 75 मेगावाट स्वच्छ ऊर्जा का उत्पादन किया।
एक समर्पित परिवारिक व्यक्ति के रूप में, उन्होंने अपने परिवार को प्यार, शालीनता और शांतिपूर्ण तरीके से पाला, हमेशा उनकी भलाई को पहले रखा। वह एक सफल व्यापारिक व्यक्ति और एक सच्चे इंसान थे, जिनके मूल्य हमेशा आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करते रहेंगे। उनका जीवन दूरदर्शिता, सेवा और प्रेरणा की एक स्थायी विरासत रहेगा।