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लोक चौपाल : बेहद आत्मीय और रक्त से जुड़ा है भारत और मॉरीशस का रिश्ता

  • लोक चौपाल में रामकथा का वैश्विक सन्दर्भ और मॉरीशस पर चर्चा
  • मॉरीशस की डा. विनोद बाला को प्रवासी भारतीय लोक संस्कृति सम्मान
  • ‘चिरन्तन सांस्कृतिक उत्कर्ष के प्रतीक हैं श्रीराम’

लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। भारत और मॉरीशस का रिश्ता बेहद आत्मीय और रक्त से जुड़ा है। राम इसके सेतु हैं। मर्यादा पुरुषोत्तम राम मॉरीशसवासियों का मार्गदर्शन करते हैं तथा उनके सुख दुःख में सहायक होते हैं। ये बातें मॉरीशस के रामायण सेण्टर की अध्यक्ष एवं ख्यातिलब्ध साहित्यकार डा. विनोद बाला अरुण ने कहीं। गुरुवार को लोक संस्कृति शोध संस्थान द्वारा प्रेस क्लब में आयोजित लोक चौपाल में वक्ताओं ने रामकथा की लोक व्याप्ति पर चर्चा की तथा श्रीराम को चिरन्तन सांस्कृतिक उत्कर्ष का प्रतीक बताया। इस अवसर पर डा. विनोद बाला अरुण को प्रवासी भारतीय लोक संस्कृति सम्मान भी प्रदान किया गया।

विषय प्रवर्तन करते हुए संस्थान के अध्यक्ष जीतेश श्रीवास्तव ने रामकथा की लोक व्याप्ति और वैश्विक सन्दर्भ की चर्चा की। अवधी विद्वान डा. रामबहादुर मिश्र ने अपने मॉरीशस यात्रा से जुड़े प्रसंग सुनाते हुए रामायण सेण्टर के कार्यों का उल्लेख किया।

पद्मश्री डा. विद्याविन्दु सिंह ने कहा कि भारत से मॉरीशस गये गिरमिटिया मजदूर अपने साथ रामायण लेकर गये थे और उन्हें आज भी उनकी संतति ने संजो कर रखा है। सीता जी से जुड़े एक गीत की मुझे वर्षों से तलाश थी और वह मुझे मेरे मॉरीशस प्रवास के दौरान वहां मिली।

लखनऊ विश्वविद्यालय हिन्दी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. सूर्य प्रसाद दीक्षित ने कहा कि राम नीति, धर्म और मर्यादा की त्रिवेणी हैं। गोस्वामी तुलसीदास को रामकथा की विश्व व्याप्ति का पूर्वाभास हो गया था। राम अनंत अनंत गुन अमित कथा विस्तार की चर्चा करते हुए वेदों से लेकर दुनिया के अनेक देशों में रामकथा केन्द्रित ग्रन्थों और उनकी लोकोपयोगिता पर विस्तार से चर्चा की।

कुमाऊं कोकिला विमल पन्त, प्रयागराज से पधारे वेदानन्द विश्वकर्मा ने भी अपनी बात रखी। सौम्या गोयल, मिहीका, अविका, अथर्व, आद्रिका, अव्युक्ता और कर्णिका ने निवेदिता भट्टाचार्य के निर्देशन में ग्यारह राग चक्रों पर आधरित रामधुन का गायन किया। संचालन चौपाल प्रभारी अर्चना गुप्ता ने तथा आभार ज्ञापन संस्थान की सचिव सुधा द्विवेदी ने किया।

इस अवसर पर आनन्द प्रकाश शुक्ल, वरिष्ठ पत्रकार विवेक शुक्ल, डा. अपूर्वा अवस्थी, प्रो. सीमा सरकार, सरिता अग्रवाल, डा. स्मिता मिश्रा, राजनारायण वर्मा, अजीत अग्रवाल, हरिकृष्ण गुप्ता, केसी गुप्ता, नम्रता सिंह, ज्योति किरन रतन, देवेश्वरी पंवार, शकुंतला श्रीवास्तव, सहित अन्य मौजूद रहे।

मॉरीशस की डा. विनोद बाला ने किया है रामायण पर शोध

डॉ. विनोद बाला अरुण हिन्दी, संस्कृत तथा भारतीय दर्शन की विदुषी हैं। महात्मा गांधी संस्थान के भारतीय दर्शन विभाग में उन्होनें वरिष्ठ प्रवक्ता के रूप में अध्यापन किया है। सन् 2007 से 2010 तक वे मॉरीशस और भारत सरकार के संयुक्त सहयोग से स्थापित विश्व हिन्दी सचिवालय की प्रथम महासचिव रहीं। सम्प्रति वे रामायण सेंटर मॉरीशस की अध्यक्षा हैं जिसकी स्थापना 2001 में मॉरीशस की सरकार द्वारा एक विधेयक पारित करके की गई थी।

डॉ. विनोद बाला ने ‘वाल्मीकि रामायण और रामचरितमानस के नैतिक मूल्य और उनका मॉरीशस के हिंदू समाज पर प्रभाव’ पर शोध किया है। उनकी सामाजिक, सांस्कृतिक और साहित्यिक गतिविधियाँ बहुआयामी हैं। वे सामाजिक, सांस्कृतिक और दार्शनिक विषयों पर प्रवचन करती हैं। लगभग तीस वर्षों तक मॉरीशस के राष्ट्रीय रेडियो पर नवनीत, चयनिका, प्रार्थना, जीवन ज्योति और आराधना कार्यक्रमों में क्रमशः भक्त कवियों के पदों की व्याख्या, हिंदी साहित्य की विवेचना, उपनिषदों की व्याख्या द्वारा भारतीय दर्शन का तत्त्व चिंतन व संस्कृत की सूक्तियों का आधुनिक संदर्भों में मूल्यांकन और भक्ति गीतों का भाव निरूपण किया। मॉरीशस की हिन्दी कथा यात्रा, रामकथा में नैतिक मूल्य, स्तुति सुमन, संस्कार रामायण, लछमन गुन गाथा जैसी कृतियां का सृजन करने वालीं डा. विनोद बाला को उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान का प्रवासी भारतीय हिन्दी भूषण सम्मान भी मिला है।