- हरित उद्योग की ओर: प्रदूषण नियंत्रण और पर्यावरण सुरक्षा
लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। उत्तर प्रदेश चैप्टर PHDCCI ने उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सहयोग से “हरित उद्योग की ओर: प्रदूषण नियंत्रण और पर्यावरण सुरक्षा पर एक इंटरैक्टिव सम्मेलन का आयोजन किया है।
सम्मेलन में बतौर मुख्य अतिथि अरुण कुमार सक्सेना (राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार), वन एवं पर्यावरण, प्राणी उद्यान, जलवायु परिवर्तन) मौजूद रहे।
इस सत्र में डॉ. रवीन्द्र प्रताप सिंह (अध्यक्ष-उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड), संजीव कुमार सिंह (आईएफएस-सदस्य सचिव-उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड), कमल कुमार (क्षेत्रीय निदेशक-केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड), सुरेंद्र कुमार जयसवाल (अध्यक्ष-उत्तर प्रदेश होटल एवं रेस्तरां एसोसिएशन), गिरिजा शंकर (प्रबंध निदेशक- ग्रीन गैस लिमिटेड), सनोज कुमार गुंजन (एजीएम- सिडबी, लखनऊ क्षेत्रीय कार्यालय), एलके झुनझुनवाला (वरिष्ठ सदस्य यूपी चैप्टर, पीएचडीसीसीआई और अध्यक्ष- के एम शुगर मिल्स प्राइवेट लिमिटेड), राजेंद्र संखे (सीओओ- इंडोरामा इंडिया प्राइवेट लिमिटेड), संजीव सरीन (अध्यक्ष-रिटेल राज्य उप-समिति, यूपी चैप्टर-पीएचडीसीसीआई और वरिष्ठ केंद्र निदेशक (मॉल और हॉस्पिटैलिटी) नॉर्थ, द फीनिक्स मिल्स लिमिटेड), आशीष मोहन विग (अध्यक्ष- औद्योगिक संबंध एवं मानव संसाधन समिति, पीएचडीसीसीआई), डॉ. जतिंदर सिंह उप महासचिव, पीएचडीसीसीआई), अतुल श्रीवास्तव (क्षेत्रीय निदेशक, यूपी स्टेट चैप्टर पीएचडीसीसीआई) सहित कई उद्योगपति उपस्थित थे।
मुख्य अतिथि अरुण कुमार सक्सेना ने उपस्थित लोगों को हरित बुनियादी ढांचे की दिशा में सामूहिक रूप से काम करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहाकि इसमें कोई संदेह नहीं है कि पर्यावरण हमारे अस्तित्व का एक अनिवार्य हिस्सा है, जो जीविकोपार्जन के लिए हमारे द्वारा किए जाने वाले कार्यों पर निर्भर करता है। औद्योगीकरण और पर्यावरण साथ-साथ चलते हैं। पर्यावरण और औद्योगीकरण, दोनों क्षेत्रों में उत्कृष्टता हासिल करने के लिए हमें हरित प्रौद्योगिकियों को अपनाने की जरूरत है, जो हमें सतत विकास लक्ष्य की राह पर ले जाएं।
एएमए हर्बल के को-फाउंडर और सीईओ यावर अली शाह ने कहा, “आधुनिक समय की आवश्यकताओं के अनुसार ग्रीन इंडस्ट्री की परिभाषा को स्पष्ट करने की आवश्यकता है। ग्रीन इंडस्ट्री का मतलब एक ऐसे उद्योग से है जो पर्यावरण के अनुकूल हो। एक पर्यावरण-अनुकूल उद्योग तभी सफल हो सकता है, जब पर्यावरण को सभी क्षेत्रों में प्राथमिकता दी जाए। आने वाले वर्षों की योजनाएं मुनाफे और स्थिरता, दोनों पर केंद्रित होनी चाहिए। यह तीन प्रमुख स्तंभों – अर्थव्यवस्था, पर्यावरण, और सामाजिक प्रभाव – पर आधारित है।
उन्होंने कहा कि अगर इन तीनों में से किसी एक को नजरअंदाज किया गया, तो उद्योग स्थायी नहीं रह सकता। वह मुनाफा कमा सकता है, लेकिन सही मायनों में स्थिरता तभी आती है जब मुनाफे को कार्बन उत्सर्जन में कमी के साथ संतुलित किया जाए। उद्योग का अंतिम लक्ष्य कार्बन-तटस्थ स्थिति हासिल करना होना चाहिए। हमारे उद्योग और व्यापार की परिभाषा इसी संतुलन में है, जहां मुनाफा पर्यावरणीय स्थिरता, आर्थिक विकास और समाज में योगदान की दिशा में प्रगति का प्रतीक हो। यही एक आदर्श ग्रीन इंडस्ट्री की परिभाषा है।
विशिष्ट अतिथि डॉ. रवीन्द्र प्रताप सिंह, संजीव कुमार सिंह, कमल कुमार ने निवारक उपायों के बारे में चर्चा की। उन्होंने कहा कि औद्योगिक प्रदूषण हवा, पानी और मिट्टी में प्रदूषण का एक प्रमुख स्रोत है, औद्योगिक प्रदूषण को कम करने के लिए कुछ कदम उठाए जा सकते हैं।
- पानी का उपयोग कम करें: पानी का पुन: उपयोग और पुनर्चक्रण करें, और वर्षा जल का संचयन करें
- अपशिष्टों का उपचार करें: गर्म पानी और अपशिष्टों को नदियों और तालाबों में छोड़ने से पहले उनका उपचार करें
- वायु प्रदूषण कम करें: इलेक्ट्रोस्टैटिक प्रीसिपिटेटर्स, फैब्रिक फिल्टर, स्क्रबर्स और इनर्शियल सेपरेटर के साथ स्मोकस्टेक्स फिट करें
- नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग करें:
- ऊर्जा दक्षता में सुधार: ऊर्जा दक्षता में सुधार के लिए उपकरणों को अपग्रेड करें और नई तकनीकों को अपनाएं
- ध्वनि प्रदूषण कम करें: शोर उत्पन्न करने वाले उपकरणों के लिए साइलेंसर का उपयोग करें
- सही जगह पर निर्माण करें: फ़ैक्टरियों का निर्माण उन स्थानों पर करें जो उपयुक्त हों
- कचरे का विश्लेषण करें: कारखाने के कचरे का विश्लेषण करें और उसका उचित उपचार करें
- पर्यावरणीय प्रभाव का आकलन करें: कारखानों से पर्यावरणीय प्रभाव का आकलन कराएं
- कानून लागू करें: कारखाने के कचरे को रोकने के लिए कानूनों और प्रवर्तन का उपयोग करें
इस सम्मेलन में हरित पहल की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए हरित उद्योग के कई परिप्रेक्ष्यों पर विचार-विमर्श किया गया। यह भी बताया गया कि बुनियादी ढांचा क्षेत्र 1 ट्रिलियन डॉलर की राज्य अर्थव्यवस्था में कैसे योगदान दे सकता है। विषय विशेषज्ञों ने इस विषय पर विचार-विमर्श किया और राज्य के औद्योगिक और बुनियादी ढांचे क्षेत्र में आम चुनौतियों और उनके लिए व्यवहार्य समाधानों को सामने रखा, कॉन्क्लेव में बड़ी संख्या में भागीदारी देखी गई जिसमें उद्योग, होटल, अस्पताल, शिक्षा जगत के प्रतिनिधि, राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारी, वरिष्ठ पत्रकार, नीति निर्माता, विचारक नेता, वित्तीय संस्थान और कई अन्य शामिल थे।