लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। सेठ एमआर जयपुरिया स्कूल, गोमती नगर में 32वें फाउंडर्स डे का आयोजन स्कूल के समृद्ध इतिहास का एक महत्वपूर्ण पड़ाव साबित हुआ।
यह तीन दिवसीय कार्यक्रम 21 नवंबर से 23 नवंबर तक आयोजित था, जिसमें अनेक शिक्षाप्रद और रोचक गतिविधियाँ एवं कार्यक्रम शामिल थे। इन आयोजनों ने स्कूल की उपलब्धियों और उत्कृष्ट शिक्षा के प्रति समर्पण को उजागर किया।
प्रदर्शनी और रचनात्मकता का संगम
कार्यक्रम की शुरुआत प्रदर्शनी से हुई, जिसमें विद्यार्थियों और अभिभावकों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। मैथ्स क्लब ने जटिल गणितीय पहेलियों का आयोजन किया, जबकि टाई एंड डाई और बाटिक क्लब ने रंग-बिरंगे वस्त्रों का प्रदर्शन किया। साथ ही आगंतुकों को अपने स्वयं के टाई-डाई रुमाल रंगने का अवसर दिया। नुक्कड़ नाटक, गीत-संगीत, कवि सम्मेलन और चर्चाओं ने दिन को और भी जीवंत और आनंदमय बना दिया।
जूनियर फाउंडर्स डे 2024
जूनियर स्कूल के फाउंडर्स डे का शुभारंभ ऑर्केस्ट्रा की शानदार प्रस्तुति और दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। इस अवसर पर बच्चों ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से अपनी रचनात्मकता और जोश का प्रदर्शन किया।
23 नवंबर को आयोजित इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि डॉ. सी.एम. नौटियाल (उत्तर प्रदेश विज्ञान अकादमी के सचिव और बी.एस.आई.पी. की रेडियोकार्बन डेटिंग प्रयोगशाला के पूर्व प्रमुख) ने शिरकत की।
डॉ. नौटियाल ने छात्रों द्वारा प्रदर्शित मॉडलों की प्रशंसा करते हुए कहा, “जयपुरिया स्कूल की प्रदर्शनी में आना एक अद्भुत अनुभव रहा। विद्यार्थियों ने बहुत रुचि के साथ अपने मॉडल तैयार किए थे। अनेक विद्यार्थियों ने चार से पाँच मॉडल तक बनाए। यह समर्पण दुर्लभ है और बहुत बड़ी सफलता है। जो बच्चे ये मॉडल तैयार कर रहे हैं और विज्ञान के प्रयोग कर रहे हैं, वे विज्ञान के प्रति अपनी रुचि को आगे भी बनाए रखेंगे।”
बचपन की मासूमियत पर एक विशेष विचार
अंजलि जयपुरिया ने अपने संबोधन में कहा, “जन्म से लेकर लगभग 7 से 9 वर्ष की आयु तक बच्चे उत्साह, मासूमियत और निस्वार्थ प्रेम से भरे होते हैं। उनकी सकारात्मक उपस्थिति इतनी प्रभावशाली होती है कि हम अपनी समस्याओं और चिंताओं को भूल जाते हैं। यह उनके आंतरिक अस्तित्व से आता है। हमारे बच्चे हमें यह याद दिलाते हैं कि हमें अपने जीवन को कैसे जीना चाहिए।”
संस्कृति और सृजनात्मकता का मंचन
श्री अरविंदो से प्रेरित मित्रता और दिव्य एकता की थीम पर आधारित ऑर्केस्ट्रा प्रस्तुति में 68 छात्रों ने राग बिलावल की मधुर धुन और उसके बाद लकड़ी की काठी की चंचल धुन प्रस्तुत की, जिसने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
नवसृजन स्कूल (जो अंजलि जयपुरिया द्वारा वंचित बच्चों के लिए स्थापित किया गया है) ने इकोज़ ऑफ द अर्थ नामक एक शक्तिशाली नाटक प्रस्तुत किया। इस नाटक ने पर्यावरण संरक्षण के महत्व पर जोर देते हुए मानवता और प्रकृति के पवित्र बंधन की याद दिलाई।
संस्कृत नाटक कालिय मर्दन ने श्रीकृष्ण की असाधारण वीरता की कहानी सुनाई, जिसमें उन्होंने विषैले नाग कालिय को हराकर यमुना को शुद्ध किया और समरसता स्थापित की। बैक टू द रूट्स – डेस्पराडो अनोनिमस नामक प्रस्तुति ने खलनायकों के जीवन के छिपे हुए सच और उनकी प्रायश्चित की यात्रा को दर्शाया।
कार्यक्रम का समापन कृष्ण कव्वाली नामक अर्धशास्त्रीय नृत्य प्रस्तुति से हुआ। जिसमें भगवान कृष्ण की लीलाओं और शिक्षाओं को बेहद खूबसूरती से प्रस्तुत किया गया। इस प्रदर्शन को दर्शकों से खड़े होकर तालियों की गड़गड़ाहट मिली।