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AKTU में वास्तुकला के छात्रों की रचनात्मकता को मिला मंच

  • विश्वविद्यालय परिसर में तीन दिवसीय वास्तुकला पर नासा सम्मेलन का हुआ आगाज, पहले दिन विभिन्न प्रतियोगिता की हुई शुरूआत
  • डी 24 प्रतियोगिता 24 घंटे की तो कहूट्स में 12 घंटे तक लगातार छात्र अपनी कल्पना को देंगे मूर्त रूप
  • नेशनल एसोसिएशन ऑफ स्टूडेंट्स ऑफ आर्किटेक्चर (नासा) के 67वें जोनल सम्मेलन की मेजबानी का विश्वविद्यालय के वास्तुकला और योजना संकाय को मिला है अवसर

लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय के वास्तुकला और योजना संकाय की ओर से आयोजित तीन दिवसीय नेशनल एसोसिएशन ऑफ स्टूडेंट्स ऑफ आर्किटेक्चर (नासा) के 67वें जोनल सम्मेलन का विश्वविद्यालय परिसर में शुक्रवार को आगाज हो गया। सम्मेलन का उद्घाटन कुलपति प्रो. जेपी पांडे ने किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि आर्किटेक्चर में नई तकनीक का प्रयोग करना आज की जरूरत बन गई है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए डिजाइन बनाने से कई फायदे होंगे। इस मौके पर वास्तुकला एवं योजना संकाय की प्राचार्य प्रोफेसर वंदना सहगल, डॉ. रितु गुलाटी सहित अन्य लोग मौजूद रहे।

सम्मेलन में सात राज्यों से आये करीब 600 वास्तुकला छात्रों ने अपनी सृजन क्षमता का प्रदर्शन किया। कहीं छात्रों ने क्ले से मूर्ति सहित अन्य डिजाइन को आकार दिया तो कहीं सॉफ्टवेयर पर अपनी कल्पना के रंग भरे। पहले दिन कई प्रतियोगिताएं शुरू हुईं। जिसमें छात्रों की अलग-अलग टीमों ने हिस्सा लिया।


डी 24 प्रतियोगिता 24 तो कहूट्स चलेगा 12 घंटे


अपने आप में अनूठी डी 24 और और कहूट्स प्रतियोगिता किसी मैराथन से कम नहीं है। डी 24 प्रतियोगिता में विभिन्न टीमों को अलग-अलग विषय दिया गया है। जिस पर उन्हें अपनी डिजाइन तैयार करनी है। यह प्रतियोगिता लगातार 24 घंटे की है। इसमें 23 टीमों ने हिस्सा लिया है। हर टीम में 6 छात्र हैं। जो 6-6 घंटे की शिफ्ट में डिजाइन तैयार कर रहे हैं।

इसी तरह कहूट्स प्रतियोगिता चल रही है। यह 12 घंटे तक चलेगी। इसमें पांच टीमों ने प्रतिभाग किया है। इन टीमों को रिवर फ्रंट पर डिजाइन बनाना है। जिसमें कॉमर्सियल बिल्डिंग, मल्टीप्लेक्स, पार्किंग एरिया सहित अन्य मॉडल सॉफ्टवेयर पर बनाने हैं। इन दोनों प्रतियोगिताओं का मूल्यांकन जूरी मेंबर्स करेंगे। इसके बाद विजेता की घोषणा होगी।


मूर्तिकला ने मोहा मन


इसी तरह मूर्तिकला पर कार्यशाला की भी शुरूआत हुई। इसमें छात्रों ने क्ले मॉडल बनाये। विभिन्न विषयों पर छात्रों ने तुरंत क्ले से मॉडल को आकार दिया। जिसने काफी आकर्षित किया। छात्रों की मूर्तिकला देखकर हर किसी ने सराहना की। इसके अलावा रूबिन्स प्रतियोगिता भी आयोजित की गयी। जिसमें सम्मेलन में प्रतिभाग कर रहे 25 संस्थानों के छात्रों ने अपने प्रोजेक्ट, मॉडल आदि की प्रदर्शनी लगायी।

साथ ही दिल्ली से आये आर्किटेक्ट मयंक मिश्रा ने सस्टेनेबल आर्किटेक्चर मास्टर क्लास में छात्रों को भवनों के निर्माण में प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग को कम करने के टिप्स दिये। उन्होंने बताया कि भवन निर्माण को इको फ्रेंडली बनाना महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि पकी ईंटों की बजाय मिट्टी और सीमेंट का प्रयोग करके ईंटों का इस्तेमाल काफी फायदेमंद होता है।


सम्मेलन का संयोजन डॉ आंजनेय शर्मा ने किया। इस दौरान डॉ. फरहीन बानो, गिरीश पाण्डेय, धीरज यादव, रोहित परमार आदि ने सहयोग प्रदान किया।
इस वर्ष के जोनल सम्मेलन में 7 राज्यों उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखण्ड, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, सिक्किम और छत्तीसगढ़ के 25 से कॉलेजों के 600 से अधिक छात्रों ने प्रतिभाग किया है।