विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर विशेष
लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। रात के लंबे काम के घंटे और अनियमित समय के कारण सीमा का मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होता चला गया। जिस नौकरी में वह छह साल से कार्यरत थी। आखिरकार काम के अत्यधिक दबाव के चलते उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी। लखनऊ निवासी सीमा (बदला हुआ नाम) बताती है वह एक कंटेंट राइटर के तौर में ऑनलाइन काम करती थी। शुरुआत में असमय काम आता था तो उन्हें दिक्कत नहीं होती क्योंकि वह काम सीख रही थी पर जब असमय काम उनकी रोज़ की दिनचर्या का हिस्सा बन गया इस वजह से उन्हें कई तरह की दिक्कतें होने लग गयी। अत्यधिक काम की वजह से नींद न पूरी होना, थकान, चिड़चिड़ापन व तनाव बढ़ने लगा। वह बताती है कि जब यह चीज़ें उनके मानसिक स्वास्थ्य पर असर करने लगी और उन्हें रिजाइन करना ही पड़ा।
इस साल मानसिक स्वास्थ्य दिवस का विषय ‘कार्यस्थल पर मानसिक स्वास्थ्य’ है, जो इस बात पर जोर देता है कि सुरक्षित और सहयोगी कार्यस्थल न केवल कर्मचारियों को स्थिरता और उद्देश्य प्रदान करते हैं, बल्कि उनके मानसिक स्वास्थ्य को भी सकारात्मक रूप से प्रभावित करते हैं। इसके विपरीत, खराब कामकाजी परिस्थितियाँ जैसे भेदभाव, उत्पीड़न, कम वेतन, और असुरक्षित नौकरियाँ मानसिक स्वास्थ्य को गंभीर रूप से नुकसान पहुँचा सकती हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़े के अनुसार विश्व में हर साल डिप्रेशन और एंग्जाइटी के कारण 12 अरब कार्यदिवसों का नुकसान होता है जो स्पष्ट करता है कि कार्यस्थल पर मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान न देना कितना महंगा साबित हो सकता है।
विशेषज्ञ की राय
केजीएमयू के मानसिक स्वास्थ्य विभाग के प्रोफेसर डॉ. आदर्श त्रिपाठी बताते है कि कार्यस्थल पर मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाना बेहद जरूरी है। मानसिक स्वास्थ्य का सीधा असर न केवल व्यक्ति के कामकाज पर, बल्कि उसके जीवन की गुणवत्ता पर भी पड़ता है। मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से प्रभावित कर्मचारी की उत्पादकता पर असर पड़ता है | इसके साथ ही काम से अनुपस्थिति, नौकरी छोड़ने की प्रवृत्ति जैसी समस्याएं भी देखने को मिलती हैं। इन समस्याओं का सीधा असर कार्यस्थलों के साथ-साथ समाज पर भी पड़ता है। ऐसे में कर्मचारियों के प्रतिनिधि संगठनों को मिलकर ऐसी नीतियाँ बनानी चाहिए जो मानसिक स्वास्थ्य के लिए कामकाजी वातावरण को सुरक्षित बनाएँ। इसमें उचित मानसिक स्वास्थ्य समर्थन, कर्मचारियों के लिए लचीले कामकाजी घंटे, तनाव प्रबंधन के उपाय, और मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम शामिल होने चाहिए। तभी हम कार्यस्थलों पर बेहतर माहौल बना पाएंगे |
मानसिक स्वास्थ्य जानकारी के लिए उपलब्ध है टोल फ्री –
यदि आप मानसिक स्वास्थ्य संबंधी किसी भी तरह की जानकारी और परामर्श लेना चाहते है उसके लिये के लिए केंद्रीय सरकार द्वारा शुरू की गई टोल-फ्री सेवा ले सकते है। जिसका नंबर 14416 और 18008914416 है ।