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‘भारत का मज़बूत आधार: जन धन योजना का विस्तार’





लेखक : वीरेंद्र सिंह रावत (आर्थिक पत्रकार और समीक्षक)

भारत जैसे विशाल लोकतंत्र में जनता के कल्याण एवं नियोजित विकास को गति देना केंद्र सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है।

देश में भिन्न-भिन्न सामाजिक एवं आर्थिक परिदृश्य के चलते, सरकार के सामने एक चुनौती सदा रहती है कि वह कैसे गरीब एवं निर्बल तबकों को नियोजित आर्थिक मदद पहुंचाए।

इस प्रष्टभूमि में प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY) का उल्लेख होना लाज़मी है क्योंकि 2014 में इस योजना के उद्गम के बाद देश भर में करीब 53 करोड़ जन धन बचत खाते विभिन्न बैंकों के माध्यम से खोले गए, जो कि यूरोपीय संघ (European Union) की जनसंख्या से कहीं अधिक है।

PMJDY में करीब 30 करोड़ महिला लाभार्थी शामिल हैं, जो संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) की जनसंख्या के आस-पास है। इस प्रकार, नारी उत्थान की दिशा में तो PMJDY नें एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है और समाज में बराबरी का एक कारगर माध्यम बन कर उभरा है।

PMJDY के 10 बेमिसाल वर्ष

PMJDY के 10 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस योजना की ‘महान उपलब्धि’ की सराहना की, एवं वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने और करोड़ों लोगों, विशेष रूप से महिलाओं, युवाओं और वंचित समुदायों, को सम्मान देने में इसकी व्यापक योगदान का वर्णन किया।

मोदी सरकार नें, PMJDY को वित्तीय समावेशन हेतु एक राष्ट्रीय मिशन के रूप में 28 अगस्त, 2014 को शुरू किया गया था।

जन धन योजना मोदी सरकार 1.0 की प्रारंभिक पहलों में से एक थी, जिसने एक दशक का शानदार सफ़र तय करते हुए अपना नाम वैश्विक पटल पर दर्ज किया है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 15 अगस्त, 2014 को दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किले से अपने पहले कार्यकाल के सर्वप्रथम स्वतंत्रता दिवस संबोधन में इस योजना की घोषणा की थी।

अपने उद्बोधन में, प्रधानमंत्री मोदी नें कहा कि इस योजना के माध्यम से देश के सबसे गरीब नागरिकों को बैंक खातों की सुविधा से जोड़ा जाएगा।

“…प्रधानमंत्री जन धन योजना के तहत प्रत्येक खाता धारक को डेबिट कार्ड दिया जाएगा। प्रत्येक गरीब परिवार को उस डेबिट कार्ड के माध्यम से एक लाख रुपये की बीमा गारंटी दी जाएगी…” उन्होंने कहा।

जन धन योजना की विशेषताएँ

28 अगस्त, 2014 को प्रारंभ होने के पश्चात प्रथम सप्ताह में बैंकों के माध्यम से देश भर में 77,892 शिविरों का आयोजन किया गया और लगभग 1.8 करोड़ खाते खोले गए।

इस व्यापक ‘वित्तीय समावेशन अभियान’ की सफलता को लोकप्रिय ‘गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स’ ने यह उल्लेख कर मान्यता दी कि – वित्तीय समावेशन अभियान के रूप में एक सप्ताह, जो 23 से 29 अगस्त, 2014 के मध्य भारत सरकार के वित्तीय सेवाओं के विभाग द्वारा आयोजित किया गया, सबसे अधिक 18,096,130 बैंक खाते खोले गए।

तत्पश्चात्, जन धन योजना ने केंद्र सरकार के वित्तीय समावेशन अभियान को अभूतपूर्व बढ़ावा दिया, जिसने समाजिक एवं आर्थिक विकास के साथ-साथ लैंगिक समानता की दिशा में व्यापक योगदान दिया।

ऐसे नहीं था कि पूर्व की केंद्र सरकारों ने वित्तीय समावेशन हेतु प्रयास नहीं किया परन्तु वह राजनैतिक इच्छाशक्ति एवं कुशल प्रबंधन के अभाव में असफल ही रहीं।

मोदी सरकार के केंद्र की सत्ता में आने पर इस दिशा में तेजी से काम हुआ कि कैसे गरीब एवं वंचित वर्ग के लिए बैंक खातों से जोड़ा जाए। यह परिकल्पना जन धन योजना के द्वारा फलीभूत हुई।

PMJDY का मुख्य उद्देश्य बैंक खातों से वंचित वर्ग को एक बुनियादी बचत खाता देना था। जन धन खातों में कोई न्यूनतम शेष राशि रखने की आवश्यकता नहीं थी, और यह खाते नियमित खातों की तरह जमा पर ब्याज भी अर्जित करते थे।

PMJDY के प्रमुख बिंदु

• इस समय, जन धन योजना के अंतर्गत देश भर में कुल जमा राशि Rs 2,31,235 करोड़ (Rs 2.31 लाख करोड़ से अधिक) है।

• उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक जन धन खाते खोले गए हैं।

• जन धन योजना खाता धारकों को RuPay डेबिट कार्ड वितरित किए गए।

• खाता धारकों को जारी RuPay कार्ड के साथ एक लाख रुपये का दुर्घटना बीमा कवर उपलब्ध हुआ।

• दुर्घटना बीमा कवर 28 अगस्त, 2018 के बाद खोले गए नए PMJDY खातों के लिए 2 लाख रुपये कर दिया गया।

• PMJDY खाता धारक Rs 10,000 रुपये तक की ओवरड्राफ्ट (OD) सुविधा का लाभ उठा सकते हैं।

• PMJDY खाते सीधे लाभ हस्तांतरण (DBT), प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (PMJJBY), प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (PMSBY), अटल पेंशन योजना (APY), और माइक्रो यूनिट्स डेवलपमेंट एंड रिफाइनेंस एजेंसी बैंक (MUDRA) योजना के लिए भी पात्र हैं।
योजना की प्रगति

14 अगस्त 2024 तक, देश में PMJDY खातों की संख्या करीब 53.13 करोड़ थी, जिसमें ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में 35.37 करोड़ एवं शहरी क्षेत्रों में 17.76 करोड़ खाते शामिल हैं।

इन खातों में कुल जमा राशि Rs 2,31,235 करोड़ से भी अधिक है। PMJDY खातों में से आधे से अधिक (29.56 करोड़) महिलाओं के नाम पर हैं।

PMJDY खाता धारकों को कुल 36.14 करोड़ RuPay डेबिट कार्ड जारी किए गए हैं।

जन धन खातों का सबसे बड़ा हिस्सा सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के पास है (14 अगस्त, 2024 तक 41.42 करोड़ खाते), इसके बाद क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (9.89 करोड़ खाते), निजी क्षेत्र के बैंकों (1.64 करोड़), और ग्रामीण सहकारी बैंकों (0.19 करोड़) का स्थान है।

राज्यवार PMJDY खातों का विश्लेषण से पता चलता है कि सर्वाधिक खाते उत्तर उत्तर एवं सबसे निम्न लक्षद्वीप में क्रमश: 9.45 करोड़ एवं 9,256 खोले गए हैं।

यूपी के अलावा 15 अन्य राज्य जहाँ एक करोड़ से अधिक PMJDY बैंक खाते खोले गए, वह हैं – बिहार, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, असम, ओडिशा, कर्नाटक, झारखंड, गुजरात, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और हरियाणा।

जन धन योजना का प्रभाव

मोदी सरकार भारत को $5 ट्रिलियन (50 खरब अमरीकी डॉलर) की अर्थव्यवस्था बनाने में तत्पर है। परन्तु, यह तब तक संभव नहीं है जब तक भारत का प्रत्येक नागरिक इसमें अपनी सहभागिता सुनिश्चित करे।

इस परिपेक्ष में, जन धन योजना मोदी सरकार के PMJDY, आधार (Aadhar) और मोबाइल (Mobile) की JAM त्रिमूर्ति का एक महत्वपूर्ण घटक है।

क्योंकि योजना के अंतर्गत 50 करोड़ से अधिक बैंक खाते अब तक खोले जा चुके हैं, इस वजह से देश में बैंकिंग सेवाओं की मांग में व्यापक वृद्धि हुई है। इसके चलते, सरकारी एवं गैर-सरकारी वाणिज्यिक बैंकों को बुनियादी ढांचे का विस्तार करने के लिए प्रोत्साहित किया गया है।

देश में अनुसूचित (scheduled) वाणिज्यिक बैंकों की शाखाओं की संख्या 2013 में करीब 1.06 लाख से 2023 में 46 प्रतिशत बढ़कर 1.55 लाख हो गई है। इन 1.55 लाख शाखाओं में, 35 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्रों, 28 प्रतिशत अर्ध-शहरी क्षेत्रों, 18 प्रतिशत शहरी क्षेत्रों एवं 19 प्रतिशत महानगरों में स्थित हैं।

एटीएम की संख्या भी जून 2014 के अंत में करीब 1.67 लाख से 2024 में 30 प्रतिशत बढ़कर 2.17 लाख हो गई है।

इसके साथ ही, देश में पिछले 10 वर्षों के दौरान पॉइंट्स ऑफ सेल (PoS) की संख्या 10.88 लाख से बढ़कर 89.67 लाख हो गई है।

डिजिटल लेनदेन पर प्रभाव

PMJDY के दो साल बाद लॉन्च किए गए UPI जैसे उत्कृष्ट भुगतान माध्यम ने बैंकिंग लेनदेन को और अधिक आसान और व्यापक बना दिया है।

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने 29 जून, 2024 को जारी एक रिपोर्ट में कहा कि भारत की वित्तीय समावेशन पहल को 2014 में PMJDY शुरू होने के बाद बढ़ावा मिला, और ‘डिजिटल तकनीकी क्रांति’ ने बैंक खातों के उपयोग को पारंपरिक जमा या क्रेडिट खाते से एक भुगतान मध्यस्थ तक बढ़ा दिया।

वर्ल्ड बैंक के ‘फिनडेक्स डेटाबेस’ (Findex Database) के अनुसार, 2021 में भारतीय वयस्कों (15 वर्ष या उससे अधिक आयु) में से 78 प्रतिशत के पास बैंक खाता था, जबकि 2014 में यह आंकड़ा केवल 53 प्रतिशत था।