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सन मोबिलिटी ने इंडियन ऑयल के साथ किया समझौता, ये है उद्देश्य


नई दिल्ली (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। सन मोबिलिटी, इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए एनर्जी इन्फ्रास्ट्रक्चर एवं सर्विसेज़ के अग्रणी प्रदाता और ऊर्जा क्षेत्र में डाईवर्सिफाईड, इंटीग्रेटेड दिग्गज, इंडियन ऑयल ने अपने रणनीतिक सहयोग और संयुक्त उपक्रम की घोषणा की है। जिसका उद्देश्य 2030 तक एक बहुत विशाल बैटरी स्वैपिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर नेटवर्क की स्थापना करना है।
इस संयुक्त उपक्रम में दस लाख से ज्यादा ग्राहकों को सेवाएं देने के उद्देश्य से 3 सालों की अवधि में 40 से अधिक शहरों में 10,000 से ज्यादा बैटरी स्वैपिंग स्टेशन स्थापित किए जाएंगे। एक सुविधाजनक ‘‘बैटरी एज़ ए सर्विस’(बास) मोबिलिटी समाधान उपलब्ध होगा। जिससे टूव्हीलर, थ्रीव्हीलर और छोटे फोरव्हीलर वाहनों की मदद से इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को बढ़ावा मिलेगा।


सन मोबिलिटी द्वारा वर्तमान में भारत के 20 शहरों में 25,000 से ज्यादा इलेक्ट्रिक वाहनों को सपोर्ट मिलती है। यह टू और थ्री व्हीलर ग्राहकों को सेवाएं देते हुए अपने 630 स्टेशनों और 50,000 से ज्यादा स्मार्ट बैटरीज़ द्वारा प्रतिमाह दस लाख से अधिक बैटरी की स्वैपिंग संभव बनाता है।


सन मोबिलिटी के को-फाउंडर एवं चेयरमैन चेतन मैनी ने कहा, ‘‘सन मोबिलिटी की स्थापना सात साल पहले इलेक्ट्रिक वाहनों को किफायती बनाने, उनसे जुड़ी रेंज की चिंता को दूर करने और इलेक्ट्रिक वाहनों को चार्ज करने में लगने वाले समय को कम करने के लिए की गई थी। हमने तब से ही बैटरी की स्वैपिंग के लिए दुनिया का अग्रणी ओपन आर्किटेक्चर प्लेटफॉर्म विकसित किया, जो विभिन्न निर्माताओं के इलेक्ट्रिक वाहनों को सुगमता से सपोर्ट करता है। हम विश्व की अग्रणी ऊर्जा कंपनियों के साथ साझेदारी में पूरे विश्व में इसे स्थापित कर रहे हैं।

आज विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर, मुझे यह घोषणा करते हुए बहुत गर्व महसूस हो रहा है कि 4 सालों तक साथ काम करने के बाद, इंडियन ऑयल ने हमारी टेक्नोलॉजी और विज़न की ओर अपनी प्रतिबद्धता मजबूत की है। हम मिलकर भारत में मोबिलिटी के परिदृश्य में परिवर्तन लाना और पूरे विश्व के लिए एक मानक स्थापित करना चाहते हैं।’’


इस रणनीतिक संयुक्त उपक्रम द्वारा देश में इंडियन ऑयल के 37,000 फ्यूल स्टेशन के नेटवर्क और सन मोबिलिटी की अतुलनीय बैटरी स्वैपिंग टेक्नोलॉजी की मदद से बैटरी स्वैपिंग उतनी ही आसानी से उपलब्ध हो सकेगी, जितनी आसानी से पारंपरिक ईंधन उपलब्ध होता है। इससे इलेक्ट्रिक वाहनों के ग्राहकों को पूरे देश में बैटरी एज़ ए सर्विस (बास) सुगमता से प्राप्त हो सकेगी, और बैटरी की लागत, रखरखाव, रिप्लेसमेंट और चार्जिंग से जुड़ी उनकी चिंताएं खत्म हो सकेंगी।