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मृगनयनी प्रदर्शनी : भा रहे है हथकरघा व ODOP उत्पाद, हस्तशिल्पियों की हो रही सराहना

बारिश के बावजूद उमड़ी भीड़, जमकर की खरीदारी

लखनऊ (शम्भू शरण वर्मा/टेलीस्कोप टुडे)। चंदेरी, महेश्वरी प्रिंट की साड़ियां हो, हथकरघा वस्तुएं हो या रंग-बिरंगे मोतियों की डिजाइनर माला, झुमके, अंगूठी, ब्रेसलेट, कंगन और ऐसे ही ढेरों आकर्षक आभूषण। ललित कला अकादमी अलीगंज में चल रही मध्य प्रदेश हस्तशिल्प एवं हथकरघा प्रदर्शनी मृगनयनी में कोई अपनी साड़ी और सूट से मैचिंग नेकलेस की तलाश करता हुआ दिखा तो कोई एंटीक डिजाइन वाले अन्य ट्रिबल बीड ज्वैलरी पसंद करने में तल्लीन था। रविवार को रुक रुककर हो रही भारी बारिश व ओलावृष्टि के बावजूद प्रदर्शनी में भीड़ उमड़ी और लोगों खासकर महिलाओं ने जमकर खरीदारी भी की।

प्रदर्शनी में चंदेरी एवं माहेश्वरी के बुनकर अपनी हुनर को पेश कर रहे हैं। जिनके द्वारा स्वयं के हाथों से गढ़कर साड़ी एवं सूट्स की विभिन्न वैरायटी हैं। वहीं हथकरघा की वस्तुओं की लखनऊवासी बहुत सराहना कर रहे हैं। मृगनयनी प्रदर्शनी में सोने की साड़ी आकर्षण का केन्द्र बनी है। वहीं पंचधातु की मूर्तियों, ज्वेलरी, जूट के थैलों, जरी के बटुए और लकड़ी के खिलौनों के स्टॉल्स भी सभी का मन मोह रहे हैं।

बात चाहे मूर्तिकला, हस्तकला, चित्रकारी सहित अन्य कला की हो, आज भी कई कारीगर ऐसे हैं जो अपने पुरखों के काम को आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं और उसे अपनी आजीविका का साधन बना रहे हैं। ऐसे ही कलाकार देशभर में अलग-अलग काम कर पुरानी विधाओं को आज भी जीवंत किए हुए हैं। प्रदर्शनी में मृगनयनी के ऐसे ही कलाकारों का जमावड़ा लगा है और वह अपनी कला का प्रदर्शन भी कर रहे हैं।

संत रविदास मध्यप्रदेश हस्तशिल्प एवं हथकरघा विकास निगम लिमिटेड मध्यप्रदेश शासन द्वारा प्रदेश के सिद्धहस्त कलाकारों को बाजार उपलब्ध कराने और उनके उत्पाद कलाप्रेमियों तक पहुंचाने हेतु प्रदर्शनी का आयोजन किया जाता है। इसी क्रम में ललित कला अकादमी में 5 मार्च तक मृगनयनी प्रदर्शनी का आयोजन किया जा रहा है। इस प्रदर्शनी में हथकरघा के साथ ही एक जनपद एक उत्पाद को बढ़ावा मिल रहा है और महिला शिल्पकार भी अपनी सामग्री लेकर आई हैं।

प्रभारी एमएल शर्मा ने बताया कि मृगनयनी प्रदर्शनी के माध्यम से हस्त शिल्पकारों एवं बुनकरों को अच्छा बाजार और गुणवत्तापूर्ण सामग्री की उचित कीमत दिलाने की सुविधा उपलब्ध कराने का प्रयास किया जाता है। प्रदेश के कारीगरों की लगन और मेहनत से बनाई कलात्मक सामग्री का विक्रय भी किया जाता है। घंटों और महीनों मेहनत कर आपके लिए नायाब चीजें गढ़ने वाले हस्तशिल्पियों और बुनकरों की कला देखना चाहते हैं तो जल्दी कीजिए। इसके लिए आपके पास सिर्फ 5 मार्च तक का ही वक्त है। 

हस्तशिल्पियों की कारीगरी को जमकर सराहा

प्रदर्शनी में भीड़ उमड़ रही है और लोग खरीददारी के साथ ही वहां प्रदर्शित शिल्पकारों की कारीगरी की जमकर प्रशंसा भी कर रहे हैं। उनका कहना है कि ऐसे प्रदर्शनियों से प्राचीन शिल्पकला से रूबरू होने का मौका मिलता है। साथ ही उन्हें एक ही स्थान पर सुगमता से अपनी पसंद की वस्तुएं मिल जाती हैं।