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ब्रह्मसागर : ब्राह्मण संगठनों से एक मंच पर आने का किया आह्वान

लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। जगद्गुरु आदि शंकराचार्य की प्रेरणा से भारत की सनातन संस्कृति, ज्ञान और गौरवशाली मूल्यों की पुनर्स्थापना, ब्रह्मसमाज का एकीकरण तथा इस शक्ति को महाशक्ति के रूप में प्रस्तुत करने के उद्देश्य के साथ श्रीमद्जगद्गुरु शंकराचार्य अनंत श्रीविभूषित अमृतानंद देवतीर्थ, शारदा सर्वग्य पीठम श्रीनगर कश्मीर की प्रेरणा व् अध्यक्षता में शेषावतार लक्ष्मण की नगरी के संगीत नाटक अकादमी में शनिवार को ब्रह्मसागर ने अपने द्वितीय अधिवेशन का आयोजन किया। कार्यक्रम का शुभारम्भ वैदिक ऋचाओं, दीप प्रज्वलन और आदि शंकराचार्य के चित्र पर माल्यार्पण के साथ हुआ। 

इस अवसर पर ब्रह्मसागर-सन्देश नामक स्मारिका का विमोचन हुआ। देश के विभिन्न अंचलों से पधारे ब्राह्मण संगठनों के प्रतिनिधि विप्रजनों को अंगवस्त्र और स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम दो सत्रों में आयोजित किया गया।

प्रथम सत्र में बतौर मुख्य अतिथि मौजूद राज्यसभा सांसद व पूर्व उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने ब्राह्मणों की एकजुटता की सराहना करते हुए कहा कि ब्राह्मण समाज सदैव वसुधैव कुटुम्बकम की भावना का संवाहक रहा है।

बतौर मुख्य वक्ता मौजूद चिन्मय मिशन के प्रमुख संत ब्रह्मचारी कौशिक चैतन्य जी महाराज ने कहा कि ब्राह्मण समाज सनातन काल से ही गौरवशाली अतीत का साक्षी रहा है तथा समाज को एक दिशा देते आये हैं। ब्रह्मसमाज की सहिष्णुता त्याग, तपस्या, वीरता और विद्वता ने विश्व में अनेक कीर्तिमान स्थापित किये हैं। अब जरूरत हैं कि आने वाली पीढ़ी को जगाकर पुनः सनातन संस्कृति, गौरवशाली अतीत और स्वर्णिम भविष्य के संकल्प को आत्मसात कर भारत को पुनः विश्व गुरु और सोने की चिड़िया बनाने में योगदान दें। आज का यह मंथन इस ओर बढ़ने की एक सराहनीय पहल है।

अधिवेशन में देश के कोने कोने से पधारे प्रख्यात आध्यात्मिक धर्मगुरु, चिंतक, वैज्ञानिक, शिक्षाविद, वैदिक मर्मज्ञ, सनातनी इतिहासकार, तकनीकी विशेषज्ञ, प्रशासनिक अधिकारी, समाजसेवी सहित मनीषा जगत की महान विभूतियों ने ब्राह्मणों के कल्याण, खोई हुई विरासत को पुनः प्राप्त करने तथा ब्राह्मणों के एकीकरण की महती आवश्यकता पर अपने अपने विचार व्यक्त किये।

अध्यात्मिक जगत और मनीषा जगत के विद्वान संत महामंडलेश्वर श्री अभयानंद जी महाराज ने अपने उद्बोधन में कहा कि भारत की सनातन संस्कृति, शिक्षा और ज्ञान को केंद्र में रखकर भारत को वैश्विक स्तर पर पुनः उसके तीनों आयामों भौतिक, बौध्दिक और अध्यात्मिक उत्कृष्टता के साथ वैभवशाली गौरवशाली मूल्यों मर्यादाओं को पुनर्जीवित करने का मानवोचित धर्म हम सब भारतीयों को करना होगा। ब्रह्मसागर द्वारा इस दिशा में किये जा रहे प्रयास अत्यंत सराहनीय है।

ब्रह्मसागर के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व प्रशासनिक अधिकारी (IAS Retd) कैप्टन एसके द्विवेदी ने देश के अनेक अंचलों से पधारे ब्रह्म वंशियों से अपील की कि देश में ब्राह्मणों की स्थिति ठीक नहीं है। अभी भी यदि हम नहीं चेते तो आने वाली हमारी पीढियां हमें माफ़ नहीं करेंगी। हमें अब जागना ही होगा, सारे भेद भुलाकर ब्रह्मसमाज का एकीकरण तथा इस शक्ति को महाशक्ति के रूप में प्रस्तुत करने के उद्देश्य के साथ एक मंच पर आना होगा। 

अधिवेशन के दोनों सत्रों में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का उत्कृष्ट प्रदर्शन किया गया। कार्यक्रम की पूर्णता धन्यवाद् ज्ञापन और श्रीमद्जगद्गुरु शंकराचार्य के आशीर्वचनों के साथ हुई। इस अवसर पर ब्रह्मसागर परिवार के अंतर्राष्ट्रीय, राष्ट्रीय, प्रदेश कार्यकारिणी के पदाधिकारियों सहित भारी संख्या में सदस्य और ब्राह्मण समाज के विप्रजन उपस्थित रहे।