लखनऊ (शम्भू शरण वर्मा/टेलीस्कोप टुडे)। रेलवे सुरक्षा बल (RPF) की मेजबानी में 12 फरवरी को लखनऊ में पांच दिवसीय 67वीं अखिल भारतीय पुलिस ड्यूटी मीट (एआईपीडीएम) की शुरुआत होगी। जिसमें भविष्य में वैज्ञानिक, स्मार्ट और संवेदनशील पुलिसिंग की जगह महत्वपूर्ण होगी। जगजीवन राम आरपीएफ अकादमी मानकनगर आलमबाग में 16 फरवरी तक चलने वाले इस कार्यक्रम के आयोजन की जिम्मेदारी एआईपीडीएम की केन्द्रीय समन्वय समिति द्वारा आरपीएफ को सौंपी गई है। एआईपीडीएम के उद्घाटन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि दिनकर गुप्ता (आईपीएस, महानिदेशक, राष्ट्रीय जांच एजेंसी) उपस्थित रहेंगे। वहीं 16 फरवरी को समापन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ शामिल होंगे। रविवार को आयोजित पत्रकार वार्ता में उक्त जानकारी देते हुये आरपीएफ के महानिदेशक मनोज यादव ने बताया कि 67वें अध्याय के एआईपीडीएम का उद्देश्य भारत में पुलिसिंग के मानकों को उच्च करना और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “विकसित भारत 2047” के दृष्टिकोण को पूरा करना है।जिसकी मेजबानी करने के लिए आरपीएफ तैयार है।
उन्होंने बताया कि ऑल इंडिया पुलिस ड्यूटी मीट (एआईपीडीएम) पहली बार 1953 में शुरू की गई थी। कानून प्रवर्तन क्षेत्रों में प्रसिद्ध इस कार्यक्रम का उद्देश्य आंतरिक सुरक्षा को बढ़ाने के लिए अपराधों की वैज्ञानिक पहचान और जांच के लिए पुलिस अधिकारियों के बीच उत्कृष्टता और सहयोग को बढ़ावा देना है। उन्होंने बताया कि इस तरह की पुलिस ड्यूटी मीट आयोजित करने का अंतर्निहित विचार यह था कि प्रतिभागियों को एक-दूसरे के अनुभवो से लाभ मिलेगा, जिसके परिणामस्वरूप पूरे पुलिस बल के पेशेवर प्रदर्शन और आचरण के मानक में अधिक दक्षता और सुधार होगा। इस दौरान एंटी-सैबोटेज चेक, जांच में वैज्ञानिक सहायता, कंप्यूटर जागरूकता और प्रशिक्षण खोजी कुत्तों की श्रेणियों में प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएंगी।
डीजी ने कहा कि 67 वीं अखिल भारतीय पुलिस डयूटी मीट कानून प्रवर्तन पेशेवरों के लिए एक साथ आने, सीखने और खोजी उत्कृष्टता के अपने सामूहिक प्रयास को मजबूत करने का आह्वान है। विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताओं की विशेषता, जांच, पुलिस फोटोग्राफी, कंप्यूटर जागरूकता, विशेष कैनाइन युनिट प्रतियोगिता, तोड़फोड़ विरोधी जांच और पुलिस वीडियोग्राफी के लिए वैज्ञानिक सहायता, पुलिस इयूटी मीट कानून प्रवर्तन कर्मियों के लिए अपनी क्षमताओं को निखारने और सर्वोतम प्रथाओं का आदान-प्रदान करने के लिए एक मंच के रूप में कार्य करती है।
उन्होंने बताया कि 67वें एआईपीडीएम में 20 राज्य पुलिस संगठनों/केंद्र शासित प्रदेशों और 9 केंद्रीय पुलिस संगठनों के प्रतिभागियों, प्रशासनिक कर्मचारियों, मेहमानों और गणमान्य अतिथियों सहित 1200 से अधिक प्रतिनिधि भाग लेंगे। जिसमें अधिकांश टीमें लखनऊ पहुंच चुकी हैं। इसके अलावा 25 डॉग स्क्वायड दस्ते के 133 श्वान भी शामिल होंगे।
उन्होंने बताया कि 1957 के आरपीएफ अधिनियम के तहत स्थापित, रेलवे सुरक्षा बल 2004 से रेलवे संपति की सुरक्षा व यात्रियों और उनके सामानों को सुरक्षा प्रदान करने में सहायक रहा है। बल ने अपनी मुख्य भूमिका रेलवे संपति की सुरक्षा से अतिरिक्त, खुद को विकसित कर यात्री सुरक्षा एवं यात्री सुविधा को सुदृढ़ करने में भी अपना अहम योगदान दिया है। रेलवे सुरक्षा बल को राष्ट्र की जीवन रेखा, भारतीय रेलवे को सुरक्षा प्रदान करने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई है। उल्लेखनीय है कि आरपीएफ में महिलाओं का प्रतिनिधित्व 9% है जो भारत के सभी सशस्त्र बलों में सबसे अधिक है।
रेल मंत्रालय के तहत 1955 में स्थापित जगजीवन राम आरपीएफ अकादमी/ लखनऊ, प्रोबेशनर्स, आईआरपीएफएस कैडर अधिकारियों और आरपीएफ सब-इंस्पेक्टर कैडेटों के लिए एक प्रमुख प्रशिक्षण संस्थान के रूप में कार्य करती है। यह साइबर अपराध और आपदा प्रबंधन जैसे नए उभरते डोमेन में पाठ्यक्रम भी प्रदान करता है। सहयोग की भावना से, अकादमी ने रेलवे रक्षकों के लिए व्यापक प्रशिक्षण सुनिश्चित करने के लिए INMAS-DRDO, SVP-NPA, BPR&D और NISA जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के साथ साझेदारी की है।
वहीं आधुनिकीकरण की दिशा में एक उल्लेखनीय प्रगति में, रेलवे सुरक्षा बल के महानिदेशक मनोज यादव ने 67वीं अखिल भारतीय पुलिस ड्यूटी मीट के लिए आरपीएफ के टैंक ग्रुप द्वारा निर्मित एक समर्पित मोबाइल एप्लिकेशन और वेबसाइट लॉन्च की है। इन डिजिटल प्लेटफॉर्म को इन-हाउस विकसित किया गया है व संचार को सुव्यवस्थित करने, वास्तविक समय अपडेट प्रदान करने और ऑटोबोट-आधारित बहुभाषी चैट समर्थन जैसे हाइलाइट्स के साथ प्रतिष्ठित कार्यक्रम में भाग लेने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए निर्बाध भागीदारी की सुविधा प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया है।
पत्रकार वार्ता में मुनव्वर खुर्शीद, (पीसीएससी/एसईसीआर), बीवी राव (आईजी-कम-निदेशक, जेआरआरपीएफ अकादमी), डॉ. एएन झा (डीआईजी-प्रशिक्षण, जेआरआरपीएफए) और सारिका मोहन (डीआईजी-स्थापना, आरपीएफ) के अलावा दिलीप शुक्ला (संयुक्त निदेशक, पीआईबी) भी मौजूद थे।