लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। आईएससीसीएम लखनऊ शहर शाखा ने शनिवार को आईएससीसीएम सेप्सिस मॉड्यूल और वर्ष की थीम प्रिवेंट ट्रीट डिफेट सेप्सिस के एक भाग के रूप में जन जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया। कार्यशाला में सेप्सिस जागरूकता वीडियो एवं कार्यक्रम का परिचय, सेप्सिस क्या है, सेप्सिस के प्रकार, घटना, प्रारंभिक उपचार और सेप्सिस के परिणाम का संक्षिप्त अवलोकन के बारे में बताया गया। विभिन्न संस्थानों के वक्ताओं द्वारा सेप्सिस को कैसे रोका जाए तथा हाथों की स्वच्छता का प्रदर्शन किया गया।
इंडियन सोसाइटी ऑफ क्रिटिकल केयर मेडिसिन लखनऊ सिटी ब्रांच के अध्यक्ष डॉ तन्मय घटक ने कहा कि पूरी दुनिया में लगभग 5 करोड़ और भारत में लगभग 1 करोड़ मरीज सेप्सिस से पीड़ित हैं। भारत में इन 1 करोड़ में से 30 लाख प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सेप्सिस से मर रहे हैं। दुनिया भर में 5 में से 1 मौत प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सेप्सिस से संबंधित है। सेप्सिस से बचे लोगों को भी जीवन भर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।
सेप्सिस किसी संक्रमण के प्रति शरीर की एक अतिरंजित व्यवस्थित प्रतिक्रिया है और तीव्र जीवन-घातक अंग विफलता, जो संभावित रूप से प्रतिवर्ती है, सेप्सिस की पहचान है। यदि शीघ्र निदान किया जाए तो इसका आसानी से इलाज किया जा सकता है।
सेप्सिस को रोका जा सकता है, सेप्सिस का इलाज किया जा सकता है, सेप्सिस को हराया जा सकता है, सेप्सिस को रोकने के लिए हाथ मिलाएं और सुनिश्चित करें कि हर कोई सेप्सिस के कारण और परिणामों के बारे में जागरूक हो।
उन्होंने कहा कि जागरुकता फैलाकर हम केवल अच्छे हाथ की स्वच्छता करके इसे रोक सकते हैं। इसका शीघ्र उपचार कर सकते हैं ताकि हम सेप्सिस से होने वाली मृत्यु दर और जटिलताओं को कम कर सकें। इस मौके पर डॉ. आरके सिंह, डॉ. देवेन्द्र गुप्ता, डॉ. पीके दास, डॉ. हैदर अब्बास, डॉ. यश जावेरी, डॉ. सुहैल सरवर सिद्दीकी, डॉ. फारूक, डॉ राघवेंद्र, डॉ. सोमनाथ लोंगानी, डॉ. इंदुबाला, डॉ. उत्सव सहित कई गणमान्य नागरिक मौजूद रहे।