बहुत दु:ख हुआ यह सुनकर कि “सहारा श्री” ने अपनी अंतिम सांस ले ली। हाँ, यह सही है, क्योंकि यही शास्वत सत्य है।
उस समय मैं स्वतंत्र भारत में रहते हुए अक्सर सोचता था कि एक दिन राष्ट्रीय सहारा के लिए रिपोर्टिंग करनी है। आकर्षण का कारण वहाँ का वेतन, अनुशासन और पत्रकारिता के एसाइनमेंट्स में लैविश व्यवस्था।
दिमाग में बना रहा कि सहारा में जाना ही है। 1999 से आगे का समय बीता और दो दशक बाद राष्ट्रीय सहारा के ब्यूरो में तीन वर्ष तक सेवा देने का अवसर मिला। इसका पूरा श्रेय जाता है वरिष्ठ और प्रख्यात पत्रकार व स्तम्भकार श्रीमान उपेन्द्र राय जी को। उपेन्द्र जी के सहयोग से पूर्व में देखे गए सपने के अनुसार मनमाफिक पद व वेतन दिलाया तत्कालीन स्थानीय सम्पादक श्री देवकीनन्दन मिश्र जी ने। इतना सब हुआ “सहाराश्री” के अनुशासन व प्रबन्धन से ही।
शनिवार को व्हाइट शर्ट, ब्लैक पैंट, लेस वाले ब्लैक शू, ब्लैक शॉक्स, क्रीज बनी हुई और सहारा ग्रुप मोनोग्राम वाली टाई।
यदि कोई भी सहाराकर्मी बगैर हेल्मेट और सीटबेल्ट के कहीं दिखा तो उसका एक दिन का वेतन कटा। मतलब यह कि आप काम के समय ही नहीं अलग समय में भी अनुशासित रहें जिससे सहारा ग्रुप का नाम न धूमिल हो।
आप कहीं भी हों स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर यूनिफॉर्म में कार्यालय आना और भारत माता व तिरंगे को नमन करना अनिवार्य था, यह “सहाराश्री” का राष्ट्र के प्रति समर्पण था।
कुछ बड़े शहर के श्मशानघाट पर सीमेंटेड शेड्स व सीढ़ीदार बड़े ठीहे बनवाए, ताकि बरसात के दिनों में भी निश्चिंत होकर पार्थिव शरीर की अंत्येष्टि की जा सके। ऐसी भावनापूर्ण सोच के वाहक थे “सहाराश्री”।
ढेरों चौराहों को सहारा ग्रुप ने गोद लिया और उसे सुव्यवस्थित कर, गमले, फूल, पौधे, घास की कटिंग इत्यादि बनवाकर अच्छे से संचालित कराया, जिससे राहगीरों का मन प्रफुल्लित हो। ऐसे जनहित कार्य करते थे “सहाराश्री”।
अविवाहितों को बड़ी संख्या में परिणय सूत्र में बँधवाना और प्रेमपूर्वक, आदर स्वरूप, सम्मानजनक ढंग से उनके और उनके परिवारों को घर-गृहस्थी में उपयोग होने वाली सभी वस्तुओं को घर तक पहुँचाते हुए माता-पिता सा स्नेह देकर वर-वधू को विदा करना ऐसे परम् स्नेही थे “सहाराश्री”।
यही सब महत्वपूर्ण कार्यों की वजह से एप्रोच करके बहुत पहले सहारा में आना चाहता था राष्ट्रीय सहारा में, आया भी और सहारा ग्रुप को सेवा भी दिए।
हाँ, इधर कुछ वर्ष से सहारा ग्रुप और “सहाराश्री” अदालती कार्रवाई के चलते मानसिक व आर्थिक परेशानियों में रहे, जिससे व्यक्तिगत रूप से मुझे बहुत कष्ट होता था।
इस बीच सहारा ग्रुप के चेयरमैन श्री सुब्रत रॉय सहारा जी “सहाराश्री” से भी मिलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। मिला तो शरीर में अत्यधिक ऊर्जा दौड़ गई, कई दिन तक ऊर्जस्वी होकर रहा।
अश्रुपूरित श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए “सहाराश्री” की पुण्यात्मा को भगवान अपने श्रीचरणों में सुखद स्थान दें ऐसी कामना करता हूँ।
भारत सिंह
राज्य ब्यूरो प्रमुख
आउटलुक पत्रिका
Telescope Today | टेलीस्कोप टुडे Latest News & Information Portal