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उत्तराखंड महोत्सव : कुमाऊँनी नृत्य संग भोजपुरी गीतों से सजी चौथी शाम

लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)।गोमा तट पर चल रहे उत्तराखंड महोत्सव के चौथे दिन शुक्रवार को भारी भीड़ उमड़ी। महोत्सव में मिल रहे उत्पाद और कुछ ऐसे उत्पाद, जो कि स्थानीय बाजार में नहीं, बल्कि इस महोत्सव में ही उपलब्ध होते हैं। उनकी खरीदारी कर रही अपार भीड़ से दुकानदार उत्साहित हैं। महोत्सव में साफ सफाई, सुरक्षा की समुचित व्यवस्था है और पूरा स्थल तीसरी आंख की नज़र में है। मोटे अनाज के प्रमोशन हेतु उत्तरखण्ड का मडुवे का आटा, झिंगोरा, लाल चावल, बासमती चावल, दालें – भट्ट गहत, राजमा, सब्जी-गडेरी, मूली आदि के स्टाल भी हैं।
मीडिया प्रभारी राजेन्द्र सिंह कनवाल ने बताया कि बाल मिठाई की बिक्री भी खूब हो रही हैं, सर्वप्रथम यह अल्मोड़ा में बनाई गई थी, अब उत्तराखंड में लगभग सभी जगह बनाई जाती है। खोए को लचीला भूनकर उसे आकार देकर बाहर से सफेद दाने लगाए जाते हैं और उन सफेद दानों के अंदर भी राम दाने के दाने होते हैं। कहा जाता है कि अल्मोड़ि बाल भ्यार बै सुकिल हुनी, भितेर बै लाल, हुनी अल्मोड़ा होशियार…। सुगर पेसेन्ट्स को ध्यान में रखते हुए मीठे के शौकीनो के लिए एक स्टाल पर प्रसिद्ध बाल मिठाई के साथ-साथ बिना चीनी के लड्डे, सुगर फ्री मिठाई आदि उपलब्ध है। इसमें कोई प्रिजर्वेटिव्स नहीं मिलाया गया है।  


बतौर मुख्य अतिथि मौजूद एमएलसी राम चन्द्र प्रधान एवं महापरिषद के पदाधिकारियों ने दीप प्रज्जवलित कर विधिवत महोत्सव की चौथी शाम का शुभारम्भ किया। महापरिषद के पदाधिकारियों ने मुख्य अतिथि का पुष्पगुच्छ, अंगवस्त्र एवं प्रतीक चिन्ह भेंट कर स्वागत किया। इस अवसर पर मुख्य संयोजक बीएस गर्बियाल, संयोजक दीवान सिंह अधिकारी, अध्यक्ष हरीश चन्द्र पंत, वरिष्ठ उपाध्यक्ष मंगल सिंह रावत, उपाध्यक्ष महेश चन्द्र रौतेला, जीबी फुलारा, महासचिव भरत सिंह बिष्ट, सचिव राजेश बिष्ट, वीके जोशी, भुवन पटवाल, भुवन पाठक, सुरेन्दर सिंह, सुनील कुमार उप्रेती आदि अनेक पदाधिकारीगण एवं सदस्य उपस्थित रहे।

लखनऊ अपनी विरासत में मिली संस्कृति के साथ आधुनिक जीवनशैली को बड़ी सुंदरता से संजोये हुए है। भारत के उत्कृष्टतम शहरों में गिने जाने वाले लखनऊ की संस्कृति में भावनाओं की गर्माहट के साथ उच्च श्रेणी का सौजन्य एवं प्रेम भी है। लखनऊ समाज में नवाबों के समय से ही पहले आप वाली शैली समायी हुई है। शहर इस तहजीब को संभाले हुए है। यह तहजीब यहां उत्तराखंड महोत्सव में भी देखने को मिलती है। अपने हीरक जयंती वर्ष के ऐतिहासिक उत्तराखंड महोत्सव में लखनऊ में विभिन्न समुदायों समाज के लोगों को हीरक जयंती सम्मान से सम्मानित किया जा रहा है।


दोपहर में एकता आर्य ने अपने नृत्य से दर्शको को मंत्रमुग्ध कर दिया। संगीता खरे ने भगवान के सुन्दर भजन गाकर माहौल भक्तिमय बनाया। उधांचल कला केन्द्र अल्मोड़ा के छोलिया दल ने घूम-घूम कर अपनी प्रस्तुतियों से दर्शकों का मनोरंजन किया। डा. रूबी राज सिन्हा के नेतृत्व में बैदेही वेलफेयर फॉउडेशन घुंघरू ग्रुप द्वारा नारी सब पर भारी – फैशन रनवे प्रस्तुत किया गया। कु0 लावन्या मठपाल का क्लासिकल डांस, लक्षिता पाण्डेय का सोलो नृत्य, इशिता नेगी एवं आरोही नेगी का कुमाऊँनी नृत्य, रजनी तिवारी का भोजपुरी लोकगीत, नितिन शर्मा का गजल गायन, अनुष्का शुक्ला का कथक नृत्य, रोमी सिंह एवं साक्षी सिंह द्वारा समूह नृत्य, रोमी सिंह का कुमाऊँनी नृत्य, रचना पाण्डेय के भजन गायन की प्रस्तुति ने सभी का मन मोह लिया।


सूचना विभाग उ0प्र0 सरकार के दलों की प्रस्तुति, साधना मिश्रा एवं टीम द्वारा पारम्परिक अवधी नृत्य, रेनू काण्डपाल के दल द्वारा कुमाऊँनी नृत्य कर अपनी-अपनी सुन्दर प्रस्तुति देते हुए अपनी लोक संस्कृति से लोगो को रूबरू कराया। झोडे के तीन दलों क्रमशः हेमा वाणगी के नेतृत्व में देव भूमि जन सरोकार समिति गोमती नगर, मीना अधिकारी एवं कमला चुफाल के नेतृत्व में कुर्मांचल नगर द्वितीय तथा गीता सत्यवली के नेतृत्व में प्रगति विहार कल्याणपुर ने उत्तराखण्ड के पारम्परिक झोड़े का सुन्दर प्रस्तुतिकरण किया। दर्शको ने तालियों की गड़गड़ाहट से सभी दलों का उत्साहवर्धन किया।  
वाईस ऑफ उत्तराखण्ड के तीन प्रतिभागियों  नेहा जोशी, हरितिमा पंत, एवं विशाल सिंह ने सुन्दर गायन कर भाव विभोर कर दिया। डांस उत्तराखण्ड डांस के द्वितीय राउण्ड के चार दलों की प्रस्तुतियाँ क्रमशः हेमा बिष्ट के नेतृत्व में आर्ट्स एवं कल्चरल ग्रुप, कल्याणपुर, बलवन्त वाणगी के नेतृत्व में देव भूमि जन सरोकार समिति गोमती नगर, किशन लाल के नेतृत्व में संस्कृति विभाग उत्तराखण्ड के नेतृत्व में नई दिशाएँ नैनीताल, संगीता आहूजा के नेतृत्व में यश म्यूजिकल ग्रुप अयोध्या ने उत्तराखण्ड के पारम्परिक लोक गीतों पर सुन्दर प्रस्तुति देकर दर्शकों को रिझाया। वॉइस ऑफ उत्तराखण्ड तथा डांस उत्तराखण्ड डांस कार्यक्रमों को संजोकर पेश करने में पूरन सिंह जीना ने जी-तोड़ मेहनत कर सजाया है।