डॉ. एस. के. गोपाल लोकतंत्र केवल चुनावी प्रक्रिया का नाम नहीं है; यह सम्मान, सहभागिता और संस्थागत संतुलन की सतत साधना है। जब संस्कृति, भाषा और कलाओं जैसे संवेदनशील क्षेत्र उपेक्षा के शिकार होने लगें, तो वह केवल सांस्कृतिक क्षय नहीं होता, वह लोकतंत्र की धड़कन को धीमा करने वाला …
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