-डॉ. एस.के. गोपाल नया साल आता है तो हम सब कुछ नया चाहने लगते हैं। नई शुरुआत, नई सफलता, नई उम्मीदें, लेकिन बहुत कम लोग यह सोचते हैं कि समाज भी नया हो सकता है अगर हम अपने सोचने का ढंग बदल लें। आज हम तकनीक में आगे बढ़ गए …
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