आज कल जैसा माहौल चल रहा है वो वाकई बहुत ही चिंता का विषय है, छोटे छोटे बच्चो का अवसाद मे जाकर अपना जीवन समाप्त कर देना, ये सोचकर ही दिल दहल जाता है।
जिस तरह की खबरे आज कल पढ़ रहे है, उससे एक बात सोचने पर मजबूर हो गये है कि पांचवी और छठी कक्षा के बच्चे कैसे इस तरह का कदम उठा सकते है ??
दोष किसका है ??
माता पिता का या माहौल का ?
सवाल ये उठता है कि माहौल बनाया किसने है जो बच्चे अपने माता पिता की बात नही सुन रहे है।
आखिर दोषी कौन है ?
कही न कही वो माता पिता ही है थोड़ा बुरा जरूर लगेगा पर कही न कही ये सच है।
जब आजकल माता पिता को आजादी चाहिए वो अपनी मर्जी का कर रहे है अपने बडो की बात नही सुन रहे है, बंदिश न हो इसलिए एकल परिवार मे रह रहे है तो उनके बच्चे क्या सीखेंगे ??
दादी बाबा के प्यार और नसीहत से दूर रिश्तो से बेखबर अकेले रहकर जब सिर्फ मोबाइल चलायेगे तो बाल मन उसी से सीखेगा उसे सही गलत की कोई समझ नही है।
पहले माता पिता अपने बच्चो को समय दें, उन्हे समझे, क्योकि अब संयुक्त परिवार नही बचे है जहां बच्चे दादी, बाबा, चाचा, ताऊ और बुआ की निगरानी में रहते थे।
अब आपने आजादी चुनी है तो जिम्मेदारी आपकी है अपने बच्चो को समय दे स्वस्थ वातावरण दे, वरना परिणाम दिन पर दिन भयानक ही होगे।
सोचिएगा जरूर एक बार 🙏🙏
संध्या श्रीवास्तव
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