पुरातत्व विभाग के 2016 व 2023 को हुये आदेश का पालन अभी तक नहीं हो सका
लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। लक्ष्मण टीला के विवादित परिसर में बनी टीले वाली मस्जिद के विकास एवं सुन्दरीकरण के नाम पर हुये अवैध निर्माण के ध्वस्तीकरण और अवैध गतिविधियों को रोकने के लिये पुरातत्व विभाग के आदेशों के पालन न होने का मामला गरमाता जा रहा है। इस मामले में हाईकोर्ट ने बीती 29 मई को हुयी सुनवाई में मुस्लिम पक्ष को झटका देते हुये पुरातत्व विभाग के आदेश को बरकरार रखा है। इससे स्पष्ट हो गया है कि जिलाधिकारी पुरातत्व विभाग के आदेशों का पालन करते हुये टीले वाली मस्जिद में विकास के नाम पर हुये अवैध निर्माण को हटा सकते है।
इस न्यायिक लड़ाई के बीच अखिल भारत हिन्दू महासभा ने चेतावनी देते हुये कहा कि लक्ष्मण टीला के विवादित परिसर में बनी टीले वाली मस्जिद के विकास के नाम पर हुये अवैध निर्माण को हटाने की मांग को लेकर लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद सड़कों पर उतरने की तैयारी शुरू कर चुकी है।
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मालूम हो कि टीले वाली मस्जिद के विकास के नाम पर पुरातत्व विभाग की बिना अनुमति के हरे-भरे पेड़ों को काटकर पक्का निर्माण करवाया गया। जिसको हटाने के लिये पुरातत्व विभाग पिछले लगभग नौ वर्षों में दो बार आदेश भी जारी कर चुका है, लेकिन उस पर अभी तक कोई कार्रवाही नहीं हुयी है। जिसके परिणामस्वरूप ऋषि कुमार त्रिवेदी एवं अन्य लोगों को हाईकोर्ट के समक्ष पीआईएल संख्य 409/2024 दाखिल करनी पड़ी। जिस पर बीती 29 मई को हुई सुनवाई के दौरान विपक्षी संख्या-11 मस्जिद के मौलाना की ओर से उपस्थित हुये अधिवक्ता ने इस केस में याचिकाकर्ताओं का व्यक्तिगत हित बताते हुये मौजूदा पीआईएल को खारिज करने की मांग की। जिस पर कोर्ट ने इस मांग को खारिज करते हुये अगली सुनवाई के लिये नौ जुलाई की तिथि नियत कर दी।
दूसरी तरफ टीले वाली मस्जिद के विकास के नाम पर हुये अवैध निर्माण को हटाने के लिये पुरातत्व विभाग के आदेशों के पालन में बरती जा रही लापरवाही का आरोप लगाते हुये हिन्दू महासभा ने आज साफ किया कि जब हाईकोर्ट ने 29 मई के अपने आदेश में स्पष्ट कर दिया है कि केस की सुनवाई का आदेश के पालन में कोई बाधा नहीं बनेगा। तो ऐसे में जिलाधिकारी को तत्काल कदम उठाते हुये अवैध निर्माण को हटवायें और अवैध गतिविधिया को रोके अन्यथा हिन्दू महासभा आदेश का पालन करवाने के लिये सड़कों पर उतरने के लिये बाध्य होगी।